
गुरु के प्रति रहे समर्पण भाव: मुनि प्रशांत
जितना महत्व जीवन में श्वास का होता है उतना ही महत्व जीवन में गुरु का होता है। गुरु के प्रति हमारे मन में समर्पण का भाव होना चाहिए
तिरुपुर. मुनि प्रशांत कुमार ,मुनि कुमुद कुमार को सोमवार को समर्पण पुस्तक समर्पित की गई। इस अवसर पर धर्म सभा में मुनि प्रशांत कुमार ने कहा समर्पण पुस्तक आचार्य महाश्रमण के प्रति श्रद्धा आस्था समर्पित करने की पुस्तक है।गुरु का हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है। जितना महत्व जीवन में श्वास का होता है उतना ही महत्व जीवन में गुरु का होता है। गुरु के प्रति हमारे मन में समर्पण का भाव होना चाहिए। गुरु के समक्ष भी हमारे भीतर अहंकार का भाव होता है तो मानना चाहिए हमारे मन में गुरु के प्रति निष्ठा का भाव आया नहीं। भारतीय संस्कृति में द्रोणाचार्य एवं एकलव्य का प्रेरक उदाहरण मिलता है ।
समर्पण पुस्तक के 11 अध्याय हैं जो कि हमारे कर्म निर्जरा में सहायक सिद्ध होगी
उन्होंने कहा कि आचार्य महाश्रमण का तिरुपुर आगमन हमारे जीवन का आध्यात्मिक विकास का सेतु बनेगा। इस पुस्तक का अधिक से अधिक उपयोग करें। मुनि कुमुद कुमार ने कहा कि जीवन का सौभाग्य होता है जब गुरु का आगमन हमारे घर आंगन में होता है । गुरु के प्रति हमारे मन में विनय तो होना ही चाहिए। समर्पण पुस्तक के 11 अध्याय हैं जो कि हमारे कर्म निर्जरा में सहायक सिद्ध होगी। सामायिक वाणी, संयम, ज्ञान ,आराधना ,अर्हत वंदना इत्यादि अध्यात्म साधना के सूत्र तिरुपुर के प्रत्येक श्रावक समाज को पूर्ण करके गुरु को अध्यात्म की भेंट देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चातुर्मास का समय एवं गुरुदेव का आगमन आत्म शुद्धि का माध्यम बनेगा। वर्धमान महोत्सव समिति के संयोजक कमलेश भादानी ने पुस्तक के बारे में जानकारी दी और मुनिद्वय को पुस्तक अर्पित की। मुनि प्रशांत कुमार के सानिध्य व मुनि कुमुद कुमार के निर्देशन में तेरापंथ कन्या मण्डल द्वारा भाषण प्रतियोगिता आयोजित की गई।
Published on:
07 Aug 2018 01:45 pm
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