
गिरदावरी का प्रशिक्षण
छतरपुर. बेरोजगारी का ये आलम है कि गिरदावारी के सर्वे के लिए पटवारी के सहायक के रुप में काम करने के लिए बीटेक, एमसीस पास युवा भी लाइन लगाए हुए हैं। काम भी ऐसा है कि जिसमें एक सर्वे का मात्र 8 रुपए मिलना है, लेकिन इतनी कम राशि के काम के लिए भी युवाओं की भीड़ उमड़ रही है।
नौगांव तहसील परिसर में बड़ी संख्या में युवा पटवारी के सहयोगी के रूप में गिरदावरी की अस्थाई नौकरी के आवेदन जमा करने एवं ट्रेनिंग के लिए पहुंचे। तहसील में मास्टर ट्रेनर पटवारी छवि किशोर पटेल, मनीष पटेल और आरआई द्वारका प्रसाद गुप्ता ने युवाओं को फसलों के सर्वे करने के बारे में प्रशिक्षित किया। गांवों में किसानों की फसलों की गिरदावरी कार्य के लिए पटवारियों के सहायक के रूप में कार्य करने के लिए शुक्रवार को सर्वेयरों के आवेदन तहसील कार्यालय में जमा करने के साथ ट्रेनिंग भी दी गई।
नौगांव तहसील में सर्वे के लिए आवेदन देने गांव-गांव के युवा अपने परिजन के साथ पहुंचे। इनमें कई महिलाएं अपने बच्चों के साथ भी पहुंची। वहीं कई युवा ऐसे भी थे जो कि एमएससी, बीएड, कम्प्युटर डिप्लोमा, एमए साइकोलॉजी की उच्च शिक्षा की डिग्री लिए हुए थे। इतनी उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद इन्हें इस काम के लिए प्रति सर्वे 8 रुपए और अतिरिक्त फसल के लिए 2 रुपए मिलेंगे। औसतन एक युवा इस बार की फसलों की गिरदावरी में महीने के 5 से 6 हजार रुपए ही कमा पाएंगे। अधिकांश युवाओं ने इस पद को सहायक पटवारी का काम समझा और इसी फेर में वे इस काम के लिए जद्दोजहद करते हुए नजर आए।
लोकल यूथ क्रॉप सर्वेयर योजना के तहत नौगांव तहसील के गांवों में सर्वेयर नियुक्त करने के लिए इन आवेदकों को बुलाया गया था, जिसकी पात्रता कम से कम 8वीं पास रखी गई थी। यह नियुक्ति एक वर्ष के लिए रहेगी। नौगांव तहसीलदार संदीप कुमार तिवारी का कहना है कि शासन यह चाहता है कि इस बार फसलों की गिरदावरी लोकेशन के हिसाब से हो। लगभग हर कार्य का विकेंद्रीयकरण किया जा रहा है। इससे गांव के युवाओं को रोजगार मिलेगा और पटवारी को सहयोगी मिल जाएगा।
फसलों की गिरदावरी 20 जुलाई से शुरू हो चुकी है जो 15 सितंबर तक चलेगी। पटवारियों के पास कई काम होने के कारण वे हर खेत पर नहीं जा पाते हैं। सर्वेयर उनकी इसमें मदद करेंगे। सर्वेयर की भरी जानकारी पटवारी की आईडी पर जाएगी। 10 फीसदी एंट्री का भौतिक सत्यापन पटवारी, 5 फीसदी का तहसीलदार और 1फीसदी का एसडीएम करेंगे। एक छोटे गांव में औसतन 250 से 300 तो बड़े में 500 से 600 खेत रहते हैं।
Published on:
31 Jul 2024 10:30 am
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