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अतिक्रमण हटने से कम होगा मानव-वन्यजीव के बीच संघर्ष

सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जताई खुशी

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Conflicts between human-wildlife will be less than encroachment

अतिक्रमण हटने से कम होगा मानव-वन्यजीव के बीच संघर्ष

कोयम्बत्तूर. नीलगिरी जिले में जंगली हाथियों के पर परागत गलियारों पर किए गए अतिक्रमणों को 48 घंटे में हटाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वन्यजीव प्रेमियों ने प्रसन्नता जताई है। उनका कहना है कि इस आदेश की पालना होने के बाद मानव-वन्यजीवों के बीच संघर्ष में कमी आएगी। जंगली जानवरों में हाथी के हमले सर्वाधिक हुए हैं। बाघ , भालू व गौर भी खतरनाक साबित होते हैं।अकेले नीलगिरी जिले में ही वर्ष2016 में 12 लोग हाथी के हमले में मारे गए थे।बाघ ने एक जने की जान लेली थी। भालू ने दो लोगों को मार दिया था। गौर भी एक आदमी की जान ले चुका था। वर्ष 2015 में हाथी के हमले में 15 लोग मारे गए थे। बाघ ने एक टी एस्टेट कर्मचारी को मार दिया था। पिछले पांच सालों में नीलगिरी जिले के गुडलूर में मानव -वन्यजीव संघर्ष की सर्वाधिक घटनाएं हुई हैं।

आखिर वन विभाग अब तक हाथियों के पर परागत गलियारों की पहचान क्यों नहीं कर पा रहा
वन्यजीव प्रेमियों ने पेरुर से सटे गांवों का उदाहरण देते हुए बताया कि यहां हर साल हाथी उत्पात मचाने आ जाते हैं। यह सही नहीं है , जिस इलाके में हाथियों का झुण्ड आया है वह उनका पर परागत रास्ता है। वे अपने बच्चों को गलियारों से परिचित कराने के लिए निकलते हैं। सालों से यह क्रम चल रहा है. लेकिन उनके सुरक्षित मार्ग तक यदि आबादी का विस्तार होता है। खेती-बाड़ी की जाने लगी हो तो यह हाथियों का कसूर नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि आखिर वन विभाग अब तक हाथियों के पर परागत गलियारों की पहचान क्यों नहीं कर पा रहा। वन विभाग के अधिकारी भी मानते हैं कि वन्यजीवों के बढ़ते हमलों का कारण मानव का जंगल में दखल देना है। जब जंगल की जमीन पर खेती की जाएगी। खेती की तरीका बदला जाएगा। अन्य गतिविधियां बढ़ेगी तो जंगल में रहने वाले जानवर इनसे प्रभावित होंगे ही। वन्यजीव प्रेमी इससे सहमत है पर वे वन विभाग पर सवाल खड़े करते हैं। इनका कहना है कि आखिर जंगल की जमीन पर कब्जे रोकने का दायित्व किसका है। वनभूमि के आस पास होटल मोटल , अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को अनापत्ति प्रमाण पत्र कौन देता है।वन विभाग यदि अपना दायित्व सही ढंग से निभा ले तो ऐसी घटनाओं में कमी जरूरत आ सकती है। जंगल के बीच सड़कों का निर्माण भी बंद होना चाहिए। वन विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि जंगल के पास के गांवों में यदि केले, गन्ने, अन्य फल व सब्जियों की खेती बड़े पैमाने पर होगी तो जंगली जानवर इनकी ओर आकर्षित होंगे ।यदि वास्तव में मानव -पशु संघर्ष रोकना है तो हमें एक-एक कारण का पता कर समाधान करना होगा। जंगल के आसपास हमें इस तरह की खेती रोकनी होगी। शाम के झुरमुटे में लोग बिना सोचे विचारे जंगल के आसपास घूमते रहते हैं। जबकि वन विभाग कई वर्षों से लोगों को सतर्क करता रहा है कि शाम के समय जंगल के बीच के रास्तों का उपयोग नहीं करें।