
naugaon liquor factory pollution (फोटो- सोशल मीडिया)
Liquor Factory Pollution:छतरपुर जिले के नौगांव में मेसर्स जैगपिन ब्रेवरीज लिमिटेड नौगांव द्वारा पर्यावरण नियमों की धज्जियां उड़ाने का मामला सामने आया है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPCB) ने आठ अक्टूबर को उद्योग को उत्पादन प्रक्रिया तत्काल बंद करने के आदेश जारी किए थे। जिस पर बिजली कंपनी ने फैक्ट्री की बिजली सप्लाई काट दी थी। लेकिन 2 नवंबर से फिर कनेक्शन जोड़ दिया गया और फैक्ट्री संचालित हो रही है। जिम्मेदार इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। बल्कि फैल रहे प्रदूषण पर मौन सहमति दे रहे हैं। (mp news)
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पच्चीस सितंबर के निरीक्षण में पाया गया कि फैक्ट्री परिसर में एक सौ पचास टन डीडब्ल्यूजीएस खुले में रखा गया था, जिससे आसपास के इलाके में अत्यधिक दुर्गंध फैल रही थी। औद्योगिक प्रक्रिया के लिए आवश्यक ड्रायर की अनुपस्थिति और खराब हाऊसकीपिंग भी पाई गई। कचरा परिसर में बिखरा हुआ था और प्लास्टिक की बोतलों का अंबार पड़ा हुआ था।
बोर्ड ने उद्योग को जल (प्रदूषण निवारण और नियंत्रण) अधिनियम 1974 और वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981 के तहत आदेश दिया था। उत्पादन तुरंत बंद किया जाए। संग्रहित डीडब्ल्यूजीएस का वैज्ञानिक निष्पादन सुनिश्चित किया जाए और सक्षम ड्रायर स्थापित किया जाए। उद्योग का विद्युत आपूर्ति तत्काल निलंबित किया जाए। लेकिन स्थानीय लोगों के अनुसार, आदेश जारी होने के बावजूद फैक्ट्री अब भी चल रही है और प्रदूषण फैल रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि खुले में डीडब्ल्यूजीएस भंडारण से न केवल दुर्गंध फैलती है, बल्कि जल और मिट्टी भी प्रदूषित होती है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन पर दबाव बढ़ रहा है कि वे तुरंत प्रभाव से उद्योग का उत्पादन बंद करवाएं और नियमों का पालन सुनिश्चित करें। प्रतिलिपि संबंधित अधिकारियों को भी भेजी गई, जिनमें कलेक्टर छतरपुर, पूर्वी क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के अधीक्षण यंत्री, आबकारी आयुक्त और क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सागर शामिल है।
एनजीटी ने निरीक्षण और कार्रवाई की जानकारी के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया है, जिसमें छतरपुर कलेक्टर और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रतिनिधि शामिल होंगे। समिति छह सप्ताह में निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को नोडल एजेंसी के रूप में समन्वय और लॉजिस्टिक सहायता प्रदान करनी होगी। एनजीटी में अगली सुनवाई बीस नवम्बर को होगी।
नौगांव क्षेत्र स्थित जैगपिन ब्रेवरीज लिमिटेड (कॉक्स इंडिया डिस्टिलरी) से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्ट ने क्षेत्र के पर्यावरण और आम जनजीवन पर प्रभाव को देखते हुए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने भी संज्ञान लिया है। एनजीटी ने राज्य शासन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नगर पालिका छतरपुर, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और संबंधित कंपनी को प्रतिवादी बनाया है। न्यायमूर्ति सीओ कुमार सिंह न्यायिक सदस्य और सुधीर कुमार चतुर्वेदी विशेषज्ञ सदस्य ने चार सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है। (mp news)
Published on:
09 Nov 2025 10:30 am
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