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Nagalok Darshan: दो साल बाद होंगे दुर्गम नागलोक के दर्शन, उमड़ेगा श्रद्धालुओं का सैलाब

नागद्वारी मेले के आयोजन को लेकर कोयलांचल के श्रद्धालु काफी उत्साहित हैं। दस दिनों तक चलने वाले इस मेला में शामिल होने के लिए लम्बी और कठिन यात्रा को पूरा कर श्रद्धालु पहुंचते हैं।

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nagdwari

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छिंदवाड़ा/परासिया. नागद्वारी मेले के आयोजन को लेकर कोयलांचल के श्रद्धालु काफी उत्साहित हैं। दस दिनों तक चलने वाले इस मेला में शामिल होने के लिए लम्बी और कठिन यात्रा को पूरा कर श्रद्धालु पहुंचते हैं। वहीं वापसी में एक माह तक कठिन विधि को अपनाते हैं, जिसमें अपने हाथ का बना भोजन ही करते और जमीन पर सोते हैं। नागपंचमी के अवसर पर पचमढ़ी में लगने वाला दस दिवसीय मेला इस बार 25 जुलाई से 3 अगस्त 22 तक होगा। कोरोना संक्रमण के चलते गत दो साल से मेला आयोजन प्रतिबंधित रहा है।
मेला आयोजन तिथि की घोषणा महादेव मेला समिति पचमढ़ी नर्मदापुरम् के अध्यक्ष पदेन अपर कलेक्टर. विकास ने किया है। सतपुड़ा की सबसे बड़ी पहाड़ी श्रंख्लाओं के बीच सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी के अवसर पर प्रसिद्ध और नागद्वार मंदिर के द्वार वर्ष में सिर्फ एक बार एक दिन के लिए खुलेंगे। सबसे दुर्गम नागलोक के दर्शन की यात्रा में शामिल होने आस्था, साहस धैर्य और दमखम जरूरी है। प्राकृतिक नजारों और जोखम के बीच लगभग डेढ़ दर्जन से अधिक महाराष्ट्र और मप्र के सेवा मंडल अपनी सेवाएं देते हुए भंडारा पंडाल और विश्राम स्थल उपलब्ध करवाने की संभावना है। घने जंगल और खतरनाक पहाडिय़ों के बीच से नागद्वारी की कठिन यात्रा में हजारों की संख्या में भक्तजन पहुंचतेे हैं।
सतपुड़ा रिजर्व फॉरेस्ट द्वारा नागदेव मेला के लिए पंद्रह दिनों की अनुमति देता हैए जिसमें पहले पांच दिन सेवा मंडलों द्वारा नागद्वार मेला स्थल और उसके मार्ग में यात्रियों की सुविधा व्यवस्था जुटाने और भंडारा संचालन की तैयारी होती है। नागपंचमी के दूसरे दिन से वापसी प्रारंभ हो जाती है।