
महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर
महाराजा छत्रसाल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय छतरपुर ने नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में एक नई उपलब्धि अर्जित की है। विश्वविद्यालय का इन्क्यूबेशन सेंटर अब सेक्शन 8 कम्पनी के रूप में पंजीकृत हो चुका है। यह कदम विश्वविद्यालय के लिए ऐतिहासिक होने के साथ-साथ क्षेत्रीय स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र (स्टार्टअप इकोसिस्टम) को गति देने वाला साबित होगा। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि अब यह सेंटर एक कानूनी, औपचारिक ढाँचे के तहत कार्य करेगा और स्टार्ट-अप्स को न केवल मार्गदर्शन और मेंटरशिप बल्कि फंडिंग और निवेश की ठोस सुविधा भी प्रदान करेगा।
सेक्शन 8 कम्पनी के रूप में पंजीकरण मिलने के बाद इन्क्यूबेशन सेंटर को कई नए अधिकार और सुविधाएं प्राप्त होंगी। विश्वविद्यालय की रिसर्च गतिविधियां भी अब सीधे औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन से जुड़ सकेंगी।-अब यह सेंटर सरकारी और निजी अनुदान योजनाओं का लाभ ले सकेगा। सीएसआर (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) फंडिंग तक इसकी सीधी पहुंच होगी।-स्टार्ट-अप्स को निवेशकों और उद्योग विशेषज्ञों से जोड़ना और भी सरल होगा। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की फंडिंग और ग्रांट्स तक पहुंचने का रास्ता खुलेगा।
युवाओं को नौकरी से परे सोचना होगाकुलगुरु प्रो. शुभा तिवारी ने कहा हमें विद्यार्थियों की सोच को व्यापक बनाना होगा। केवल नौकरी की मानसिकता से बाहर निकलकर युवाओं को आत्मनिर्भरता और उद्यमिता की दिशा में बढ़ना होगा। पारिवारिक सहयोग, स्थानीय वातावरण और व्यक्तिगत अभिरुचि के आधार पर विश्वविद्यालय उनके विचारों को साकार करने में मदद करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय की यह पहल क्षेत्र के युवाओं को रिसर्च-आधारित स्टार्ट-अप्स और स्व-रोजगार की ओर प्रोत्साहित करेगी।
विश्वविद्यालय का इन्क्यूबेशन सेंटर अब स्टार्ट-अप्स के लिए एक सशक्त और औपचारिक मंच के रूप में कार्य करेगा। इसके माध्यम से स्टार्ट-अप्स को...
- अपने नवाचारों को व्यावसायिक रूप देने का अवसर मिलेगा।
- विशेषज्ञों, मेंटर्स और उद्योग जगत के साथ नेटवर्किंग की सुविधा होगी।
- स्थानीय संसाधनों पर आधारित उद्यम शुरू करने का मौका मिलेगा।
- नए रोजगार और रोजगारोन्मुख स्टार्ट-अप्स की स्थापना की संभावना बढ़ेगी।
यह उपलब्धि सिर्फ विश्वविद्यालय तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि सम्पूर्ण बुंदेलखंड क्षेत्र को प्रभावित करेगी। विश्वविद्यालय अब महज एक शैक्षणिक संस्थान न रहकर नवाचार और उद्यमिता का केंद्र बनेगा। क्षेत्रीय समस्याओं जैसे कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा और जल प्रबंधन के लिए इननोवेटिव प्रोजेक्ट्स विकसित किए जा सकेंगे। ग्रामीण युवाओं को भी उद्यमिता से जोड़कर स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराया जा सकेगा।
इस पहल से सीधे तौर पर विद्यार्थियों को लाभ होगा। उन्हें स्टार्ट-अप शुरू करने के लिए मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और फंडिंग मिलेगी। विश्वविद्यालय के शोध कार्यों को उद्योग और समाज की जरूरतों से जोड़ा जा सकेगा। युवाओं में स्वावलंबन और उद्यमिता संस्कृति का विकास होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह उपलब्धि बुंदेलखंड के लिए आर्थिक और सामाजिक विकास का नया द्वार खोलेगी। लंबे समय से रोजगार के अभाव से जूझ रहे इस क्षेत्र में अब स्टार्ट-अप संस्कृति विकसित होगी। स्थानीय स्तर पर स्व-रोजगार और छोटे उद्योग बढ़ेंगे, जिससे पलायन की समस्या भी कम हो सकती है।
Published on:
11 Sept 2025 10:36 am
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