शहर में बिजली व्यवस्था बदहाल होती जा रही है। करीब 45 हजार बिजली उपभोक्ताओं के लिए कार्यरत मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कंपनी के पास सिर्फ तीन वाहन, 18 लाइनमैन और कुल 27 कर्मचारी ही मौजूद हैं, जो तीनों शिफ्टों में 24 घंटे काम करते हुए भी समय पर उपभोक्ताओं की शिकायतों का समाधान नहीं कर पा रहे हैं। स्थिति इतनी विकट है कि किसी एक क्षेत्र में ट्रांसफार्मर या बड़ी लाइन में खराबी आ जाने पर पूरा स्टाफ उसी स्थान पर लगा दिया जाता है, जिससे अन्य क्षेत्रों की शिकायतों का निराकरण घंटों तक लंबित रह जाता है। उपभोक्ता शिकायत करने के बाद आठ से नौ घंटे तक इंतजार करते हैं, फिर कहीं जाकर समाधान मिल पाता है।
बिजली कंपनी को छतरपुर शहर से प्रतिदिन औसतन 300 से अधिक शिकायतें प्राप्त होती हैं। इनमें से कुछ शिकायतें उपभोक्ता स्वयं कार्यालय जाकर करते हैं, जबकि कई शिकायतें फोन कॉल या 1912 हेल्पलाइन के माध्यम से दर्ज होती हैं। इन सभी शिकायतों के निराकरण के लिए कंपनी के पास सिर्फ तीन वाहन ही उपलब्ध हैं। प्रत्येक वाहन पर दो लाइनमैन और एक चालक कार्यरत होता है, जो तीन शिफ्टों में आठ-आठ घंटे की ड्यूटी करते हैं। प्रत्येक लाइनमैन टीम एक दिन में औसतन 25 उपभोक्ताओं तक ही पहुंच पाती है। इसका अर्थ है कि तीन वाहनों की सहायता से एक दिन में अधिकतम 225 उपभोक्ताओं की शिकायतों का ही समाधान हो पाता है, जबकि शेष 75 से अधिक शिकायतें अगले दिन के लिए लंबित हो जाती हैं।
स्थानीय नागरिक वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि गर्मियो में बिजली की खपत बढऩे से लोड बढ़ गया है। 24 घंटे में कई बार बिजली ट्रिप कर रही है। कभी 10 से 15 मिनट तो कभी एक-एक घंटे बिजली गुल रहती है। समस्या तब बढ़ जाती है, जब बिजली कार्यालय में फोन कॉल रिसीव नहीं होता। मजबूर होकर वे स्वयं कार्यालय पहुंचे और शिकायत दर्ज करवाई। दोपहर तक कोई सुधार कार्य नहीं हुआ। शाम को जब उन्होंने 1912 पर शिकायत की, तब जाकर रात होते-होते बिजली आई। यह अकेला मामला नहीं है। शहर के अलग-अलग इलाकों में प्रतिदिन उपभोक्ता इसी प्रकार परेशान होते हैं। कभी तार टूटने से, कभी ट्रांसफार्मर फुंकने से, तो कभी पोल में स्पार्किंग के चलते बिजली आपूर्ति ठप हो जाती है। लेकिन कर्मचारी सीमित संसाधनों के कारण समय पर पहुंच नहीं पाते।
कंपनी के कर्मचारियों की मानें तो वे 24 घंटे ड्यूटी पर रहते हैं, लेकिन संसाधन सीमित होने के कारण वे चाहकर भी हर शिकायत का समय पर निराकरण नहीं कर पाते। एक कर्मचारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि एक वाहन पर दो लाइनमैन होने के बाद भी जब किसी बड़े क्षेत्र में लाइन खराब हो जाती है या ट्रांसफार्मर बदलना होता है, तो बाकी क्षेत्रों की शिकायतें एकदम रुक जाती हैं। कभी-कभी तो शिकायतकर्ता आकर झगड़ा करने लगते हैं, लेकिन हम क्या करें, हमारे पास न तो वाहन पर्याप्त हैं और न ही जनशक्ति।
छतरपुर शहर की आबादी लगातार बढ़ रही है। मकानों की संख्या में इजाफा हो रहा है, नई कॉलोनियां बस रही हैं, लेकिन बिजली कंपनी के संसाधनों में कोई वृद्धि नहीं हुई है। तीन वाहन, 18 लाइनमैन और 27 कर्मचारी आज भी वही हैं जो वर्षों पूर्व थे, जबकि उपभोक्ता संख्या 45 हजार को पार कर चुकी है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि जब शिकायतों का समाधान समय पर नहीं होगा, तो उपभोक्ताओं का भरोसा कैसे कायम रहेगा? रात में अंधेरे में डूबे इलाके, बीमार लोगों के लिए तकलीफदेह हालात, बच्चों की पढ़ाई में बाधा और व्यापारियों को होने वाला नुकसान यह सब उपभोक्ता रोजाना झेल रहे हैं।
स्थानीय सामाजिक संगठनों और नागरिकों ने बिजली विभाग से मांग की है कि शहर में कम से कम 6 वाहन, 36 लाइनमैन और 12 अतिरिक्त सहायक कर्मचारियों की तैनाती की जाए ताकि उपभोक्ताओं की शिकायतों का समयबद्ध निराकरण हो सके। छतरपुर जैसे बढ़ते शहर में बिजली जैसी मूलभूत सेवा का हाल यदि ऐसा रहेगा, तो नागरिकों का जीवन स्तर प्रभावित होना स्वाभाविक है। बिजली कंपनी को अपनी कार्यप्रणाली में तत्काल सुधार करते हुए मानव संसाधन और वाहनों की संख्या बढ़ाने, त्वरित समाधान प्रक्रिया अपनाने तथा डिजिटल शिकायत प्रणाली को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है।
Published on:
13 Jun 2025 10:41 am