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सखी के भेष में महारास देखने आए थे महादेव इसलिए कलाकार ने बना दिया सखी रूप

- संकट मोचन मंदिर में शहर के कलाकार ने सजाई सजीव और अनोखी श्रृंगार झांकी

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Chhatarpur

छतरपुर। शहर के संकट मोचन महादेव मंदिर में इस सावन सोमवार पर सबसे अलग और अनोखा श्रृंगार किया गया। अब तक लोगों ने भगवान के अर्ध नारीश्वर रूप में ही देखा था, लेकिन यहां पहला मौका था जब भगवान को पूर्ण नारी के रूप में सजाकर प्रस्तुत किया गया। यह श्रृंगार धार्मिक और पौराणिक कथानक के आधार पर शहर के युवा कलाकार दिनेश शर्मा ने किया था। दरअसल दिनेश पिछले कई सालेां से सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ का श्रृंगार विशेष अभिषेक के साथ उज्जैन महाकाल की तर्ज पर करते हैं। पहले वे सावन के प्रति सोमवार को श्रृंगार करते थे, लेकिन अब वे हर दिन नए-नए रूप में भगवान का श्रृंगार पूरे महीने भर करते है। इनमें सावन के सोमवार को विशेष श्रृंगार होता है। उसी कड़ी में इस बार भगवान भोलेनाथ सखी रूप में लोगों के सामने थे। भगवान के दर्शन करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु संकट मोचन मंदिर पहुंचे। यह श्रृंगार का तेरहवा दिन था।
महारास देखने के लिए सखी बने थे भोलेनाथ :
कलाकार दिनेश शर्मा ने बताया कि भगवान शिव और विष्णु एक-दूसरे के अनन्य भक्त है। जब-जब भगवान विष्णु ने पृथ्वी पर अवतार लिया, तब तब भगवान शंकर उनके बाल रूप के दर्शन करने के लिए पृथ्वी पर आए थे। श्रीराम अवतार के समय भगवान शंकर वृद्ध ज्योतिषी के रूप में श्री काकभुशुण्डिजी के साथ अयोध्या में पधारे और रनिवास में प्रवेश कर भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न के दर्शन किए थे। इसी तरह श्रीकृष्ण अवतार के समय बाबा भोलेनाथ साधु वेष में गोकुल पधारे थे और यशोदा जी ने उनका भेष देखकर दर्शन नहीं कराया तो उन्होंने द्वार पर ही धूनी लगा दी थी। श्रीकृष्ण रोने लगे तो बाबा भोलेनाथ ने उनकी नजर उतारी। गोद में लेकर नन्द के आंगन में नाच उठे। आज भी नन्द गॉंव में वे "नन्देववर नाम से विराजमान हैं।
दिनेश ने बताया कि ऐसे ही भगवान शंकर ने समय-समय पर विभिन्न रूप धारण कर अपने प्रिय आराध्य की लीलाओं का दिग्दर्शन किया। वृंदावन में भगवान शंकर का विचित्र रूप में दर्शन होता है। वृंदावन में भगवान श्रीकृष्ण ने वंशीवट पर महारास किया था, जिसे देखने के लिए भगवान शंकर को गोपी बनना पड़ा था। आज भी वे गोपीश्वर महादेव के रूप में वहा विराजमान है। उसी स्वरूप की श्रृंगार झांकी संकट मोचन में बनाई गई है।