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FD से ज्यादा चाहते हैं रिटर्न तो Gilt Funds में करें निवेश, SIP के जरिए छोटी-छोटी राशि से बड़ा फंड कर सकते हैं तैयार

पश्चिमी देशों में ब्याज दरों में कटौती की दौर शुरू होने से शॉर्ट टर्म में रिस्क-फ्री और स्थिर रिटर्न के लिए गिल्ट फंड्स आकर्षक विकल्प बनकर उभरे हैं।

भारत

Devika Chatraj

Apr 04, 2025

Investment in Gilt Funds: भारत, अमेरिका सहित पश्चिमी देशों में ब्याज दरों में कटौती की दौर शुरू होने से शॉर्ट टर्म में रिस्क-फ्री और स्थिर रिटर्न के लिए गिल्ट फंड्स (Gilt Fund) आकर्षक विकल्प बनकर उभरे हैं। गिल्ट फंड सुरक्षित निवेश विकल्प हैं, क्योंकि ये सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) में निवेश करते हैं और बिना किसी क्रेडिट जोखिम के स्थिर रिटर्न प्रदान करते हैं। ये फंड्स केंद्र सरकार और राज्य सरकारों की ओर से जारी बॉन्ड्स में निवेश करते हैं। गिल्ट फंड्स उन लोगों के लिए निवेश के बेहतर विकल्प हैं, जो सुरक्षा के साथ बैंक FD से अधिक रिटर्न हासिल करना चाहते हैं।

अभी निवेश के लिए मुफीद

गिल्ट फंड्स के लिए अपने एसेट का कम से कम 80% जी-सेक में निवेश करना जरूरी है। भारत में दरों में कटौती होने पर गिल्ट फंड का आकर्षण और बढ़ सकता है। ये स्कीमें ब्याज दर के प्रति संवेदनशील होती हैं। दरों में गिरावट के माहौल में ये स्कीमें अच्छा रिटर्न देती हैं। लेकिन ब्याज दरों के बढ़ते ही इन्हें नुकसान होता है। एक साल में सभी गिल्ट फंड्स ने 8% से भी अधिक रिटर्न दिया है, जबकि एक साल के बैंक एफडी में अधिकतम 6.5% रिटर्न मिल रहा।

एफडी से बेहतर डेट में निवेश

> डेट फंड्स में अधिक तरलता होती है। यानी जब चाहें पैसे निकाल सकते हैं, एफडी में समय से पहले पैसे निकालने पर पेनल्टी लगती है।

> कई डेट फंड्स में निवेशकों को लाभांश मिलता है, पर एफडी में ऐसी कोई सुविधा नहीं है। हालांकि डेट फंड्स में मेंटेनेंस चार्ज देना होता है।

डेट फंड में SIP के जरिए कर सकते हैं निवेश

सालाना आय 50,000 रुपए से अधिक होने पर भी 10% टीडीएस (TDS) नहीं कटेगा, जैसा एफडी (FD) में कटता है। डे्ट फंड्स (Debt Funds) में एसआइपी के जरिए हर महीने छोटी-छोटी राशि निवेश कर बड़ा फंड तैयार कर सकते हैं, वहीं एफडी में एकमुश्त निवेश करना होता है।

शॉर्ट टर्म के लिए क्यों चुनें गिल्ट फंड्स

स्थिर आय: ये फंड सेविंग अकाउंट, एफडी यहां तक की स्मॉल सेविंग स्कीम्स से भी अधिक रिस्क-फ्री रिटर्न देते हैं। 1 साल से कम अवधि वाले गिल्ट फंड्स ब्याज दरों के प्रति भी कम सेंसिटिव होते हैं, जिससे इनका रिटर्न स्थिर रहता है।

लिक्विडिटी: गिल्ट फंड को निवेशक जब चाहें भुना सकते हैं और इन फंड्स से पैसे निकाल सकते हैं, क्योंकि उनमें काफी तरलता है। जबकि बैंक एफजी में मैच्योरिटी से पहले पैसे निकालने पर पेनल्टी लगती है।

डायवर्सिफिकेशन: रिस्क से बचने के लिए पोर्टफोलियो का डायवर्सिफिकेशन जरूरी होता है। गिल्ट फंड्स निवेशकों को यह विकल्प देतें हैं। इनका रिटर्न महंगाई को मात देने में सक्षम है।

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