
MP-UP Border Water Urmil dam Dead level
छतरपुर/ नौगांव। दो प्रांतों की प्यास बुझाने वाला यूपी-एमपी की सीमा पर स्थित उर्मिल बंध अब स्वयं प्यास हो चला है। बांध का जलस्तर इस समय डेड लेबल से नीचे हो गया है। गर्मी की शुरूआत के साथ ही उर्मिल बांध के दम तोड़ जाने से जलसंकट से को लेकर त्राहि-त्राहि मच सकती है। इसको लेकर जिम्मेदार भी चिंतित नजर आ रहे हैं। कभी लहरें मारने वाला इस विशाल बांध का पानी अब दिन प्रति दिन सिमटता जा रहा है। जानकारी के अनुसार एक समझौत के तहत उर्मिल बांध का निर्माण कराया गया था।
यूपी व एमपी सरकार के बीच करीब चालीस साल पहले हुए करार के बाद यूपी-एमपी बॉर्डर पर कैमाहा के पास इस विशाल बांध को बना कर तैयार किया गया था। साथ ही करार के तहत उर्मिल बांध के पानी को दो हिस्सों में बांटा जाता है। उर्मिल बांध के पानी को मप्र के छतरपुर जिले व यूपी के महोबा जिले के लिए दिया जाता है।
सिर्फ यूपी के हिस्से का बचा पानी
इस समय उर्मिल बांध में जितना भी पानी बचा है वह यूपी के हिस्से का पानी है। दरअसल छतरपुर जिले का सिंचाई विभाग पहले ही अपने हिस्से के पानी को इस्तेमाल कर चुका है। ऐसे में जो भी पानी बचा है उसका इस्तेमाल सिर्फ यूपी के लिए होगा। उर्मिल के पानी को महोबा पेयजल पुनर्गठन योजना के तहत सप्लाई किया जाता है। जिससे यूपी के महोबा शहर के लोगों की प्यास बुझती है। ऐसे में उर्मिल बांध में जितना भी पानी है वह यूपी के महोबा जिला मुख्यालय के लिए पेयजल के लिए आरक्षित है।
तेज धूप से हो रहा वाष्पीकरण
सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस समय गर्मी का दौर शुरू हो गया है। धूप भी तीखी हो रही है। ऐसे में जलाशयों के पानी का वाष्पीकरण हो रहा है। उर्मिल बांध में जो पानी बचा है उसका इस्तेमाल होने के साथ ही पानी का वाष्पीकरण भी हो रहा है। जिससे उर्मिल बांध का जल स्तर दिन-प्रति दिन घट रहा है और बांध में पानी का दायरा कम होता जा रहा है। यही वजह है कि बांध का जल स्तर डेड लेवित २२८ से घटकर २२७.७० मीटर पर पहुंच गया है।
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अधिकतम जल स्तर-२३७ मीटर
डेड लेविल - २२८ मीटर
वर्तमान जनस्तर - २२७.७० मीटर
बांध पर एक नजर
- वर्ष १९७८ में यूपी-एमपी सरकारों के बाद शुरू हुआ उर्मिल बांध काम
- ३३.२२ करोड़ की लागत से तैयार हुआ था यूपी-एमपी सीमा पर स्थित उर्मिल बांध
- अनुबंध के अनुसार ४०:६० के अनुपात में दो प्रांतों के बीच हुआ है पानी का बंटवारा
इनका कहना
पहले ही एमपी क्षेत्र को मिलने वाले पानी को इस्तेमाल कर लिया गया था। बांध में यूपी के महोबा जिले के हिस्से के लिए ही पानी शेष छोड़ा गया था। हालांकि पानी वाष्प बन कर हवा में उड़ रहा है। जिससे बांध में कम मात्रा में पानी शेष बचा है।
सुनील प्रभाकर, ईई सिंचाई विभाग नौगांव
Published on:
06 Apr 2018 12:08 pm
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