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बाइपास निर्माण के लिए लगातार किए गए प्रयास, परिणाम कुछ भी नहीं निकला

- प्रस्तावित बाइपास-रिंग रोड के लिए लंबे समय से चली आ रही मांग - शहर में रिंग रोड बनने से हल हो जाती समस्या, लेकिन लगातार हो रही लेटलतीफी

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Chhatarpur

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छतरपुर। दो नेशनल हाइवे के किनारे बसे छतरपुर में यातायात के दवाब को खत्म करने के लिए रिंग रोड बाइपास की मांग लंबे समय से की जा रही है। लेकिन इसको आकार लेने में लगातार देरी हो रही है। शहर के लोगों के लिए ऐसा कोई वैकल्पिक रास्ता भी नहीं है जिससे लोग हर दिन जाम और दुर्घटनाओं की मुसीबत से बच सकें। 122 करोड़ रुपए की रिंग रोड दोनों नेशनल हाइवे (एनएच 75 व एनएच 86 ) से जुडऩा प्रस्तावित है। पिछले बजट में रिंग रोड के लिए 122 करोड़ रुपए भी स्वीकृत हो गए थें। टेंडर की प्रक्रिया शुरू होने के बाद आगे का काम शुरू हो पाता इससे पहले ही प्रदेश में सरकार बदल गई। सागर से कबरई के लिए पूर्व से प्रस्तावित सड़क के लिए डीपीआर तैयार होते-होते रह गया। यह डीपीआर मंत्रालय तक नहीं पहुंच पाया। रिंग रोड के चौका से चंद्रपुरा वाले हिस्से के लिए भूमि अधिग्रहण का काम भी बीच में ही रुक गया। जबकि इसके लिए गजट नोटिफिकेशन हो गया था। एसडीएम छतरपुर को इसकी प्रक्रिया शुरू करनी थी। लेकिन सब कुछ धरा रह गया। सरकार बदले के बाद स्थानीय विधायक ने नए सिरे से इस मामले में रुचि ली, लेकिन अभी भी जमीन स्तर पर बाइपास का काम नहीं आ पा रहा है।
तीन हिस्सों में होना था बाइपास-रिेंग रोड का काम :
शहर के बाहर बनने वाला रिंग रोड बाइपास तीन हिस्सों में तैयार होना प्रस्तावित है। पहले हिस्से में सागर-कबरई राजमार्ग को सागर रोड पर पराचौकी से मोड़कर ग्राम ढड़ारी, नारायणपुरा, गौरगायं होते हुए धमौरा में ग्वालियर-रीवा नेशनल हाइवे तक लाकर जोड़ा जाएगा। इसके बाद झांसी रोड पर धमौरा से कैंड़ी, हमा, राधेपुर, पनौठा, होकर पन्ना रोड पर ग्राम चंद्रपुरा से यह मार्ग नेशनल हाइवे से जुड़ेगा। इन दानों राजमार्गों को शहर के बाहर मोड़कर दो स्थानों पर मिलाने से रिंग रोड का करीब दो तिहाई हिस्सा पूरा हो जाएगा। शेष बचे हुए एक तिहाई हिस्से पर अलग से सड़क बनाई जाना प्रस्तावित है। इसके लिए भी सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय भारत सरकार ने मंजूरी दे दी थी। इस सड़क को सागर रोड पर ग्राम चौका से बूदौर, अतरार, बगौता, गौरईया, मौराहा होते हुए पन्ना रोड पर ग्राम चंद्रपुरा तक नेशनल हाइवे से जोड़ा जाना था। इस तरह से यह रिंग रोड का आकार लेता। इस रिंग रोड बाइपास की परधि में शहर से सटे 16 गांव आ रहे हैं। यह पूरा रिंग रोड फोर लेन बनना प्रस्तावित था।
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री गडकरी से मिल आए विधायक
छतरपुर विधायक आलोक चतुर्वेदी तीन महीने पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से मिले थे। उन्होंने छतरपुर से गुजरे दोनों राष्ट्रीय राजमार्गों सागर-कानपुर और झांसी-खजुराहो को आपस में जोड़ते हुए शहर के बाहरी हिस्से में बायपास निर्माण और सटई-अमरौनिया मार्ग के चौड़ीकरण सहित ब्रिटिश काल में निर्मित जिले की कई पुलियों के नवीन निर्माण की मांग की थी। विधायक ने मंत्री गडकरी को बताया था कि 31 जनवरी 2017 को झांसी-खजुराहो फोरलेन के शुभारंभ अवसर पर केंद्रीय मंत्री द्वारा घोषित बायपास मार्ग के निर्माण में काफी दिक्कतें आ रही हैं। जिन्हें को दूर कर इसे एनएचएआई के द्वारा निर्मित कराया जाए। विधायक ने इस दौरान प्लान का प्रजेंटेशन भी दिया था।
बायपास निर्माण होने से सीधे महानगरों से जुड़ेगा छतरपुर :
छतरपुर से दो राष्ट्रीय राजमार्ग गुजरने के कारण शहर के भीतरी हिस्से में प्रतिदिन सैकड़ों वाहनों का जमावड़ा लगता है, जिससे पिछले साल ही 45 दुर्घटनाएं हुई हैं और 35 लोगों ने अपनी जान गंवाई है। दोनों हाइवे को बायपास के माध्यम से जोडऩे के लिए भारत सरकार के राजपत्र अनुसार जमीन अधिग्रहण की कार्रवाई की जा चुकी है, लेकिन निर्माण में समस्याएं सामने आ रही हैं। यदि एनएचएआई के द्वारा अपने प्रस्तावित झांसी-कबरई मार्ग के अंतर्गत दोनों राष्ट्रीय राजमार्गों को बायपास के माध्यम से आपस में जोड़ दिया जाए तो छतरपुर शहर को न सिर्फ इन दुर्घटनाओं से बचाया जा सकता है, बल्कि सागर, कानपुर, लखनऊ, रीवा, सतना, इलाहाबाद आदि शहरों के लिए गुजरने वाले भारी वाहनों को भी शहर के बाहर से निकाला जा सकेगा।
हाइवे पर चार पुलों के नवनिर्माण की भी है जरूरत :
शहर से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 86 झांसी-खजुराहो पर 4 ब्रिटिश कालीन पुल नाले मौजूद हैं, जिनकी चौड़ाई लगभग साढ़े 6 मीटर है। इन सकरे पुलों के कारण न सिर्फ दुर्घटनाएं होती हैं बल्कि यह पुराने होने के कारण भविष्य में बड़े हादसे की वजह भी बन सकते हैं। उर्मिल नदी पर बने पुल, कुडिय़ा नाला पुल, झिरिया नाला एवं जमुनिया नाला के नवनिर्माण के लिए इनको राष्ट्रीय राजमार्ग वार्षिक कार्य योजना में शामिल किया जाना जरूरी है। ताकि इसका लाभ छतरपुर जिले की जनता को मिले। गौरतलब है कि इन पुराने पुलों के निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग मप्र के मुख्य अभियंता ने भी पूर्व में केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन इस दिशा में कदम नहीं उठाए जा रहे हैं। इसके बाद विधायक छतरपुर ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को तीन महीने पहले ही मिलकर प्रस्ताव दिया था।