
New fruit-vegetable market, shifting not even till three crore
छतरपुर। करोड़ों रुपए की लागत से चार साल पहले नई फल-सब्जी मंडी बनाई जा चुकी है। आधी से ज्यादा दुकानों का आवंटन भी लाइसेंसी दुकानदारों को किया जा चुका है। लेकिन कुछ दुकानदार अपने निजी स्वार्थों के कारण वहां जाना नहीं चाह रहे हैं। जो जाना चाहते हैं, उन्हें कुछ लोग जाने नहीं दे रहे हैं। ऐसे में गल्ला मंडी क्षेत्र के लोगों को सफर करना पड़ रहा है। वहीं मंडी प्रबंधन और प्रशासन इस मामले को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। इस कारण नई मंडी की दुकानें धीरे-धीरे जर्जर स्थिति मेें पहुंच रही है।
शहर की पुरानी फल सब्जी मंडी में करीब 65 लाइसेंसी दुकानदार हैं। इनमें से केवल 15-20 दुकानदारों के लिए ही पुरानी मंडी में बैठने का ठिकाना है। बाकी दुकानदार बीच सड़क पर या सड़क किनारे फुटपाथ पर बैठकर अपना कारोबार करते हैं। इस कारण यहां की सड़क हर समय जाम और वाहनों से घिरी रहती है। इसी समस्या को देखते हुए सटई रोड स्थिति नई गल्ला मंडी के ही एक बड़े हिस्से में फल-सब्जी मंडी विकसित की गई थी। बुंदेलखंड पैकेज से इस मंडी में गेट नंबर 1 की तरफ करीब तीन करोड़ रुपए की लागत से फल-सब्जी मंडी बनाई गई थी। इसमें 67 दुकानों का निर्माण किया गया था। साल 2015 के पहले ही यहां मंडी बन गई थी। इसमें दुकानों के अलावा 2 टीनशेड, 1 गोदाम और एक सुलभ काम्प्लेक्स के अलावा किसान विश्राम गृह का निर्माण भी किया गया था। इस नई फल-सब्जी मंडी में दुकानदारों को शिफ्ट करने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन वे वहां जाना नहीं चाह रहे हैं। कई दुकानदार मंडी टैक्स से बचने के लिए यहां जाने में रुचि नहीं ले रहे हैं तो कुछ अपने निजी स्वार्थों के कारण नहीं गए। लेकिन इनके बीच से ही करीब 45 दुकानदार निकलकर आए हैं जो अब इस मंडी में अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं, लेकिन कुछ दुकानदार उन्हें नहीं जाने देना चाह रहे हैं। इसको लेकर दुकानदारों दो समूह में बट गए हैं। पहले गुट ने पांच महीने पहले कलेक्टर को ज्ञापन देकर मंडी की दुकानों की नीलामी में लेन-देन का आरोप लगाया था। वहीं उसके बाद कई सब्जी-फल व्यवसाइयों ने नई मंडी में दुकानदारों की शिफ्टिंग कराने की मांग रखी थी, लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला।
67 में से 45 दुकानों का हो चुका आवंटन
नई फल-सब्जी मंडी में बनी 67 में से 45 दुकानों का आबंटन लाइसेंसी फल-सब्जी व्यापारियों के किया जा चुका है। दो बार में हुई नीलामी प्रक्रिया में1050 रुपए के किराए की अंतरिम बोली पर दुकानें किराए पर दी गई हैं। पहली नीलामी में ३४ दुकानें आवंटित हुई थीं। दूसरी बार की नीलामी में 11 दुकानें व्यापारियों ने ली हैं। इन दुकानों के आवंटन में लेन-देन करने के भी आरोप लगते रहे हैं। मंडी मेें शेष बची 22 दुकानों की नीलामी भी इसलिए नहीं हो पा रही है, क्योंकि दुकानदारों से अतिरिक्त रुपए मांगे जा रहे हैं। अब तक मंडी प्रबंधन ने इस बात पर गंभीरता नहीं दिखाई है कि किसी भी तरह दुकानदार यहां शिफ्ट होकर अपना कारोबार शुरू कर दें, ताकि पुरानी मंडी क्षेत्र की समस्या का समाधान हो सके। मंडी अध्यक्ष बृजेश राय ने बताया कि नीलामी में जिन दुकानदारों को दुकानें आवंटि हुई हैं उन्हें दुकान निर्माण की लागत का 10 प्रतिशत मूल्य के रूप में 27 हजार १०० रुपए जमा कराए जा रहे हैं। बाकी दुकान उन्हें किराए के आधार पर दी जा रही है। जबकि दुकानदार लगातार लेन-देन के आरोप लगाते रही है।
नई मंडी विकसित नहीं होने देना चाह रहे कुछ व्यापारी
शहर के श्रीरामचरित मानस मैदान के पास पुरानी सब्जी-फल मंडी है। यहां पर नगरपालिका की पुरानी दुकानें करीब डेढ़ दर्जन दुकानदारों के पास है। बाकी के लाइसेंसी व्यापारी सड़क पर रखकर या फिर किराए की दुकानों से अपना कारोबार करते हैं। लेकिन जो व्यवसायी नगरपालिका की दुकानों पर कब्जा करके रखे हैं वे ही दूसरी मंडी को विकसित नहीं होने देना चाहते हैं। दरअसल कुछ दुकानदार पुरानी मंडी की दुकानों की बढ़ी हुई कीमत के चलते यहां से जाना नहीं चाहते हैंं। इसलिए वे कोई न कोई बहाना लेकर पिछले तीन सालों से मंडी की शिफ्टिंग टालने में लगे हैं। मंडी में बनी दुकानों में से 45 दुकानें आवंटित हो जाने के कारण अधिकांश दुकानदार यहां शिफ्ट होना चाह रहे हैं, लेकिन बाकी के दुकानदार कोई न कोई बहाना करके मामला टालते जा रहे हैं। कुल मिलाकर उनकी नीयत लाखों रुपए मूल्य वाली नगरपालिका की दुकानों पर है।
दुकानदारा पहुंच जाएं तो मंडी चालू हो जाएगी
नई गल्ला मंडी में शहर के फल-सब्जी दुकानदारों के लिए व्यवस्थित बाजार तैयार होकर खड़ा है। सभी तरह की सुविधाएं भी यहां पर विकसित की जा चुकी हैं। लेकिन व्यापारी यहां नहीं पहुंच रहे हैं। जो व्यापारी यहां आना भी चाहते हैं तो कुछ लोग उन्हें आने नहीं दे रहे हैं। जब भी फल-सब्जी बाजार यहां शिफ्ट कराने का प्रयास किया जाता है तो कुछ लोग गलत आरोप लगाकर पूरी योजना को बिगाड़ देते हैं। एक बार हमने फिर से प्रयास किया है।
बृजेश राय, मंडी अध्यक्ष छतरपुर
Published on:
19 Dec 2018 08:25 am
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