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रेत के काले कारोबार में बराबरी से शामिल है शासन-प्रशासन

- जिले के पांच रास्तों से हर दिन निकल रहे डेढ़ हजार से ज्यादा ट्रक- रेत के अवैध कारोबार के खिलाफ पूर्व विधायक ने शुरू किया अनशन

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Chhatarpur

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छतरपुर। देश भले ही मंदी के दौर से गुजर रहा हो लेकिन छतरपुर जिले में इन दिनों रेत के अवैध कारोबार के कारण अधिकारियों और नेताओं की जमकर चांदी कट रही है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र की जनता के हिस्से में केवल मुसीबत ही भोगने को मिल रही है। रेत माफियाओं ने सरबई, गोयरा, चंदला और गौरिहार क्षेत्र को रणभूमि बना रखा है। यहां के कई रेत डंप जिनका काम सिर्फ रेत का संग्रहण है उनसे कारखाने की तरह रेत बाहर आ रही है। बिना ईटीपी के धड़ल्ले से चल रहा रेत का यह कारोबार भाजपा-कांग्रेस नेताओं, पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की मिलीभगत से बेरोकटोक जारी है। चंदला विधायक राजेश प्रजापति के विरोध के बाद अब उनके पिता पूर्व विधायक आरडी प्रजापति गुरुवार से जिला मुख्यालय पर अनशन पर बैठ गए हैं।
इन पांच रास्तों से होकर गुजर रहे रेत से भरे ट्रक :
जिले के गौरिहार-चंदला क्षेत्र से हर दिन डेढ़ हजार से ज्यादा ट्रक रेत लेकर यूपी के रास्ते से होकर निकाले जा रहे हैं। यह सभी ट्रक गौरिहार, सरबई, गोयरा और चंदला क्षेत्र को बांदा-महोबा से जोडऩे वाले 5 प्रमुख मार्गों से होकर गुजर रहे हैं। हथौहां-अजयगढ़-करतल बांदा मार्ग, चंद्रपुरा से बायां मठौंध-बांदा मार्ग, पहरा से डढ़ेरी-बांदा मार्ग, रामपुर घाट से गिरवां बांदा मार्ग और बारीगढ़ बाया ज्यौराहा महोबा मार्ग से रेत के ट्रक निकाले जा रहे हैं। रेत डंपों से बिना रॉयल्टी जमा किए ही रेत क परिवहन लगातार किया जा रहा है। जिला प्रशासन ने रेत के भंडारण केंद्रों का सत्यापन कराए बगैर ही रेत बिक्री की अनुमति देते हुए ईटीपी जारी कर दी है। जबकि इन डंपों पर रेत नहीं है। खेत खदानों से रेत निकाली जा रही है। क्योंकि नदी में फिलहाल बारिश का पानी जमा है। इस कारण से खनन कारोबारी नदी के किनारे खेतों में मौजूद रेत का ही अवैध तरीके से परिवहन करा रहे हैं। खेतों को गहरी खाइयों में तब्दील किया जा रहा है। सबसे अधिक अवैध उत्खनन रामपुर घाट के आस-पास के इलाके में किया जा रहा है। यहां रेत कारोबारी बेतरतीब तरीके से भारी मशीनों से खेतों से रेत का खनन कर रहे हैं। बरुआ में करीब 12 हैवी एलएनटी मशीनें अवैध खनन में जुटी में हैं, जबकि भारी मशीनों से खनन पर प्रतिबंध है। यहां से हर दिन तीन सौ ट्रक रेत भरकर बांदा के रास्ते से निकाले जा रहे हैं। इसी तरह से फत्तेपुर, मवई, बरूआ, परेई में भी अवैध उत्खनन चल रहा है।
निजी भूमि की रेत खदानों की स्वीकृति नहीं देने पर उठ रहे सवाल :
मप्र शासन की कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णय के बाद भी जिले में रेत नीति के क्रियान्वयन में लापरवाही की शिकायतें सामने आ रही हैं। 11 अक्टूबर को नई रेत खनन नीति सरकार द्वारा बनाई गई थी जिसमें अब नए सिरे से नवंबर माह में रेत खदानों की बोली लगाकर खदानों की नीलामी की प्रक्रिया कराने का निर्णय लिया गया है, लेकिन जब तक नई रेत नीति के तहत खदानों का आवंटन नहीं हो जाता शासन ने 30 जून 2019 के पूर्व में जिन्हें एनजीटी एवं सीटीओ से स्वीकृति मिल गई थी, ऐसी ग्राम पंचायतों की खदानें एवं निजी भूमि की रेत खदानों को तत्काल प्रभाव से स्वीकृत किए जाने का आदेश जारी हुआ था। लेकिन छतरपुर में इस आदेश का पालन नहीं करने के आरोप जिला प्रशासन पर लग रहे हैं। 30 जून 2019 को लगभग एक दर्जन से ज्यादा निजी भूमि की फाइलें एनजीटी एवं सीटीओ की परमीशन के बावजूद भी खनिज शाखा में लंबित रखी हैं। लेकिन रेत माफियाओं को फायदा पहुंचाने के लिए इन निजी भूमि एवं ग्राम पंचायतों को पूर्व में स्वीकृत की गई रेत खदानों को अनुमति इसलिए नहीं दी जा रही ताकि रेत का अवैध करोबार धड़ल्ले से चल सके।
पटवारी से लेकर मंत्री तक हर ट्रक में हिस्सेदार :
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गौरिहार क्षेत्र में प्रतिदिन लगभग १ हजार ट्रक बालू निकाली जा रही है यह बालू बड़े-बड़े रेत माफियाओं के द्वारा उप्र भेजी जाती है। केन नदी से निकल रहे हर ट्रक पर लगभग 3 हजार रुपए की रिश्वत लग रही है। इस तीन हजार रुपए में पटवारी से लेकर मंत्री तक हिस्सेदार हैं। पुलिस प्रशासन और राजस्व अमले को जहां रिश्वत की मलाई मिल रही है तो वहीं प्रदेश के तीन से ज्यादा बड़े मंत्री और विधायकों का एक सिंडीकेट इस रेत कारोबार में सीधे उतर गया है।
नेताओं के आरोप भी खेल का हिस्सा :
पिछले दिनों रेत के अवैध कारोबार को लेकर नेताओं के आरोप भी सामने आए। भाजपा विधायक राजेश प्रजापति और भाजपा जिलाध्यक्ष मलखान सिंह ने जिले के प्रभारी मंत्री परा आरोप लगाए है कि वे अपने रिश्तेदारों के माध्यम से रेत के अवैध कारोबार में लिप्त हैं। वहीं अब विधायक के पिता पूर्व विधायक आरडी प्रजापति अनशन पर बैठ गए हैं। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक भाजपाईयों के यह बयान भी रेत के खेल का हिस्सा हैं। दरअसल कांग्रेस के ही कुछ लोग भाजपा नेताओं से ऐसे आरोप लगवाकर प्रभारी मंत्री को इस खेल से दूर करना चाहते हैं।
पर्यावरणीय आदेश आते ही चालू होंगी निजी वें पंचायत की रेत खदानें :
मुख सचिव, खनिज साधन विभाग मध्यप्रदेश के आदेश दिनांक 11.10.19 के अनुसार प्रदेश में रेत की आपूर्ति के लिए निजी भूमि एवं पंचायत की रेत खदाने जिनमें 30 जून के पूर्व पर्यावरणीय अनुमति प्राप्त हुई, उन्हें कलेक्टर द्वारा भोपाल संचालक भौमिकी तथा खनिकर्म को भेजा जा रहा है। जिन खदानों की पर्यावरणीय अनुमति की कॉपी एवं आवेदन प्राप्त हो रहे है उन फाइलों का प्रस्ताव तैयार कर स्वीकृति के लिए भोपाल भेजे जा रहे है। पूर्व में चालू खदानें जिनमें अनुमति की आवश्यकता नहीं है, उन्हें कलेक्टर के निर्देश पर चालू कर दिया गया है।
- अमित मिश्रा, जिला खनिज अधिकारी

