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शराब फैक्ट्री: कलेक्टर ने बैठाई हाई लेवल जांच, तीन विभागों की संयुक्त टीम करेगी पड़ताल

कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। अब राजस्व विभाग के साथ-साथ सागर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, श्रम विभाग और औद्योगिक सुरक्षा टीम संयुक्त रूप से पड़ताल करेंगे।

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डिस्टिलरी

नौगांव में संचालित मेसर्स जैगपिन ब्रेवरीज लिमिटेड शराब डिस्टिलरी के जल और वायु प्रदूषण के साथ-साथ श्रमिकों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। स्थानीय लोगों की शिकायत और केन्द्रीय मंत्री डॉ. वीरेन्द्र कुमार के संज्ञान में मामला पहुंचने के बाद कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। अब राजस्व विभाग के साथ-साथ सागर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, श्रम विभाग और औद्योगिक सुरक्षा टीम संयुक्त रूप से पड़ताल करेंगे।

पानी और हवा दोनों पर खतरा

एसडीएम स्तर पर हुई प्रारंभिक जांच में यह साफ पाया गया कि डिस्टिलरी के संचालन से जल और वायु दोनों में भयावह स्तर का प्रदूषण फैल रहा है। डिस्टिलरी प्रबंधन द्वारा सड़ा हुआ अनाज खुले स्थान पर फैलाने से दुर्गंध चारों ओर फैल रही है, जिससे न केवल आसपास के जलाशय प्रभावित हो रहे हैं बल्कि स्थानीय बस्तियों की हवा भी जहरीली हो गई है।

पीसीबी की भूमिका संदिग्ध

जांच में एक बड़ा सवाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) की भूमिका पर भी खड़ा हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, डिस्टिलरी संचालक के द्वारा नियमों का पालन न करने के बावजूद पीसीबी अधिकारियों ने लाइसेंस नवीनीकरण के लिए क्लीयरेंस जारी कर दिया। कलेक्टर ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि यदि किसी भी विभाग ने भ्रामक या झूठी रिपोर्ट प्रस्तुत की तो संबंधित अधिकारी भी कार्रवाई की जद में आएंगे।

श्रमिकों की सुरक्षा और अधिकारों पर भी फोकस

प्रदूषण के अलावा डिस्टिलरी में काम करने वाले श्रमिकों की सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं को लेकर भी शिकायतें सामने आई हैं। कलेक्टर ने श्रम विभाग की टीम को निर्देश दिए हैं कि वेतन, भत्ते, आवास और सवैतनिक अवकाश समेत सभी श्रमिक अधिकारों की बारीकी से जांच की जाए। साथ ही औद्योगिक सुरक्षा मानकों का पालन हो रहा है या नहीं, इसकी रिपोर्ट भी तैयार की जाएगी।

तीन विभागों की टीम करेगी संयुक्त रिपोर्ट

कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने स्पष्ट किया है कि जांच केवल औपचारिकता नहीं होगी। पीसीबी, श्रम विभाग और औद्योगिक सुरक्षा की संयुक्त टीम की रिपोर्ट का रिव्यू किया जाएगा। यदि किसी स्तर पर लापरवाही या गलत तथ्य पाए जाते हैं, तो संबंधित विभाग प्रमुखों पर भी सख्त कार्रवाई होगी।

स्थानीय आबादी की बढ़ती चिंता

ग्रामीणों का कहना है कि डिस्टिलरी से उठने वाली दुर्गंध और प्रदूषित पानी के कारण खेतों की फसलें प्रभावित हो रही हैं। साथ ही बच्चों और बुजुर्गों में सांस संबंधी बीमारियां बढ़ रही हैं। उनका आरोप है कि पिछले कई महीनों से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और स्थानीय प्रशासन को शिकायतें भेजी गईं, लेकिन कार्रवाई न होने से समस्या और बढ़ गई।