
State government's two ministers dismiss petition
उच्च न्यायालय में जनहित याचिका
- मुख्य न्यायाधीश सुनवाई से हटी
- मामला अन्य बेंच को किया ट्रांसफर
चेन्नई. मद्रास उच्च न्यायालय में शुक्रवार को केंद्रशासित प्रदेश पुदुचेरी की उपराज्यपाल किरण बेदी को वापस बुलाए जाने को लेकर जनहित याचिका दायर हुई। मु य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी की सदस्यता वाली प्रथम पीठ के समक्ष यह याचिका सुनवाई के लिए आई। मु य न्यायाधीश ने इस सुनवाई से स्वयं को हटाते हुए मामला न्यायाधीश सीटी सेल्वम और एन. सतीश कुमार की खण्डपीठ को ट्रांसफर कर दिया।
मु य न्यायाधीश ने कहा कि ऐसे कई अवसर आए हैं जब वे उपराज्यपाल से निजी और आधिकारिक स्तर पर मिली हैं। ऐसे में उनको लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करना सही नहीं होगा।
यह जनहित याचिका पुुुदुचेरी भाकपा के सचिव टी. मुरुगन ने लगाई है। याची का आरोप है कि २०१६ में किरण बेदी केंद्रशासित प्रदेश की उपराज्यपाल बनीं और तब से उन्होंने कभी भी संविधान का स मान नहीं किया है। किरण बेदी का संवैधानिक प्रक्रिया और वर्णित शक्तियों पर कभी विश्वास नहीं रहा है। वे संविधान का संरक्षण करने में विफल रही हैं।
वादी ने कई उद्दरण पेश करते हुए आरोप लगाया कि उपराज्यपाल ने न्यायपालिका, विधायिक और कार्यपालिका के कार्यों और अधिकारों में दखलंदाजी की है। संविधान का उल्लंघन उनकी नैत्यिक प्रवृत्ति हो गई है। वे तानाशाह के तौर पर कार्य कर रही हैं। याची ने कोर्ट से फरियाद लगाई कि वह केंद्रीय गृह मंत्रालय को उपराज्यपाल बेदी को वापस बुलाने का निर्देश जारी करे।
जयललिता की बेटी होने का दावा मामला
हाईकोर्ट ने अपोलो अस्पताल को जारी किया नोटिस
चेन्नई. तमिलनाडु की पूर्व मु यमंत्री जे. जयललिता की बेटी होने का दावा करने वाली एस. अमृता की उप याचिका पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को अपोलो अस्पताल को नोटिस जारी किया है।
अपनी सब पेटीशन में याची ने कहा है कि अपोलो अस्पताल से उन्हें अब तक कोई पूर्व में भेजे गए नोटिस का कोई जवाब नहीं मिला है कि उसके पास पूर्व मु यमंत्री का कोई जैविक नमूना है अथवा नहीं।
जब यह मामला सुनवाई के लिए न्यायाधीश एस. वैद्यानाथन की खंडपीठ के समक्ष आया तो महाधिवक्ता विजय नारायण ने कहा कि अमृता ने जो मुद्दा उठाया है वह ३० साल पुराना है। इस मामले पर अनुसंधान चल रहा है और गत तीन दशकों के रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। इस वजह से उन्होंने अदालत से मोहलत मांगी। उनकी फरियाद को स्वीकारते हुए जज ने मामले की सुनवाई ७ मार्च तक के लिए टाल दी।
अपनी मूल याचिका में अमृता ने खुद को जयललिता की बेटी बताते हुए मांग की थी कि चेन्नई महानगर निगम और मु य सचिव को निर्देश दिए जाएं कि उनको अपनी मां का अंतिम संस्कार वैष्णव अय्यंगार रीति-रिवाज से करने दिया जाए।
इस मामले में जयललिता की भतीजी दीपा और भतीजे दीपक ने कहा कि अमृता ने जो दावा पेश किया वह गलत है।
वहीं इस मामले में एआईएडीएमके पार्टी के कर्नाटक इकाई के सचिव पुगलेंदी और पार्टी सदस्य पीए जोसफ ने याचिका दायर कर खुद को इस मामले में पक्षकार बनाने की मांग की है और कहा कि अमृता का दावा गलत है।
Published on:
24 Feb 2018 02:25 am
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