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हम यहां बेहाल वहां वो परेशान हैं साहब

बेसब्र मजदूर प्रशासन को सुनने को तैयार नहीं है। उनका कहना है कि वे यहां महानगर में फंसे हुए हैं जबकि उनके परिवार गांव में दाने-दाने को मोहताज है........

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बेसब्र मजदूर प्रशासन को सुनने को तैयार नहीं

मजदूरों को समझाते बिहार एसोसिएशन के पदाधिकारी

चेन्नई. महानगर कोरोना वायरस संक्रमण और आगे बढ़ते लॉकडाउन ने प्रवासी मजदूरों के सब्र की परीक्षा लेना शुरु कर दी है। आलपाक्कम भवन निर्माण क्षेत्र में फंसे मजदूरों ने सोमवार रात हंगामा खड़ा दिया। मजदूरों का आरोप है कि ठेकेदार उनका पगार भी नहीं दे रहे और न उन्हें घर तक जाने दिया जाता है सरकार भी उनकी समस्याओं का समाधान नहीं निकाल रही हैं। वे यहां महानगर में फंसे हुए हैं जबकि उनके परिवार गांव में दाने-दाने को मोहताज है।

जेब में फूटी कौड़ी नहीं

झारखंड पलामू निवासी मोहम्मद असलम कहते हैं कि पिछले 1 महीने से उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा है कि ठेकेदार पगार दे रहे हैं और उन्हें घर जाने की व्यवस्था की जा रही है। अब वो लोग परेशान हो गए हैं इसीलिए वह सडक़ पर उतरने को तैयार है। दुमका झारखंड मूल के रमेश कहते हैं कि आलपाक्कम में 1100 मजदूर है। राशन का किट सरकार द्वारा मुहैया कराया गया, लेकिन सब्जी और मसाले के लिए जेब में फूटी कौड़ी नहीं है, ऐसे में हम घर कैसे चलाएंगे। ठेकेदार के पास हमारा मार्च महीने की तनख्वाह भी पेंडिंग है। कोडरमा निवासी रविंद्र कहते हैं कि एक ही घर में 20 से 25 मजदूर रहते हैं ऐसे में हम सोशल डिस्टेंसिंग कैसे रख सकते हैं। मुजफ्फरपुर बैरिया निवासी अखिलेश महतो के अनुसार सरकार ने खाने-पीने का बेहतर प्रबंध कर दिया है। स्वास्थ्य जांच के लिए मेडिकल टीम भी आ रही हैं। इसलिए हमें धैर्य रखने की जरूरत है।

गौरतलब है कि रविवार को भी इन मजदूरों ने हंगामा खड़ा किया था। पुलिस टीम और बिहार एसोसिएशन द्वारा इन दिहाड़ी मजदूरों को समझाने का बहुत प्रयास किया गया लेकिन यह मजदूर गांव जाने के लिए जिद पर अड़े हुए हैं। बिहार एसोसिएशन के सह सचिव मुकेश ठाकुर का कहना था कि श्रम एवं कल्याण विभाग एवं ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन के कहने पर हम लोग मजदूरों को समझाने आए थे लेकिन मजदूर किसी भी बात को सुनने को तैयार नहीं है। उनका कहना था संबंधित ठेकेदार से भी संपर्क किया गया है। सरकार भी मजदूरों को उनके घर भेजने को लेकर बेहद चिंतित है ऐसे में दिहाड़ी मजदूरों का फर्ज बनता है कि वह सब्र के साथ कुछ दिनों तक यहां रहे। एसोसिएशन के वरिष्ठ सदस्य अमरनाथ मिश्रा ने बताया कि बिहार सरकार में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे से भी बिहारी मजदूरों को घर भेजने के बारे में बातचीत की गई है सरकार इन मजदूरों की समस्या हल करने के लिए योजना बना रही हैं। कुछ दिनों में इन सभी फंसे मजदूरों को घर वापसी कराई जाएगी।