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शौक बना जनून, और कर डाले हजारों सिक्के इक्कठे

मुगल बादशाह अकबर से लेकर मोदी सरकार तक के जमा हैं सिक्के, लिम्का बुक में जाने को तैयार केवल सिंह राणा

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Yuvraj Singh Jadon

Jun 12, 2016

kewal singh rana coin collector

kewal singh rana coin collector

चंडीगढ़। कहावत है कि शौक का कोई मोल नहीं होता और शौक भी यदि जनून में बदल जाए तो उसकी छटा तो अलग ही बन जाती है। ऐसा जनूनी व्यक्ति अपना शौक पूरा करने के लिए किसी भी हद तक गुजर जाता है। ऐसा ही एक जनूनी है बहुत ही जाना पहचाना नाम केवल सिंह राणा। इस जनूनी के शौक प्राचीन सिक्के और नोट एकत्र करना है। जिनका पता चलने पर यह सख्श 500-700 किलोमीटर तक का सफर तय करने से भी गुरेज नहीं करता।

केवल सिंह राणा के पास वर्ष 1800 से लेकर वर्ष 1946 तक के चांदी के सिक्के तथा देश के आज़ाद होने के पश्चात अब तक 1 पैसे लेकर 10 रुपये तक सिक्के मौजूद हैं। इसके अलावा 5 पैसे लेकर 10 रुपये तक के कोमामोंरेटिव सिक्के भी मौजूद हैं। राणा ने एकत्रित किए गए अपने संग्रह में लिखा है कि उनके पास 1 पैसा, 1 नया पैसा, मौरी वाला पैसा, घोड़े वाला पैसा के अलावा तांबे का 1 आना, 1/4 आना, 1/8 आना, 1/16 आना, 2 आना, 4 आना, 8 आना के अलावा अन्य अनेक तरह के सिक्के भी मौजूद हैं। उनके पास अकबर, शाहजहां, चित्रकूट, महाराजा रणजीत सिंह, ईस्ट इंडिया कंपनी सहित के अलावा अन्य कई राज्यों के सिक्के भी सहेज कर रखे गए हैं।

उन्हें सिर्फ अपने देश के ही नहीं बल्कि विदेशों के सिक्के एकत्र करने का भी शौक है। उनके पास लगभग 50 देशों के सिक्के तथा करंसी मौजूद है। केवल सिंह राणा के पास 50 पैसे वाले लगभग 80 हज़ार सिक्के, 5 रुपए वाले लगभग 8 हज़ार सिक्के और इनके अलावा विभिन्न तरह के लगभग 10 हज़ार रुपये के सिक्के मौजूद हैं। यदि इन सिक्कों का वजन किया जाए तो वह लगभग तीन क्विंटल से अधिक होगा। उनके पास भारतीय फैंसी व सैमी फैंसी (विशेष नंबर वाले) नोट जैसे 000001, 000786 आदि सहित विभिन्न नंबरों वाले लगभग हज़ार नोट मौजूद हैं। उक्त के अलावा 1, 2, 5, 10, 20, 50, 100 व 500 रुपये के पुराने नोट भी मौजुद हैं।

केवल सिंह राणा सिर्फ पुराने सिक्कों, नोटों एवं करंसी के ही शौकीन नहीं हैं बल्कि वह एक बहुत बढिय़ा इन्सान, उच्च दर्जे का समाज सेवी, हर किसी का मददगार भी है। इसके अलावा वह एक बढिय़ा लेखक भी है जिनकी पहली मिन्नी कहानियां पुस्तक हल्फनामा का शीघ्र ही विमोचन होने जा रहा है जबकि एक काव्य पुस्तक इस वर्ष के अंत तक मुकम्मल हो जाएगी।

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