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पांच सौ सांडों को नियंत्रित करने के लिए जोर-आजमाइश की

परम्परा से लगाव का गवाह बना जलीकट्टू..

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jalikattu festiwal

कोयम्बत्तूर. राज्य के युवाओं में अपनी परम्परा और ग्रामीण खेलों के प्रति आत्मिक लगाव का नजारा नम्मा कोवई जलीकट्टू के दौरान दिखाई दिया। कोयम्बत्तूर व आसपास के शहरों से आए 50 हजार से अधिक लोगों ने जोश, जज्बे व जांबाजी का यह खेल करीब से देखा। लगभग पांच सौ सांडों को बारी-बारी से नियंत्रित करने के लिए राज्य के विभिन्न हिस्सों से आए 450 युवकों ने जोर-आजमाइश की। इस दौरान चार लोगों को मामूली चोट आई।

सांड मैदान में आते और फिर उन्हें नियंत्रित करने के लिए युवक एड़ी-चोटी का जोर लगा देते
एक-एक करके सांड मैदान में आते और फिर उन्हें नियंत्रित करने के लिए युवक एड़ी-चोटी का जोर लगा देते। कुछ पलों तक चलनेवाली इस रोमांचक जंग को हजारों लोगों ने अपलक देखा और खिलाडिय़ों का उत्साहवर्धन किया। कई घंटे तक चले इस खेल के विजेता मेट्टुपट्टी के कार्तिक रहे, जिन्होंने सर्वाधिक संाडों को काबू में किया। कार्तिक को पुरस्कार के रूप में एक कार मिली। खेल में दूसरे व तीसरे स्थान पर रहने वाले खिलाडिय़ों को मोटरसाइकिल व मोपेड से संतोष करना पड़ा। जलीकट्टू पेरवई के राजशेखर के सांड को प्रतियोगिता का सर्वश्रेष्ठ सांड आंका गया।

लोकप्रियता का आलम यह था कि जिसको जहां जगह मिली वह वहीं से खेल की झलक पा लेना चाहता था
नगर निगम व ओमकार फाउंडेशन की ओर से आयोजित इस खेल की लोकप्रियता का आलम यह था कि जिसको जहां जगह मिली वह वहीं से खेल की झलक पा लेना चाहता था। राष्ट्रीय राजमार्ग के निकट आयोजित प्रतियोगिता के कारण जाम जैसी स्थिति बन गई।
सुबह प्रतियोगिता का उद्घाटन करनेवाले मंत्री एसपी वेलुमणि ने बाद में विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए। आयोजन स्थल पर लोगों के पहुंचने के लिए विशेष रूप से बसों की व्यवस्था की गई थी और सुरक्षा के मद्देनजर दो हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात रहे। कुल मिलाकर २५ एकड़ के मैदान में व्यापक इंतजाम किए गए थे।