
गुणानुवाद ही नहीं, विचारों का अनुगमन भी करें: मुनि ज्ञानेंद्र कुमार
हम केवल उनका गुणानुवाद ही नहीं अपितु उनके विचारों की अनुप्रेक्षा करें, ध्यान का प्रयोग करें
तिरुपुर. आचार्य महाप्रज्ञ का 99 वां जन्मदिवस प्रज्ञा दिवस के रूप में तिरुपुर तेरापंथ भवन में आयोजित हुआ। मुनि ज्ञानेंद्र कुमार ने कहा कि उन्होंने अपने जीवन में साधना समर्पण शिक्षा से अपनी प्रज्ञा जागृत की, इसलिए उनके जन्मदिन को प्रज्ञा दिवस के रूप में मनाते हैं। वह शिशु की तरह सरल, विनम्रता की पराकाष्ठा से भावित व्यक्तित्व थे। गुरु के प्रति समर्पण भाव ने उन्हें विराट बना दिया। वह महान योगी सिद्ध साधक थे। हम केवल उनका गुणानुवाद ही नहीं अपितु उनके विचारों की अनुप्रेक्षा करें, ध्यान का प्रयोग करें। हम शब्दों से नहीं समर्पण से भावों से अवदानों को जीवन में अपनाकर भावांजलि अर्पित करें। वर्षभर साहित्य का पठन कर अपनी प्रज्ञा को जागृत करें।
आगम साहित्य जैसे ज्ञानराशि का संपादन कर उन्होंने साहित्य जगत में ज्ञान का भंडार भर दिया
मुनि प्रशांत कुमार ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ का जीवन बहुआयामी रहा। वे अपने संकल्प के द्वारा विकास के शिखरों पर पहुंच गए। उनके जीवन में चिंतन की गहराई भावों की ऊंचाई थी। आगम साहित्य जैसे ज्ञानराशि का संपादन कर उन्होंने साहित्य जगत में ज्ञान का भंडार भर दिया। उनका जीवन हमारे लिए प्रेरणा का काम करे। हम भी प्रज्ञ से महाप्रज्ञ बनें।
मुनि कुमुद कुमार ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ के साहित्य ने हजारों व्यक्तियों के आदतों में परिवर्तन का काम किया है। मुनि विमलेश कुमार ने कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ ने अहिंसा यात्रा के माध्यम से जन-जन में अहिंसा की चेतना को जागृत कर शांति का संदेश दिया। मुनि सुबोध कुमार ने कहा कि महापुरुषों का जीवन हमारे लिए पथ निर्माण का कार्य करता है।
सभा मंत्री जितेंद्र भंसाली, शांतिलाल झाबक, चेतन बरडिया, कोयंबतूर सभा अध्यक्ष निर्मल रांका ने विचार व्यक्त किए। संजू दुग्गड़ एवं महिला मंडल ने गीत की प्रस्तुति दी।
संचालन मुनि विमलेश कुमार ने किया।

Published on:
12 Jul 2018 02:29 pm
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