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BAGESHWAR DHAM सनातन एकता पदयात्रा पहुंची ओरछा तिराहा, आज यात्रा का होगा समापन

ओरछा तिराहे पर देर शाम यात्रा पहुंची, जहां महाराज ने कहा कि बिना सडक़ पर निकले लोगों को एकजुट नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि जिस तरह से अन्य मजहबों में कई जातियां होने के बावजूद जब धर्म की बात आती है तो सभी एकजुट हो जाते हैं। ठीक उसी तरह हमें भी अपने धर्म के लिए आपसी भेद-भाव, जात-पात, छुआ-छूत यह सब भूलना पड़ेगा।

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पदयात्रा में श्रद्धालु

छतरपुर. बागेश्वर धाम से रामराजा सरकार की नगरी ओरछा तक करीब 160 किलोमीटर की सनातन हिन्दू एकता पदयात्रा लगातार आगे बढ़ रही है। आठवें दिन यह यात्रा ओरछा तिराहे पर ठहरी। बागेश्वर धाम के पीठधीश्वर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री ने सभी पैदल चल रहे यात्रियों का उत्साह बढ़ाया।

करीब 4 बजे बरुआसागर पहुंची

जानकारी के मुताबिक गुरूवार को सनातन हिंन्दू एकता पदयात्रा रोज की तरह राष्ट्रगान और हनुमान चलीसा से शुरु हुई। निवाड़ी से यात्रा शुरु होकर शाम करीब 4 बजे बरुआसागर पहुंची जहां लोगों के साथ समरसता भोज था। सभी समाजों के साथ बैठकर महाराजश्री ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया। सभी समाजों के साथ सौहार्दपूर्वक भोजन करने के बाद यात्रा विश्राम स्थल के लिए रवाना हुई। ओरछा तिराहे पर देर शाम यात्रा पहुंची, जहां महाराज ने कहा कि बिना सडक़ पर निकले लोगों को एकजुट नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि जिस तरह से अन्य मजहबों में कई जातियां होने के बावजूद जब धर्म की बात आती है तो सभी एकजुट हो जाते हैं। ठीक उसी तरह हमें भी अपने धर्म के लिए आपसी भेद-भाव, जात-पात, छुआ-छूत यह सब भूलना पड़ेगा।

जिस दिन देश गौवध के कलंक से मुक्त होगा, उसी दिन समूचे विश्व में देश की ख्याति होगी: मलूकपीठाधीश्वर


श्रीधाम वृंदावन से आए मलूकपीठाधीश्वर राजेन्द्रदास महाराज ने यात्रा में शामिल होते हुए कहा कि यह अनूठा कार्य प्रारंभ हुआ है। हर प्रदेश में इस तरह की यात्राएं निकलनी चाहिए ताकि हर प्रदेश का हिंदु संगठित हो। उन्होंने कहा जिस दिन पूर्णेश्वरी मैया जगत जननी गौमाता का कत्ल बंद हो जाएगा, उस दिन से इस देश की कीर्ति विश्व में फैल जाएगी।

उठ जाग सनातनी भोर हुई: मनोज तिवारी


दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने यात्रा में शामिल होकर कहा कि वह परम सौभाग्यशाली हैं जो इस यात्रा में शामिल होने का मौका मिला है। उन्होंने कहा कि महाराज ने जो अलख जगाई है उससे सनातनी अब जाग उठा है। तिवारी ने एक गीत की तर्ज पर अपना गीत सुनाते हुए कहा कि उठ जाग सनातनी भोर हुई, अब रैन कहां जो सोवत है। उन्होंने कहा कि अब सोने का वक्त नहीं है, हमें अपने सनातन की रक्षा के लिए जागना होगा।

महाकुंभ के पहले सामाजिक भेदभाव मिटाने वाला महाकुंभ है यह यात्रा: राजा भैया


उत्तरप्रदेश के कुंडा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया ने गुरूवार को यात्रा में शामिल होकर महाराज का आशीर्वाद लिया। उन्होंने कहा कि यह हम सबका परम सौभाग्य है कि सनातनियों को जगाने के लिए महाराज ने जो संकल्प लिया है, हम भी उस यज्ञ की एक आहूति बन रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्व के कई देशों में धीरे-धीरे हिंदुओं की आबादी घट रही है। बांग्लादेश में जिस तरह से हिंदुओं के साथ अमानवीय कृत्य हो रहा है उससे हम सभी को सबक लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि अलगे वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ है लेकिन उसे महाकुंभ से पहले यह सनातन महाकुंभ हो रहा है। सभी भेदभावों को मिटाकर एकजुट हो जाएं। उन्होंने कहा कि शस्त्र और शास्त्र दोनों की आवश्यकता है।

सदियों तक जीवंत रहेगी यह एकता पदयात्रा: कौशिक


प्रख्यात कथा वाचक श्रीधाम वृंदावन से यात्रा में पधारे कौशिक महाराज ने कहा कि सदियों तक इस पदयात्रा को लोग जीवंत रखेंगे। इस पदयात्रा को देखकर हिंदु कायर नहीं है और न ही डरपोक है, उसे उसकी शक्ति बताने की देर थी, जो बागेश्वर महाराज ने बताई है। यह यात्रा देवालय और सेवालय की रक्षा के लिए हैं, यह यात्रा संस्कार और संस्कृति को बचाने के लिए है, इसलिए सभी एकजुट रहें।

पदयात्रा में दिखा सामाजिक समरसता का भाव


सनात हिंदु एकता पदयात्रा न केवल कहने के लिए है बल्कि यह दिखाई भी दे रहा है। जहां एक ओर सभी समाजों के लोग बैठकर एक साथ भोजन करते हैं तो वहीं दूसरी ओर महाराज से मिलने में कोई भेदभाव नहीं हो रहा है। महाराज के एक तरफ छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा और कुंडा विधायक रघुराज प्रताप सिंह हैं तो वहीं दूसरी तरफ विनवारा का अखिलेश श्रीवास, टीकमगढ़ का अमूल सिंह, तिंदौल का विश्वनाथ कुशवाहा खड़ा है।

यह यात्रा देश में बड़ा परिवर्तन लाएगी: विजय शर्मा


छत्तीसगढ़ के उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा निवाड़ी के आगे से यात्रा में शामिल हुए। यहां उन्होंने महाराज से आशीर्वाद लिया और अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा कि इस यात्रा के चर्चे देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में हो रहे हैं। जब भी सन्यासी, धर्मात्मा ने यात्रा की तब उसके दूरगामी परिणाम सामने आए। यह यात्रा देश में एक बड़ा परिवर्तन लाएगी, देश में सनातन की अलख जगाने के लिए जिस तरह से आदिगुरू शंकराचार्य ने यात्राएं कीं, स्वामी विवेकानंद ने कीं, उसी तरह महाराज कर रहे हैं। हम सबका नैतिक दायित्व है कि उनकी इस यात्रा से जुड़ें।