
अगर आप भी चलाते हैं Car या Bike तो जरूर जानें क्या है BS3, BS4 और BS6
जैसे-जैसे सड़कों पर कार और बाइक बढ़ते जा रहे हैं वैसे-वैसे पर्यावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ती जा रही है। कई बार तो ऐसा लगता है कि अगर वाहनों की संख्या में ऐसे ही इजाफा होता रहा तो भविष्य में सांस लेना भी खतरनाक हो जाएगा। पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए सरकार नए नियम और कानून बना रही है ताकि इसकी रोकथाम की जा सके। वाहनों में ऐसे इंजन लगाए जा रहे हैं जो कि कम प्रदूषण करें, जिसको देखते हुए सरकार ने पुराने इंजन वाले वाहनों पर प्रतिबंध लगा दिया है। हाल में जानकारी मिल ही है कि भारत में अप्रैल 2020 से सिर्फ bs6 वाहन ही बेचे जाएंगे। आइए जानते हैं क्या होती है ये टेक्नोलॉजी और इसका पैमाना क्या है।
ये हैं BS नॉर्म्स और BS6 के फायदे...
स्टेज एमिशन स्टैंडर्ड्स को भारत में साल 2000 में लाया गया था, जिसके एमिशन स्टैंडर्ड्स भारत की सरकार तय करती है। इन एमिशन स्टैंडर्ड्स के जरिए इंटरनल कंबशन इंजन इक्विपमेंट से निकलने वाला वायु प्रदूषण नियंत्रित किया जाता है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड निर्धारित समयरेखा और मानकों के अनुसार अलग-अलग नॉर्म्स लागू करता है। ये बोर्ड पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
BS3 , BS4 और BS6 क्या है...
BS का मतलब एमिशन स्टैंडर्ड है यानी कि BS=भारत स्टेज, जिससे पता चलता है कि वाहन कितना प्रदूषण फैला रहा है। इसकी मदद से ही सरकार वाहनों के इंजनों से निकलने वाले धुएं से फैलने वाले प्रदूषण को मापती है। इसके साथ जो अंक होता है वो ये बताता है कि वाहन कितना प्रदूषण फैला रहा है। मतबल कि नंबर जितना बड़ा होगा प्रदूषण उतना ही कम होगा। जैसे BS3 प्रदूषण कम फैलाएगा, BS4 उससे भी कम फैलाएगा और BS6 सबसे कम प्रदूषण फैलाएगा।
सबसे ज्यादा फायदेमंद है BS-6
वाहनों में BS-6 लागू होने के बाद पेट्रोल और डीजल कारों के बीच प्रदूषण फैलाने की मात्रा में ज्यादा अंतर नहीं रहेगा। इसकी वजह से डीजल कारों से 68 प्रतिशत और पेट्रोल कारों से 25 प्रतिशत तका नाइट्रोजन ऑक्साइड का फैलाव कम हो जाएगा। इसके साथ ही डीजल कारों से PM का उत्सर्जन 80 प्रतिशत तक कम हो सकता है।
Published on:
03 Aug 2018 04:00 pm
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