दरअसल टेस्ट के दौरान दोनो कंपनियों को वाहन एक चार्जिंग में 80-82 किमी का सफर भी तय नहीं कर पाए। इसी कारण से इन सभी वाहनों को खराब परफार्मेंस और कम रेंज का हवाला देकर इस्तेमाल के लायक मानने से इंकार कर दिया गया है।
आपको मालूम हो कि सरकार की तरफ से टाटा को टाटा टिगोर इलेक्ट्रिक व्हीकल की 350 यूनिट्स और महिंद्रा ई-वेरिटो की 150 यूनिट्स यूनिट का आर्डर मिला था। परफार्मेंस के अलावा इन वाहनों में कंपनियों ने जो बैटरी लगाई है उन्हें भी ग्लोबल स्टैडंर्ड से कम का पाया गया है। आपको मालूम हो कि इन वाहनों में 17-35 किलोवॉट की बैटरी लगाने की जरूरत होती है। इन कंपनियों ने अपनी गाड़ियों में 17 किलोवॉट की बैटरी लगाई हैं जो कि मानक की मिनिमम रिक्वायरमेंट है।
महिंद्रा और टाटा द्वारा इलेक्ट्रिक वाहनो का पहला फ्लीट पिछले साल नवंबर तक सरकार को भेजना था, लेकिन यह दिसंबर तक टल गया। खबरों की मानें तो ये देरी इंफ्रास्ट्रकचर में कमी के कारण हुई है।EESL ने कुल 10 हजार इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद की योजना बनाई थी, लेकिन मौजूदा हालातों को देखते हुए यह योजना पूरी होती हुई नहीं दिख रही ।