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छतरपुर जिले में शिक्षकों पर बड़ी कार्रवाई: 5वीं और 8वीं के खराब परीक्षा परिणाम पर 27 शिक्षकों की वेतनवृद्धि रोकी गई

27 सरकारी स्कूल शिक्षकों की दो-दो वेतनवृद्धियों पर रोक लगा दी है। यह कार्रवाई उन शिक्षकों के विरुद्ध की गई है जिनके स्कूलों में परीक्षा परिणाम 20 प्रतिशत से भी कम रहा है।

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डीपीसी कार्यालय

जिले में शैक्षणिक गुणवत्ता को लेकर जिला प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई करते हुए शिक्षा व्यवस्था को झटका देने वाला निर्णय लिया है। कक्षा 5वीं और 8वीं के परीक्षा परिणामों में अत्यधिक गिरावट को देखते हुए कलेक्टर पार्थ जायसवाल के निर्देश पर डीपीसी (जिला परियोजना समन्वयक) अरुण शंकर पाण्डेय ने जिले के 27 सरकारी स्कूल शिक्षकों की दो-दो वेतनवृद्धियों पर रोक लगा दी है। यह कार्रवाई उन शिक्षकों के विरुद्ध की गई है जिनके स्कूलों में परीक्षा परिणाम 20 प्रतिशत से भी कम रहा है।

20 फीसदी से कम रहा परिणाम

पिछली परीक्षाओं में जिले के कुल 36 सरकारी और 56 निजी विद्यालय ऐसे पाए गए हैं, जिनका परीक्षा परिणाम 20 प्रतिशत से कम रहा। सरकारी स्कूलों में कार्यरत जिन शिक्षकों के विषयों में यह गिरावट दर्ज की गई है, उनमें विषय अध्यापक और शाला प्रभारी दोनों ही शामिल हैं। प्रशासन ने इन शिक्षकों की जवाबदेही तय करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि शैक्षणिक गुणवत्ता में लापरवाही अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

निजी स्कूलों को चेतावनी

वहीं निजी स्कूलों के संदर्भ में प्रशासन ने थोड़ी नरमी दिखाते हुए इस बार उन्हें केवल चेतावनी दी है। लेकिन साथ ही यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यदि आगामी वर्ष में भी ऐसे ही नतीजे सामने आए, तो संबंधित विद्यालयों की मान्यता रद्द कर दी जाएगी। शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाने की दिशा में यह निर्णय जिले में अनुशासन और उत्तरदायित्व की भावना को मजबूत करने की पहल के रूप में देखा जा रहा है।

2 से 9 जून तक होगी कक्षा 5वीं और 8वीं की द्वितीय परीक्षा

शिक्षा विभाग ने खराब परीक्षा परिणामों की भरपाई का एक और अवसर छात्रों को देते हुए द्वितीय परीक्षा की घोषणा की है। यह परीक्षा 2 जून से शुरू होकर 9 जून 2025 तक चलेगी, जिसमें लगभग 15000 परीक्षार्थी सम्मिलित होंगे। परीक्षा का समय प्रतिदिन सुबह 10 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक निर्धारित किया गया है।

छात्र अनुपस्थित रहा तो शिक्षक पर कार्रवाई

डीपीसी अरुण शंकर पाण्डेय ने सभी स्कूलों के शिक्षकों को निर्देश दिए हैं कि परीक्षा में बच्चों की शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई छात्र परीक्षा में अनुपस्थित पाया जाता है, तो संबंधित शिक्षक को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। यह आदेश उन शिक्षकों पर विशेष रूप से लागू होगा जिनके कक्षाओं में पहले ही परिणाम असंतोषजनक रहे हैं।

शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर प्रशासन की सख्ती

छतरपुर में शिक्षा के क्षेत्र में यह कार्रवाई केवल दंडात्मक नहीं, बल्कि सुधारात्मक दृष्टिकोण से भी की जा रही है। प्रशासन का मानना है कि जब तक शिक्षक अपने उत्तरदायित्वों के प्रति सजग नहीं होंगे, तब तक छात्रों के परिणामों में सुधार की आशा नहीं की जा सकती। इसलिए अब शिक्षकों से यह अपेक्षा की जा रही है कि वे छात्रों की शैक्षणिक आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान दें और कमजोर छात्रों की अतिरिक्त कक्षाओं या विशेष मार्गदर्शन के माध्यम से मदद करें। डीपीसी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि शिक्षा का स्तर सुधारना सभी शिक्षकों की सामूहिक जिम्मेदारी है और इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विद्यालयों की नियमित मॉनिटरिंग, परिणाम आधारित मूल्यांकन और समय-समय पर समीक्षा बैठकों के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि शिक्षा का स्तर निरंतर बेहतर होता रहे।

शिक्षकों की भूमिका पर सवाल

इस कार्रवाई के बाद शिक्षा जगत में शिक्षक समुदाय में हलचल मची है। कई शिक्षकों ने इसे कठोर कदम बताया है, जबकि कुछ ने माना कि यह कदम अनुशासन और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए आवश्यक था। यह भी देखा जा रहा है कि इस फैसले से अब स्कूलों में शिक्षक पढ़ाई को लेकर और अधिक गंभीर होंगे और छात्रों की तैयारी में भी सुधार देखने को मिलेगा। छतरपुर जिले में शिक्षा के क्षेत्र में यह कदम एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है, जिससे न केवल वर्तमान शिक्षा व्यवस्था में सुधार आएगा, बल्कि भविष्य में छात्रों के लिए बेहतर परिणाम सुनिश्चित किए जा सकेंगे। प्रशासन की इस सख्ती से स्पष्ट है कि अब केवल उपस्थिति नहीं, बल्कि परिणाम भी शिक्षकों की दक्षता का मानक बनेगा।


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