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सरकार का नया फरमान, सरकारी कर्मचारी करेंगे इलेक्ट्रिक कारों का इस्तेमाल

पर्यावरण प्रदूषण से निपटने की सरकार की नई पहल अब मंत्रालय करेगा इलेक्ट्रिक कारों का इस्तेमाल लीज पर ली गई है महिन्द्रा की गाड़ियां  

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mahindra

सरकार का नया फरमान, सरकारी कर्मचारी करेंगे इलेक्ट्रिक कारों का इस्तेमाल

नई दिल्ली: इलेक्ट्रिक कार ( electric cars ) फ्यूचर की कारें हैं ये तो हम सभी को पता है और भारत सरकार लगातार इन्हें बढ़ावा देने के लिए कदम भी उठा रही है। लेकिन अब सरकार ने इलेक्ट्रिक कारों को प्रमोट करने का नायाब तरीका निकाला है। दरअसल Fame के तहत सब्सिडी देने और पूरे देश में इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करने बाद अब सरकार ने प्रदूषण कम करने और इलेक्ट्रिक कारों को प्रमोट करने का बेहतरीन तरीका निकाला है।

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दरअसल केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ( environment ministry ) ने प्रदूषण कम करने के लिए इलेक्ट्रिक कारों को इस्तेमाल करने का फैसला किया है। इन इलेक्ट्रिक कारों का इस्तेमाल मंत्रालय के अधिकारी ही करेंगे। आपको मालूम हो कि नीति आयोग, वित्त आयोग, ऊर्जा मंत्रालय, वित्त मंत्रालय , प्रधानमंत्री कार्यालय में ही इलेक्ट्रिक कारों का इस्तेमाल हो रहा है। इसके अलावा कुछ राज्य सरकारें भी इन्हीं कारों का इस्तेमाल कर रही हैं।

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मंत्रालय ने सोमवार को ही ट्रायल के लिए 5 कारें मंगायी गई और इनमें से तीन कारों को अधिकारियों आवंटित भी कर दिया गया है। मंत्रालय ने इस बात की जानकारी ट्वीट कर दी।

ये महिंद्रा की ई-वेरिटो कारें हैं। इन कारों का इस्तेमाल ज्वाइंट सेक्रेटरी, इंस्पेक्टर जनरल और डायरेक्टर जनरल स्तर के अधिकारी ही करेंगे। महिंद्रा ई-वेरिटो इलेक्ट्रिक सेडान कार फुल बैटरी चार्ज होने पर 140 किमी तक चल सकती हैं। डीसी चार्जिंग से ये कार 40 से 45 मिनट में फुल चार्ज हो जाती है, जबकि एसी पॉइंट से चार्जिंग में चार से पांच घंटे लगते हैं।

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आपको मालूम हो कि पिछले साल दिसंबर में वित्त मंत्रालय भी ऐसी पहल कर चुका है। वित्त मंत्रालय ने एनर्जी एफिशिएंसी सर्विस लिमिटेड (ईएसएसएल) ने 15 नई इलेक्ट्रिक कारें लीज 40 हजार प्रति माह प्रति कार दर से पांच साल के लिए लीज पर ली गई थीं। इन कारों के लिए नॉर्थ ब्लॉक में चार फास्ट चार्जिंग पॉइंट और छह सामान्य चार्जिंग पॉइंट लगाए गए थे। मंत्रालय ने उस समय इन कारों के इस्तेमाल से सालाना 36,000 लीटर ईंधन और सालाना 440 टन कार्बन डाइऑक्साइड का कम उत्सर्जन का दावा किया था।