
बागेश्वर धाम का लग रहा दरबार- 7 अगस्त को हनुमंत कथा का अंतिम दिन, भंडारा भी होगा
बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की हनुमंत कथा शनिवार से शुरू हो गई है, रविवार को उनका दिव्य दरबार लग रहा है, इसके बाद शाम को कथा होगी, वहीं सोमवार को भी उनकी कथा होने के साथ ही भंडारे का आयोजन होगा, जिसमें देशभर से आए श्रद्धालु कथा सुनने के साथ ही महाप्रसादी का लाभ भी ले सकेंगे।
बागेश्वर धाम सरकार के आचार्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की एक झलक पाने के लिए शनिवार को लाखों की संख्या में भक्त सडक़ पर उतर आए थे। इस कारण नागपुर रोड पर शहनाई लॉन से सिमरिया सिद्धेश्वर मंदिर तक वाहनों का जाम लगा गया था। जिसमें खुद पं.धीरेंद्र शास्त्री दो घंटे तक फंसे रहे। उन्हें लिंगा बायपास से वैकल्पिक मार्ग के रास्ते सिमरिया तक ले जाया गया। वे 7 अगस्त तक आयोजित तीन दिवसीय दिव्य कथा सुनाने शनिवार दोपहर 12 बजे विशेष विमान से इमलीखेड़ा हवाईपट्टी पर पहुंचे थे। उसके उपरांत एफडीडीआई में छात्रों से मिले। पं. शास्त्री कमलकुंज शिकारपुर भी गए। फिर नागपुर रोड शहनाई लॉन में पहुंचकर जनसमुदाय से मुलाकात की। वे दोपहर चार बजे कथा स्थल की तरफ रवाना हुए तो दोनों तरफ लाखों भक्त उनकी एक झलक पाने बेताब खड़े थे। वाहनों की आवाजाही होने से सडक़ पर जाम लग गया। पं. शास्त्री का वाहन मुश्किल से आगे बढ़ा। लिंगा बायपास से मुश्किल से पहुंच पाए। फिर पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों ने उनका तुर्कीखापा होते हुए मार्ग डायवर्ट किया। तब वे शाम 6.30 बजे प्रवचन स्थल पर पहुंच पाए।
पहले लगेगा दरबार फिर होगी कथा
रविवार को पहले पंडित धीरेंद्र शास्त्री का दिव्य दरबार लगेगा, इसके बाद कथा होगी, सुबह ११ बजे से बागेश्वर धाम का दरबार लगने लगा है, जिसमें वे दरबार में उपस्थित श्रद्धालुओं को बुलाकर उनके भूत, भविष्य और वर्तमान बताने के साथ ही उनकी समस्या बताएंगे और पर्चे में उसका हल भी लिखकर देंगे। ताकि उन्हें उस समस्या से निजात मिल जाए। सोमवार को तीसरे दिन की कथा के साथ विशाल भंडारे का भी आयोजन होगा।
रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा मिलना चाहिए। मेरी इच्छा है कि रामचरित मानस देश के प्रत्येक सनातनी के घर में हो, इसका मुख्य कारण भगवान श्रीराम का चरित्र है, उनका बड़ा ही गूढ़ चरित्र है।
बागेश्वर धाम से आए आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने सिमरिया हनुमान मंदिर में आयोजित श्री हनुमंत कथा के दौरान ये बात कही। आचार्य धीरेंद्र शास्त्री ने सुंदरकांड में वर्णित चौपाई के माध्यम से हनुमान जी की सीता खोज के प्रसंग का वर्णन किया। इसके साथ ही उन्होंने भक्ति की शक्ति की महिमा भी रोचक प्रसंगों, बुंदेलखंडी शैली के साथ बताई। शनिवार देर शाम सात बजे से शुरू हुई श्री हनुमंत कथा की शुरुआत श्रीराम की स्तुति से की गई। बाद में गणेश वंदना की, हनुमान चालीसा के पाठ के बाद श्रीराम का कीर्तन भी हुआ। शनिवार की रात पहले दिन की कथा लगभग नौ बजे समाप्त हुई। हालांकि कथा समाप्त होने के बाद भी श्रोता-श्रद्धालु पंडाल के नीचे रुके रहे। पंडित धीरेंद्र शास्त्री इस दौरान सभी का अभिवादन स्वीकार करते रहे। बाद में एक बच्ची को उसकी कॉपी में अपना ऑटोग्राफ देकर उसकी इच्छा भी पूरी की।
Published on:
06 Aug 2023 11:50 am
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