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भट्टों में ताड़ की लकड़ी पर लग सकती है रोक

जंगल से सटे गावों में ईंट-भट्टों पर ताड़ की लकड़ी का उपयोग किया जाता है

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कोयम्बत्तूर .हाथियों के आबादी क्षेत्र में आने से रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों के तहत अब वन विभाग ने एक प्रस्ताव तैयार किया है। विभाग के अनुसार जंगल से सटे गावों में ईंट-भट्टों पर ताड़ की लकड़ी का उपयोग किया जाता है। ईंट पकाने में ताड़ के पत्तों सहित लकड़ी को जलाया जाता है। इसलिए इसका बड़ी मात्रा में भंडारण सामान्य बात है। लेकिन वन विभाग का मानना है कि ताड़ की गंध से जंगली हाथी गांवों में आ धमकते हैं।

शहर से सटे तड़ागम में कई ईंट भट्टे हैं, यहां आए दिन जंगली हाथी मंडराते रहते हैं...
शहर से सटे तड़ागम में कई ईंट भट्टे हैं। यहां आए दिन जंगली हाथी मंडराते रहते हैं। इसका बड़ा कारण ताड़ की लकड़ी व पत्तियों की गंध है जिससे वे आकर्षित होते हैं। विभाग ने भ_ा मालिकों और कर्मचारियों की बैठक आयोजित की। इसमें जिसमें वन अधिकारी, तड़ागम ईंट्स निर्माता एसोसिएशन के सदस्यों ने भाग लिया। उन्होंने आवासीय क्षेत्रों में स्ट्रीट लाइट लगाने की मांग की। पिछले दिनो एक ईंट भट्टे के पास आए हाथी पर पत्थर फेंकते तीन युवकों का वीडियो भी वायरल हुआ था। वन अधिकारियों ने इसकी छानबीन की तो ईंट भट्टा संचालकों ने बताया कि तीनों युवक बाहर के थे। तड़ागम इलाके में हाथियों के अक्सर दिखाई देने पर वन अधिकारियों ने श्रमिकों और यहां के निवासियों को सलाह दी है कि रात के समय और अल सुबह घरों से बाहर निकलते समय सावधानी बरते। हाथियों के हमले अक्सर इसी समय होते हैं।

विभाग का मानना है कि कटहलकी गंध हाथियों को आकर्षित करती है
वन विभाग समय -समय पर जंगल से सटे गांव-कस्बों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करता है। गांवों में कटहल व अन्य फलों के भंडारण रोकने की कोशिश भी की जाती है। विभाग का मानना है कि कटहलकी गंध हाथियों को आकर्षित करती है। जंगल से निकल कर हाथी गंध की दिशा में आबादी क्षेत्र में आ सकते हैं। अधिकारी चेताते है कि कटहल की वजह से यदि हाथी आबादी में आ कर नुकसान करते है तो वन विभाग कोई मुआवजा नहीं देगा।पिछले दिनों वन विभाग के अधिकारियों ने कल्लर, कन्नूर, ऊटी, मेट्टूपालयम सहित जंगल से सटे कस्बों में देखा कि बड़े पैमाने पर कटहल की दुकानें सजी है। पर्यटकों को कटहल बेचा जा रहा है। इसका कारोबार खतरनाक हो सकता है। उनका कहना है कि कटहल हाथियों का सबसे प्रिय फल है।इसकी गंध भी तेज होती है। गंध के सहारे ही हाथी इनके पेड़ों तक पहुंचते हैं।

कम मात्रा में कटहल रखने से कोई खतरा नहीं है
नीलगिरी के जंगलों से चोरी छिपे भी कटहल तोड़ कर लाया जाता रहा है। विभाग का मानना है कि कटहल जब आबादी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर बेचा व भंडारण किया जाएगा तो हाथी आबादी में आएंगे। इससे मानव -पशु संघर्ष की आशंका रहेगी।
इसका भंडारण घरों व दुकानों में किया जाता है तो हाथी वहां आकर तोडफ़ोड़ कर सकते हैं। कम मात्रा में कटहल रखने से कोई खतरा नहीं है। लोग आम दिनों की तरह ही इसका उपयोग करें। खतरा बड़े पैमाने पर भंडारण से है। तरबूज,आम व अन्य फलों की गंध चंूकि इतनी तीखी नहीं होती। इसलिए इन फलों के व्यापार व भंडारण में कोई खतरा नहीं है।