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संभागभर के सांदीपनि स्कूल के विद्यार्थियों को विद्यालय पहुंचाने के लिए बसों का नहीं हो सका प्रबंध

स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों को बस सुविधा अभी तक नहीं मिल सकी है। ये हालात न केवल छतरपुर जिले के हैं, बल्कि सागर संभाग और प्रदेश के सांदीपनि स्कूलों में यही हाल है।

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सीएम राइज स्कूल नौगांव

जिलेभर में छतरपुर, नौगांव, बड़ामलहरा, बकस्वाहा और राजनगर स्कूलों का संचालन सांदीपनि सीएम राइज स्कूल की गाइडलाइन अनुसार किया जा रहा है। वहीं बिजावर, लक्कुशनगर और गौरिहार में भवन बनने में लेटलतीफी होने से संचालन सांदीपनी की जगह अभी भी मॉडल स्कूल के रूप में किया जा रहा है। लेकिन इन स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों को बस सुविधा अभी तक नहीं मिल सकी है। ये हालात न केवल छतरपुर जिले के हैं, बल्कि सागर संभाग और प्रदेश के सांदीपनि स्कूलों में यही हाल है।

आने जाने के लिए प्राइवेट वाहनों के सहारे

स्कूल में बस सुविध भी नहीं है। इसके लिए संयुक्त संचालक शिक्षा कार्यालय से बसों का अनुबंधित करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को बीते वर्ष भेजा गया, लेकिन किसी भी जिले के लिए बसों के अनुबंध को स्वीकृति नहीं दी गई है। इस हाल में छतरपुर जिले में संचालित सीएम राइज स्कूलों के कई बच्चों को साइकिल, ई-रिक्शा या यात्री बस में किराया देकर स्कूल के लिए आना-जाना करना पड़ता है। बच्चों के परिजन ने बताया सीएम राइज स्कूल में तमाम सुविधाएं उपलब्ध होने की जानकारी पर अपने बच्चों के प्रवेश सीएम राइज स्कूल में करा दिया। लेकिन इस वर्ष स्कूल में शिक्षण काम में कोई सुधार नहीं दिख रहा है। बच्चों को स्कूल भेजने के लिए बसें उपलब्ध न होने से वह प्राइवेट वाहनों से किराया देकर बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं।

भोपाल में अटकी फाइल

सांदीपनी स्कूल का नया शैक्षणिक सत्र शुरू हुए पांच महीने बीत चुके हैं। इसके बाद भी स्कूल के विद्यार्थियों को उनके गांव से स्कूल लाने के लिए सरकारी बसों का प्रबंध नहीं हो सका है। बसों के टेंडर मंजूर किए जाने थे लेकिन भोपाल में इसकी प्रक्रिया एक साल से लंबित है। इस हाल में बच्चों को 12 से 15 किमी दूरी से निजी बसों में किराया देकर स्कूल आना पड़ रहा है। शिक्षा विभाग को बसों का प्रबंध छात्रों को स्कूल लाने व स्कूल से घर छोडऩे के लिए करना है।

छात्रों को 15 किमी तक का सफर निजी वाहनों से

सरकार की योजना थी कि 5 किमी के दायरे में आने वाले पुराने स्कूलों को बंद कर सीएम राइज स्कूलों में मर्ज किया जाएगा, ताकि बेहतर संसाधनों का लाभ अधिक छात्रों को मिल सके। लेकिन नौगांव और छतरपुर ब्लॉक में आसपास के लगभग 40 स्कूलों को बंद कर उनके छात्र सीएम राइज स्कूलों में स्थानांतरित कर दिए गए हैं, जबकि अब तक इन छात्रों को लाने-ले जाने के लिए परिवहन साधन का इंतजाम नहीं हो पाया है। छात्रों को ई-रिक्शा, ऑटो, साइकिल और निजी यात्री बसों में 10 से 15 किलोमीटर तक का सफर तय कर स्कूल जाना पड़ रहा है। कई माता-पिता दिन में दो बार किराया देकर बच्चों को स्कूल छोडने और लेने जाते हैं। इससे उन्हें आर्थिक और मानसिक रूप से काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।

टेंडर प्रक्रिया 4 बार की गई, फिर भी नहीं मिला परिवहन साधन

सीएम राइज स्कूलों के लिए बस सेवा उपलब्ध कराने के प्रयास जिला और संभाग स्तर पर चार बार किए जा चुके हैं। दो बार जिला स्तर और दो बार संभाग स्तर पर टेंडर बुलाए गए। लेकिन जिन फर्मों ने आवेदन किया, उनके दस्तावेज अधूरे या अपूर्ण पाए गए। इसलिए वे अपात्र घोषित कर दिए गए। इस पूरी प्रक्रिया की जानकारी भोपाल मुख्यालय को भेजी गई है। अब निर्णय राज्य स्तर से होगा। जैसे ही स्वीकृति मिलती है, बसों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।

छतरपुर सीएम राइज स्कूल में 2100 हुई क्षमता

छतरपुर सीएम राइज स्कूल के उप प्राचार्य आरके शर्मा ने बताया कि स्कूल में 1280 छात्रों की बैठक व्यवस्था थी। नए भवन के पूर्ण होने से बैठक क्षमता 2100 हो गई है। सीएम राइज के इस भवन में जिला स्तरीय कॉन्फ्रेंस रूम, स्मार्ट कक्षाएं, एक्टिविटी रूम और डिजिटल लाइब्रेरी जैसी सुविधाएं भी विकसित की जा रही हैं।

नौगांव सीएम राइज स्कूल: छात्रों की संख्या बढ़ी, लेकिन बस नहीं

प्राचार्य आरके पाठक ने बताया कि नौगांव सीएम राइज स्कूल में 970 छात्र अध्ययनरत थे। भवन निर्माण होने से 2100 छात्रों के बैठने की व्यवस्था हो गई है। उन्होंने कहा कि स्कूल से 5 किमी के दायरे में आने वाले सरकारी स्कूलों के विलय की प्रक्रिया शासन के निर्देशानुसार की गई है। नौगांव के नालापार, सीता निवास, परम कॉलोनी, देवी मंदिर, धरमपुरा, चौबारा, ददरी, सिंगरावान खुर्द, पठवा पुरवा, शिकारपुरा, तिदनी, सिमरधा स्कूल बंद किए गए हैं। इन क्षेत्रों से आने वाले बच्चों को अब खुद व्यवस्था कर स्कूल पहुंचना पड़ता है।

इनका कहना है

परिवहन सेवा की बिडिंग में बिडर आवश्यक शर्ते पूरी नहीं कर पाए थे। खासतौर पर महिला कंडक्टर व पंजीयन जैसी शर्ते पूरी नहीं होने से समस्या आई। पूरे मामले पर अब शासन स्तर पर निर्णय होना है। शासन से पत्राचार किया जा रहा है।

मृत्युंजय कुमार, जेडी, सागर