मानव कैसा होना चाहिए ?
पीठाधीश्वर का कहना है कि मानव सेवा भावी होना चाहिए। जो दूसरों के काम आए वहीं इंसान है। अपने लिए तो सभी जीते हैं। जो दूसरों के काम आए वहीं मानव है। जो एक दूसरे की सेवा करें, धर्म परायण होगा। ऐसा व्यक्ति अपने समाज, परिवार, क्षेत्र, प्रदेश की उन्नति करेगा। देश को गौरवान्वित करेगा। निश्चित ही वह नई-नई ऊंचाइयों को छूएगा।
‘हनुमान जी से समर्पण की मिलती है सीख’
उन्होंने कहा कि हनुमान जी ने अपने जीवन में जो भी उपलब्धि पाई, जो भी काज किए उसे प्रभु के चरणों में समर्पित कर दिया। उनके जीवन से यही शिक्षा मिलती है कि अपने जीवन का सबकुछ प्रभु को समर्पित करने से चारों युग में परिताप बना रहेगा।
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‘वैदिक परंपरा की ओर लौटने से बनेंगे विश्वगुरु’
समाज को अपने नजरिए से देखते हुए उन्होंने कहा कि कलयुग में राम नाम की महिमा है। जो भी राम नाम में डूब जाता है, धर्म की रक्षा करने वाले साधु संतो, माता-पिता और गुरु का सम्मान करता है। कलयुग में उस पर हनुमान जी महाराज की कृपा निश्चित रुप से होती है। वे कहते हैं कि समाज को मैं राममय देख रहा हूं। हम सब वैदिक परंपरा की ओर लौटे और हमारा भारत विश्वगुरु बने।
‘पिता की तरह कष्ट हरते हैं हनुमान’
धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री आगे कहते हैं कि कलयुग के राजा हनुमान जी हैं। जब श्री राम परमधाम को जाने लगे तब हनुमान जी को उन्होंने राजा बनाया था। राजा के राज्य में कोई प्रजा दुखी नहीं रह सकती है। जो भी इनकी शरण में आते हैं। निश्चित रुप से एक पिता और राजा के रुप में हनुमान जी सबके कष्ट हरते हैं। वर्तमान समाज व परिदृश्य में हनुमान जी महाराज के कार्य बहुत ही अनुकरणीय हैं। हनुमान जी जैसा देवता कोई नहीं है। माता-पिता की सेवा का हनुमान जी जैसा भाव सबमें आए तो जीवन का उद्धार होगा।
‘संतों की तपोस्थली है बागेश्वर बालाजी धाम’
महाराज ने बताया कि बागेश्वर धाम चंदेलकाल के पूर्व का मंदिर है। इस स्थान पर संतो ने साधना की है। दादा गुरू जी ने साधना की, वे भी दरबार लगाते रहे हैं। उनके पूर्व सन्यासी बाबा ने भी यहां साधना की। यहां शिव मंदिर विराजमान है। इस स्थान की अदभुत महिमा है। यहां जो रोते हुए आते हैं, बालाजी उन्हें हंसते हुए भेजते हैं। बागेश्वर धाम में स्वयंभू हनुमान ही महाराज विराजमान हैं।
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‘पवित्रता व दृढ़ संकल्प से मिलती है कृपा’
पवित्रता व शरणागति के माध्यम से हम हनुमान जी की कृपा पा सकते हैं। हनुमान प्रकटोत्सव पर हमें पवित्रता का दृढ़ संकल्प लेना चाहिए। पवित्रता व दृढ़ संकल्प नहीं है तो हनुमान जी की कृपा से वंचित रह जाते हैं।
‘भटके युवाओं को सही राह दिखाने का संकल्प’
उन्होंने कहा कि भटके हुए युवा और भटके हुए लोगों को सनातन से जोडऩे का ध्येय है। समाज में मानवता आ जाएगी , सबको लेकर चलने की दृणता आ जाएगी तो निश्चित रुप से हमारा देश विश्व गुरु बन जाएगा। समाज से सुधार लाने की क्रांति मन में जग रही है। वर्तमान में मानवता लुप्त होती जा रही है। इस पर कार्य करने की हमारे मन में प्रेरणा है। कन्या विवाह के साथ साथ धाम से अनवरत समाज सेवाएं चल रही हैं। गुरुकुल, संस्कृत और भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करने का भाव मन में प्रबल हो रहा है। मानव हित के लिए इस सदकार्य में सभी का सहयोग मिलेगा, ऐसा मेरे मन में विश्वास है।
‘हनुमान जी का जन्मोत्सव होता है’
धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने हनुमान जयंती कहने को गलत बताते हुए कहा कि जयंती महापुरुषों की मनाई जाती है, जिनका जीवन पूर्ण हो चुका है। हनुमान जी महाराज तो आज भी हमारे बीच मौजूद हैं। बागेश्वर धाम पर लीलाएं कर रहे हैं। मेहंदीपुर बालाजी, सारासर बालाजी में भी लीलाएं कर रहे हैं। कलयुग के जागृत देवता का जन्मोत्सव, प्रकटोत्सव मनाया जाता है।
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