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620 घरों ने अपनाई सोलर ऊर्जा, रोजाना 11 हजार यूनिट से अधिक उत्पादन

यह बदलाव न केवल उपभोक्ताओं की जेब पर राहत का सबब बना है बल्कि पर्यावरण और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में भी मील का पत्थर साबित हो रहा है।

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solar plant

रुफ टॉप सोलर प्लांट

अब छतरपुर शहर में घरों की छतें सिर्फ धूप नहीं सोख रहीं, बल्कि बिजली भी पैदा कर रही हैं। जिले में 620 से अधिक मकानों की छतों पर सौर पैनल लग चुके हैं, जिनसे प्रतिदिन 11160 यूनिट से ज्यादा बिजली का उत्पादन हो रहा है। यह बदलाव न केवल उपभोक्ताओं की जेब पर राहत का सबब बना है बल्कि पर्यावरण और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में भी मील का पत्थर साबित हो रहा है।

नियमों में ढील, अब छत की क्षमता के अनुसार सोलर पैनल

बिजली कंपनी ने सबसे बड़ा बदलाव यह किया है कि अब उपभोक्ताओं को कनेक्शन के लोड के हिसाब से सोलर पैनल लगाने की बाध्यता नहीं रही। यानी जिसके पास 1 किलोवाट का घरेलू कनेक्शन है, वह अपनी छत पर 5 किलोवाट का पैनल भी लगा सकता है। इससे लोगों को पूरी आजादी मिल गई है कि वे अपनी जरूरत और बजट के अनुसार सौर ऊर्जा अपनाएं।

ऑनलाइन हो रही प्रक्रिया

अब सोलर पैनल इंस्टॉलेशन की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है। उपभोक्ता बिजली कंपनी के पोर्टल पर आवेदन कर खुद वेंडर चुन सकते हैं। इससे पारदर्शिता और सुविधा दोनों बढ़ी हैं। कंपनी ने सभी उपभोक्ताओं के यहां स्मार्ट मीटर लगा रही है। यह मीटर बताता है कि घर में कितनी बिजली खपत हुई और कितनी यूनिट सौर पैनल से बनकर ग्रिड को वापस दी गई।

बिल में बड़ा फर्क, अनुभव गवाही दे रहे

दीपक पाठक ने फरवरी में 3 किलोवाट का पैनल लगवाया। पहले गर्मियों में 5 हजार रुपए तक बिल आता था, अब एसी चलाने पर भी महज 500-600 रुपए देना पड़ता है। कृष्ण कुमार के यहां तो खपत से ज्यादा बिजली उत्पादन हो रहा है, अतिरिक्त यूनिट कंपनी खरीद रही है। कंपनी उपभोक्ताओं से बची हुई बिजली 2.72 रुपए प्रति यूनिट की दर से खरीद रही है। साल में एक बार इसका हिसाब होता है। हालांकि, 3 किलोवाट पर 480 रुपए का फिक्स चार्ज भी लिया जाता है। यह योजना ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का बड़ा उदाहरण है। तकनीकी बाधाएं हटने और प्रक्रिया आसान होने से अब हर आम उपभोक्ता अपनी छत को मिनी पावर प्लांट बना सकता है।