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अहिंसा चेतना को मजबूत बनाने के लिए मैत्री भावना आवश्यक

नागरिक अभिनंदन समारोह में आचार्य महाश्रमण ने कहा

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To strengthen the non-violence consciousness requires friendship

अहिंसा चेतना को मजबूत बनाने के लिए मैत्री भावना आवश्यक

चेन्नई. आचार्य महाश्रमण ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि संत वह होता है जो शांत होता है। जिसे बार-बार गुस्सा आए या तो वह संत नहीं अथवा उसकी संतता में कमी हो सकती है। संत के जीवन में दया, करुणा व अहिंसा होती है। उनका जीवन अध्यात्ममय होता है। आचार्य ने कहा आदमी के भीतर अहिंसा की चेतना को पुष्ट करने का प्रयास करना चाहिए। अहिंसा की चेतना को पुष्ट बनाने के लिए आदमी के भीतर मैत्री की भावना होनी चाहिए। मैत्री एक ऐसा तत्व है जिससे हमारी चेतना निर्मलता को प्राप्त होती है और दूसरों के मन में भी सकारात्मकता की भावना पैदा करती है।
इससे पहले नागरिक अभिनंदन समारोह में मुख्य अतिथि राज्यपाल ने कहा कि यह कल्पना नहीं थी कि चेन्नई में राज्यपाल की हैसियत से आपके स्वागत करने के लिए उपस्थित हो पाऊंगा। यह कुछ दैविक शक्ति है और वह दैविक शक्ति के रूप में आप हमारे सामने बैठे हैं। राज्यपाल ने कहा 42,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा, साधारण आदमी सुने तो चक्कर आ जाता है। सीधी बात, कोई कैलकुलेशन करने की जरूरत नहीं, 101 फीसदी आचार्य महाश्रमण के साथ दैवीय शक्ति है उसके बिना यह संभव नहीं हो सकता। राज्यपाल ने कहा सर्वोच्च त्याग, इससे बड़ा त्याग नहीं हो सकता। जैसे महर्षि दधीचि ने पाप को नष्ट करने के लिए अपना पूरा शरीर इंद्र को दे दिया। इससे बड़ा त्याग हो ही नहीं सकता। आचार्य की ओर इशारा करते हुए जनमेदनी को कहा कि आज के जमाने में ये जो हमारे सामने बैठे हैं, उन्होंने अपना पूरा शरीर ही राष्ट्र को त्याग में दे दिया है। राज्यपाल ने जनता का आह्वान करते हुए कहा कि सादा जीवन रखना चाहिए। गलत पैसा, पाप का पैसा परिवार में नहीं आना चाहिए। मैं यह दावे के साथ कहता हूं कि यदि हमारे देश में रहने वाले सभी लोग आचार्य महाश्रमण के सादा जीवन का उपदेश जीवन में उतार लें तो देश से भ्रष्टाचार जड़मूल ही खत्म हो जाएगा, सारे सुखी हो जाएंगे। यह रामबाण औषधि है।
राज्यपाल ने कहा कि हमारी संगत अच्छी रहे। दिल बड़ा रहे। यह ध्यान में रखने की बात है कि हम अकेले रह जाएं लेकिन बुरे दोस्तों के साथ नहीं रहना चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि हमारी संस्कृति हजारों वर्ष पुरानी है। उसको समाप्त करने के लिए मुगलों और अंग्रेजों ने कई बार कोशिश की, पर यह संस्कृति आज भी कायम है, क्योंकि हमारी संस्कृति धर्म आधारित है और धर्म को हरा भरा रखने का काम करते हैं आचार्य महाश्रमण जैसे संत, ऋषि। राज्यपाल ने कहा कि चौमासे में आचार्य का नियमित प्रवचन मन लगाकर सुनिए। सुन कर जीवन में कुछ ग्रहण करें तो चातुर्मास के बाद आपके चेहरे पर तेज आएगा, अलग आनंद महसूस करोगे, नए जीवन की शुरुआत होगी, पूरा परिवार का माहौल बदल जाएगा, आदर्श परिवार बन जाएगा।
साध्वी कनकप्रभा, साध्वी विश्रुतविभा ने जीवन को सारपूर्ण बनाने की प्रेरणा दी। चातुर्मास व्यवस्था समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जयंतीलाल सुराणा ने राज्यपाल का परिचय प्रस्तुत किया। व्यवस्था समिति के महामंत्री रमेशचन्द्र बोहरा ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी।
व्यवस्था समिति के अध्यक्ष धर्मचंद लूंकड़, स्वागताध्यक्ष प्यारेलाल पितलिया, गौतमचन्द सेठिया ने स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्रम से राज्यपाल का सम्मान किया। कार्यक्रम के शुरुआत में तमिल गान एवं आचार्य के मंगलपाठ के उपरान्त राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम का संचालन मुनि दिनेश कुमार ने किया। सोमवार को आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत आचार्य महाश्रमण के दर्शनार्थ चेन्नई पहुंचेंगे।