भारतीय रेलवे को नेट जीरो कार्बन उत्सर्जन संस्था बनाने की दिशा में झांसी रेल मंडल ने एक और उल्लेखनीय कदम बढ़ाया है। हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मंडल ने अब तक 21 स्टेशनों सहित कई महत्वपूर्ण कार्यालयों और तकनीकी इकाइयों में सौर ऊर्जा उत्पादन शुरू कर दिया है। यह पहल न सिर्फ ऊर्जा की बचत में सहायक हो रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दिशा में भी एक मजबूत संदेश दे रही है।
वित्तीय वर्ष 2025-26 के केवल अप्रेल माह में ही मंडल ने 554 किलोवाट क्षमता के ऑन-ग्रिड सोलर प्लांट्स के माध्यम से 67750 यूनिट सौर बिजली का उत्पादन किया। इस उत्पादन के माध्यम से मंडल ने लगभग 2.15 लाख की वित्तीय बचत दर्ज की है। यह आंकड़ा इस बात का प्रमाण है कि ग्रीन एनर्जी में निवेश न सिर्फ पर्यावरणीय दृष्टिकोण से लाभकारी है, बल्कि यह आर्थिक रूप से भी बेहद फायदेमंद है।
मंडल की वर्तमान सौर उत्पादन क्षमता 1204 किलोवाट है। उल्लेखनीय है कि इसमें से 640 किलोवाट क्षमता के प्लांट पहले ग्वालियर स्टेशन पर स्थापित थे, जिन्हें स्टेशन के पुनर्विकास कार्य के चलते वहां से हटाकर रेल कोच नवीनीकरण कारखाना झाँसी में स्थानांतरित किया गया है। इसके साथ ही मंडल की कुल क्षमता पुन: 1204 किलोवाट पर पहुंच गई है।
मंडल ने कई प्रमुख कार्यालयों और स्टेशनों को सौर ऊर्जा से सुसज्जित किया है। इनमें प्रमुख प्रशासनिक एवं तकनीकी संस्थान जैसेमंडल रेल प्रबंधक कार्यालय, मंडल रेल चिकित्सालय, मंडल नियंत्रण कार्यालय, इलेक्ट्रिक लोको शेड, रेल कोच नवीनीकरण कारखाना, झांसी और खजुराहो स्टेशन, छतरपुर,डबरा, सरकनपुर, टीकमगढ़, मुरैना, दतिया रेलवे स्टेशन शामिल है। इसके अतिरिक्त छोटे स्टेशन भरुआ सुमेरपुर, चिरगांव, मुस्तरा, एट, अतर्रा आदि 13 अन्य स्थानों पर 10 किलोवाट क्षमता के ऑफ-ग्रिड सोलर प्लांट्स का कार्य पूरा किया गया है। इनकी उत्पादन क्षमता को भी शीघ्र ही कुल आंकड़े में सम्मिलित किया जाएगा।
झांसी रेल मंडल सौर ऊर्जा के क्षेत्र में यहीं नहीं रुक रहा है। आगामी महीनों में कई और बड़ी योजनाएं अमल में लाई जा रही हैं. 400 मेगावट के नए ऑन-ग्रिड सोलर प्लांट्स का कार्य मई 2025 तक 8 और स्थानों पर पूर्ण कर लिया गया है। इससे उत्पादन क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी। मंडल द्वारा 145 समपार फाटकों पर 640 किलोवाट क्षमता के ऑफ-ग्रिड सोलर प्लांट्स जून 2025 तक स्थापित किए जाने का लक्ष्य है। इसके अतिरिक्त 49 स्टेशनों पर 2 मेगावाट क्षमता के ऑन-ग्रिड सोलर प्लांट्स दिसंबर 2025 तक स्थापित किए जाने का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है।
यह पहल भारतीय रेलवे के उस दीर्घकालिक विजऩ का हिस्सा है, जिसके तहत 2030 तक रेलवे को नेट ज़ीरो कार्बन उत्सर्जन वाला संगठन बनाने की योजना है। झांसी मंडल का यह प्रयास न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी एक प्रेरणादायक उदाहरण बनकर उभरा है।
झांसी रेल मंडल की यह हरित पहल एक सशक्त और दूरदर्शी कदम है, जो ऊर्जा सुरक्षा, पर्यावरण संतुलन और टिकाऊ विकास की दिशा में भारतीय रेलवे के प्रयासों को और मजबूती देती है। आने वाले समय में यह पहल और भी अधिक स्टेशनों और प्रतिष्ठानों तक फैलेगी, जिससे रेलवे की ऊर्जा लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी और भारत के हरित भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा।
Published on:
12 Jun 2025 10:37 am