
छिंदवाड़ा. जिले के पांढुर्ना में पोला त्योहार के दूसरे दिन मंगलवार को परम्परा के नाम पर हुए गोटमार मेले में खूब पत्थर बरसे। सुबह से शाम तक पथराव में 450 से ज्यादा लोग घायल हुए। परम्परा के अनुसार 17वीं सदी के प्रेमियों की याद में पांढुर्ना और सांवरगांव पक्ष के लोगों ने सुबह मां चंडिका का पूजन किया और जाम नदी में झंडा लगाया।उसके बाद पत्थर के साथ गोफन चले।
काम नहीं आई प्रशासनिक सख्ती
मानव अधिकार आयोग की सिफारिशों पर प्रशासन वर्ष 2009 से कई बार इस मेले में पत्थरबाजी बंद करने के प्रयास कर चुका है, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। इस मेले में हर वर्ष करीब 400 से ज्यादा लोग घायल होते हैं। इसके साथ ही अनेक की मौत भी हो चुकी है। फिर भी मेले की परम्परा कायम है। पिछले वर्ष कोरोना संक्रमण के बावजूद मेला हुआ और इस बार भी पुराने स्वरूप में स्थानीय लोग इस रस्म अदायगी को पूरा करने प्रतिबद्ध दिख रहे हैं। कलेक्टर सौरभ कुमार ने धारा 144 के तहत प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए।
पुलिस की मौजूदगी में भी चले पत्थर
जिले के सभी थाना और चौकी का स्टाफ गोटमार मेले में ही तैनात किए गए। पुलिस अधीक्षक विवेक अग्रवाल और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार उइके को पूरे समय गोटमार मेले की प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखने की जिम्मेदारी सौपी गई। पुलिस अधीक्षक अग्रवाल ने बताया कि गोटमार मेले में 10 डीएसपी, 18 निरीक्षक, 400 जिला पुलिस बल एवं एसएएफ की 2 टुकड़ी तैनात की गई थी। इसके बावजूद मेले में जमकर पत्थर चले और 450 लोग घायल हो गए।
Published on:
08 Sept 2021 08:57 am
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