
छतरपुर/गौरिहार। बुंदेलखंड के गौरिहार स्टेट (Gaurihar State) की अंतिम शासक महारानी सरोज कुमारी गौरिहार का निधन हो गया। 95 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थी और मध्यप्रदेश के चंदला विधानसभा से निर्दलीय विधायक रह चुकी हैं। कुछ समय से वें अपने पैतृक नगर आगरा में रह रही थीं। इधऱ, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत कई दिग्गज नेताओं ने रानी सरोज के निधन पर दुख व्यक्त किया है।
संगीत और साहित्य में विशेष रुचि रखने वाली महारानी सरोज कुमारी गौरिहार 1967 से 1972 में चंदला विधानसभा क्षेत्र की निर्दलीय विधायक (mla) रह चुकी हैं। बुंदेलखंड (nundelkhand) का गौरव, गौरिहार रियासत (Gaurihar State) की राजमाता एवं अंतिम महारानी विदुषि लेखिका, संगीतप्रेमी, साहित्य के विकास के लिए सतत संकल्पित, वीरांगना सरोज कुमारी गौरिहार ने रविवार को अंतिम सांस ली। रानी मां के निधन की खबर मिलते ही बुंदेलखंड क्षेत्र के गौरिहार समेत आसपास के क्षेत्रों में शोक की लहर दौड़ गई। उनकी दोनों बेटियों नीलिमा शर्मा और मंदिरा शर्मा ने उन्हें मुखाग्नि दी।
महारानी सरोज कुमारी मई 1947 के पूर्व प्रजामण्डल के माध्यम से अंग्रेजों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर हिस्सदारी की और देश को आजादी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। एमए, एलएलबी व डीपीए शिक्षा प्राप्त रानी का विवाह बुंदेलखंड की छोटी-सी रियासत गौरिहार के राजा प्रताप सिंह भूदेव के साथ हुआ था। वहीं से उन्होंने मध्य प्रदेश की राजनीति में प्रवेश किया। 1968 में अखिल भारतीय ब्रज साहित्य परिषद की अध्यक्ष रहीं। रानी मां अपनी लोकप्रियता के चलते वर्ष 1967 से 1972 तक चंदला विधान सभा की निर्दलीय विधायक रही हैं। उन्होंने इस दौरान क्षेत्र के विकास लिए भरपूर प्रयास भी किए थे। उन्हीं के कार्यकाल में चंदला से चंद्रपुरा तक कि सड़क का निर्माण सहित क्षेत्र के लिए अति आवश्यक अन्य विकास कार्य भी हुए थे।
महारानी अपने साहित्य प्रेम की वजह से बुंदेलखण्ड साहित्य अकादमी और मामुलिया पत्रिका से निरंतर जुड़ी रहीं। इस दौरान उन्होंने मांडवी एक विस्मृता जैसी अनेकों पुस्तिकों की रचना की। वे अपने व्यस्ततम जीवन में से समय निकालकर अपनी रियासत गौरिहार सहित बुंदेलखंड की अनेक जगहों में समय-समय पर कवि सम्मेलन व अन्य साहित्यिक कार्यक्रम आयोजित कर, साहित्यकारों को सम्मानित किया करती थीं।
भरत की पत्नी पर लिखी थी किताब
राजमाता सरोज गौरिहार कुछ साल पहले जब चर्चाओं में आई थी, जब उन्होंने प्रभु श्रीराम के छोटे भाई भरत की पत्नी मांडवी के चरित्रों को शब्दों में उकेरा था। करीब 53 साल पहले उन्होंने खंड काव्य, मांडवी एक विस्मृता की रचना की थी। गौरिहार के मुताबिक यह रचना मांडवी के बचपन, भरत से विवाह, भगिनी से वियोग, चित्रकूट यात्रा और अयोध्या में एकाकी जीवन को छूती हुई राम के वनवास से लौटने पर भरत-मांडवी के पुनर्मिलन पर समाप्त हो जाती है।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री ने शोक व्यक्त किया
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट संदेश में कहा है कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और प्रसिद्ध समाजसेवी आदरणीय रानी सरोज गौरीहार जी के निधन का दुखद समाचार प्राप्त हुआ। ईश्वर से दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान और शोकाकुल परिजनों को यह गहन दु:ख सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना करता हूं। विनम्र श्रद्धांजलि!
मंत्री सारंग ने जताया शोक
मंत्री विश्वास सारंग ने ट्वीट कर लिखा कि स्वाधीनता संग्राम सेनानी, प्रसिद्ध साहित्यकार एवं समाजसेविका आदरणीय रानी सरोज जी के देव लोकगमन का दुःखद समाचार प्राप्त हुआ। ईश्वर से पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान एवं शोकमय परिजनों को इस दु:ख की घड़ी में संबल प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं। ॐ शांति !
Updated on:
29 Aug 2022 04:09 pm
Published on:
29 Aug 2022 04:06 pm
बड़ी खबरें
View Allछतरपुर
मध्य प्रदेश न्यूज़
ट्रेंडिंग