रेत माफियाओं के खिलाफ धरने पर बैठे पूर्व विधायक
छतरपुर। जिले के चंदला क्षेत्र में रामपुर घाट में डंप के नाम पर अवैध उत्खनन करने वाले एक दर्जन रेत माफियाओ के खिलाफ गुरुवार को पूर्व विधायक आरडी प्रजापति कलेक्टर कार्यालय के सामने धरने पर बैठ गए है। उन्होंने यूपी के सपा नेता चरण सिंह यादव और देवेन्द शर्मा सहित कई रेत माफियाओं पर 20 से ज्यादा मशीनें लगाकर खनन करने का आरोप लगाया है। रामपुर के अलावा बघारी, मवई घाट सहित अन्य घाट पर लगातार खनन हो रहा है। विधायक ने कहा कि बुधवार को जिले से खनिज विभाग की टीम कार्रवाई के लिए गई थी, लेकिन बिना कार्रवाई के टीम लौट आई, इससे पता चलता है कि इस पूरे खेल में जिला प्रशासन की भूमिका भी है। विधायक ने कहा कि फिलहाल ३ निजी भूमि पर ही खनन की स्वीकृति है। इसके अलावा बाकी सब अवैध उत्खनन हो रहा है। आरडी प्रजापति ने कहा कि रेत के इस अवैध कारोबार से उनके क्षेत्र में सैकड़ों लोगों की मौत हो चुकी है। रेत के ताबड़तोड़ उत्खनन से नदियों का अस्तित्व खतरे में जा चुका है। यह पूरा खेल खनिज विभाग, पुलिस विभाग और राजस्व विभाग की मिलीभगत से चल रहा है।