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केंद्रीय स्कूलों की तर्ज पर विकसित होंगे जिले के 11 स्कूल, जानें वजह

- प्रत्येक विकासखंड में एक स्कूल किया जाएगा तैयार

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केंद्रीय स्कूलों की तर्ज पर विकसित होंगे जिले के 11 स्कूल, जानें वजह

केंद्रीय स्कूलों की तर्ज पर विकसित होंगे जिले के 11 स्कूल, जानें वजह

छिंदवाड़ा/ सीएम राइज के तहत जिले के सभी विकासखंडों में 11 स्कूल आधुनिक तकनीकी से तैयार किए जाएंगे, जो कि केंद्रीय विद्यालय और निजी स्कूलों की तर्ज पर होंगे। इसके साथ ही शिक्षकों की नियुक्तियां चयन परीक्षा के माध्यम से की जाएगी। बताया जाता है कि योजना को वर्ष 2023 तक पूर्ण किया जाना हैं।

राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान छिंदवाड़ा से मिली जानकारी के अनुसार छिंदवाड़ा में शासकीय उमावि गुरैया और जुन्नारदेव के शासकीय उमावि दमुआ समेत तामिया, परासिया, अमरवाड़ा, हर्रई, चौरई, सौंसर एवं पांढुर्ना उत्कृष्ट विद्यालयों का चयन शुरुआत में सीएम राइज के तहत किया गया हैं।

बताया जाता है कि विभाग द्वारा जिले में 325 एंकर स्कूलों का चयन किया गया था, जिनके 15 से 20 किलोमीटर के दायरे में 3567 प्राथमिक-माध्यमिक, हाई-हायर सेकंडरी स्कूलों की समेकित शाला बनाई जाएगी। साथ ही एंकर स्कूलों में कक्षा पहली से बारहवीं तक की पढ़ाई कराए जाने का लक्ष्य रखा गया था। शासन द्वारा प्रत्येक स्कूल में करीब बीस करोड़ खर्च कर आधुनिक शिक्षा व्यवस्था बनाने की योजना थी, जो कि अब प्रत्येक विकासखंड के चिन्हित स्कूल में खर्च की जाएगी।


इन सुविधाओं और व्यवस्थाओं को किया जाएगा विकसित -


1. केंद्रीयकृत पाठ्यक्रम बनाया जाएगा, जो कि अंग्रेजी-हिन्दी भाषाओं में पढ़ाए जाएंगे।


2. स्कूल आने-जाने के लिए परिवहन व्यवस्थाएं बनाई जाएगी, जिसके लिए विभाग ने विभिन्न तहर के वाहनों का आंकलन किया हैं।


3. स्कूल में कैंटीन, स्वीमिंगपूल, लाइब्रेरी, स्मार्टक्लास, कम्प्यूटर लैब समेत अन्य व्यवस्थाएं होगी।


- शासन से मिले हैं निर्देश -


जिले के प्रत्येक विकासखंड में एक स्कूल का चयन सीएम राइज के तहत किया गया है, जिसकी सूची शासन द्वारा उपलब्ध कराई गई हैं।


- अरविंद चौरगड़े, जिला शिक्षा अधिकारी छिंदवाड़ा


शिक्षक संगठन जता रहे विरोध -


सीएम राइज स्कूलों के संदर्भ में कई शिक्षक संगठन विरोध जता रहे हैं, जिसके विरोध में ज्ञापन भी सौंपे गए हैं। शिक्षकों का मानना है कि सीएम राइज योजना आरटीइ एवं लोक शिक्षा के लोकव्यापीकरण की अवधारणा एवं नियम के विपरित है। इससे शिक्षा का केंद्रीकरण हो सकता हैं तथा निजीकरण को बढ़ावा मिलने की आशंका हैं। इतना ही नहीं ड्रॉपआउट की संख्या में वृद्धि के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्र की बालिका शिक्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।