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छतरपुर

मशीनें आई, लेकिन फिर भी जिला अस्पताल में हृदय और दिमाग से संबंधित रोगियों को नहीं मिला पा रहा इलाज

जिला अस्पताल में हाल ही में स्थापित की गई नई ईको कार्डियोग्राफी मशीन बंद पड़ी है। इस कारण से जिले के हृदय रोगियों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है और उन्हें इलाज के लिए अन्य शहरों का रुख करना पड़ रहा है।

छतरपुरFeb 17, 2025 / 10:55 am

Dharmendra Singh

district hospital

जिला अस्पताल छतरपुर

छतरपुर. जिला अस्पताल में हाल ही में स्थापित की गई नई ईको कार्डियोग्राफी मशीन बंद पड़ी है। इस कारण से जिले के हृदय रोगियों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है और उन्हें इलाज के लिए अन्य शहरों का रुख करना पड़ रहा है। अस्पताल में पदस्थ डॉक्टरों को अभी तक इस मशीन का संचालन करने के लिए कोई प्रशिक्षण नहीं दिया गया है। परिणामस्वरूप, यह मशीन का उपयोग शुरू नहीं हो पा रहा है।

ईको कार्डियोग्राफी मशीन का ये है महत्व


ईको कार्डियोग्राफी मशीन का उपयोग दिल की जांच के लिए किया जाता है, जिससे हृदय के वाल्व, चेंबर और पंपिंग कार्यों की स्थिति का पता चलता है। इस जांच के द्वारा डॉक्टरों को हृदय के आकार में अंतर, पंप करने की क्षमता में कमी, वाल्व संबंधी समस्याएं, मांसपेशियों में क्षति और ट्यूमर जैसी बीमारियों का पता चलता है। यह मशीन दिल के रोगों का पता लगाने में मददगार साबित होती है, जो खासकर हार्ट अटैक और दिल की अन्य बीमारियों के मरीजों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। इस मशीन का उपयोग करने के लिए अस्पताल में पदस्थ रेडियोलॉजिस्ट को भी प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव था, ताकि इमरजेंसी में वे भी मरीजों की जांच कर सकें, लेकिन अब तक यह प्रशिक्षण प्रदान नहीं किया गया है, जिससे मरीजों को स्थानीय स्तर पर इलाज का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

सर्दियों में हार्ट अटैक के बढ़ते मामले


छतरपुर में हर साल सर्दियों के मौसम में हार्ट अटैक के 350 से ज्यादा मामले सामने आते हैं। ऐसे में हार्ट के मरीजों के लिए यह मशीन बहुत जरूरी थी। लेकिन इस मशीन के बंद रहने से मरीजों को ग्वालियर और झांसी जैसे बड़े शहरों में जाकर जांच करवानी पड़ रही है, जिससे उनका समय और पैसा दोनों खर्च हो रहे हैं। मौजूदा समय में जिला अस्पताल में हार्ट के मरीजों के इलाज के लिए आवश्यक मशीनें उपलब्ध हैं, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण उनका सही तरीके से उपयोग नहीं हो पा रहा है।मशीनों की उपलब्धता के बावजूद प्रशिक्षित डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों को इलाज में दिक्कत हो रही है।

नवंबर में हो गई थी इंस्टॉल


चार माह पहले प्रदेश शासन ने जिला अस्पताल प्रबंधन को हार्ट की जांच करने वाली ईको मशीन उपलब्ध कराई। जिसे 23 नवंबर 2024 की दोपहर कंपनी के इंजीनियर ने छतरपुर आकर ग्राउंड फ्लोर पर इंस्टॉल कर दिया। जिसे जिला अस्पताल में पदस्थ एमडी डॉ. शोएब रजा और डॉ. शरद तिवारी को संचालित कराना है। यदि इमरजेंसी में जरूरत पड़ी तो जिला अस्पताल में पदस्थ रेडियोलॉजिस्ट डॉ. सुरेंद्र शर्मा और डॉ. नरेश त्रिपाठी भी इस मशीन से मरीजों की जांच कर सकेंगे। लेकिन इन डॉक्टरों को अब तक जिला अस्पताल प्रबंधन द्वारा 15 दिन की ट्रेनिंग नहीं दिलाई गई है। इसलिए यह मशीन बंद पड़ी है। इसलिए हार्ट के मरीजों को स्थानीय स्तर पर जांच न होने से समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है।

युवाओं में बढ़ रहा खतरा


हाल के समय में युवाओं के बीच हार्ट अटैक की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। ज्यादातर भारत में पिछले दस वर्षों के भीत युवा व्यस्कों में दिल का दौरा पडऩे का खतरा निश्चित रूप से तेजी से बढ़ा है। जिम हो या फिर राह चलते युवा हार्ट अटैक के चलते अपनी जान गंवा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि दिल का दौरा उन रोगियों में आम है, जिनके घर में पारिवारिक मोटापा है या फिर जिनको विरासत में हाई कोलेस्ट्रॉल मिला हुआ है। यानी कि जिनके परिवार में हाई कोलेस्ट्रॉल की शिकायत रही हो। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि युवाओं में दिल के दौरे का सबसे आम कारण धूम्रपान है। धूम्रपान के चलते 20 और 30 के उम्र में हार्ट अटैक का ज्यादा खतरा बढ़ जाता है।

स्वास्थ्य संबंधी समस्या होने पर लोग नहीं बदलते अपनी लाइफस्टाइल


डॉ. अब्दुल हकीम का कहना है कि मरीजों को जब भी पीठ दर्द, आसन से संबंधित मुद्दों या तनाव जैसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं, तो वे अपनी समस्याओं के लिए केवल एक अल्पकालिक इलाज यानी कि त्वरित राहत के लिए इलाज कराते हैं., लेकिन अपनी समस्या से छुटकारा पाने के लिए लाइफस्टाइल में बदलाव नहीं करते हैं। हार्ट अटैक के खतरे से बचने के लिए तनाव रहित जीवन शैली जीना शुरू करें। लेट नाइट शिफ्ट, अनियमित स्लिप साइकिल के चलते भी तनाव बढ़ता जाता है। व्यायाम स्वस्थ हृदय का एक अहम हिस्सा है। थोड़ी बहुत एक्सरसाइज करते रहें.। क्योंकि जब आप चलते हैं तो आपके शरीर की चर्बी टूट जाती है.। किसी भी तरह की शारीरिक गतिविधि नहीं करने पर शरीर में वसा (फैट) बनने लगती है, जिससे गंभीर समस्या हो सकती है।

इनका कहना है


ईको और टीएमटी जांच की ट्रेनिंग लेने जिला अस्पताल के 6 डॉक्टरों भोपाल भेजा जा रहा है। जिसका पत्र विभाग द्वारा जारी कर दिया गया है।
डॉ. जीएल अहिरवार, सीएस जिला अस्पताल छतरपुर

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