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Chhindwara Election Result: छिंदवाड़ा सीट क्यों हार गई कांग्रेस, सामने आई यह सच्चाई

Chhindwara Election Result: नकुलनाथ और दीपक सक्सेना के साथ कमलनाथ की ये तस्वीर चुनाव के दौर की है। भाजपा ने इस तस्वीर के मर्म को समझा, सियासी दांव-पेच आजमाए, दीपक सक्सेना को भाजपा का अंगवस्त्र पहनाया और छिंदवाड़ा का गढ़ जीतने की राह बना ली ।

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Chhindwara result

Chhindwara Election Result: 21 मार्च 2024, वो तारीख थी जब कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ के व्यवहार से कांग्रेस के कद्दावर नेता दीपक सक्सेना आहत हो गए, और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। 27 मार्च 2024 को दीपक के घर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रहलाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय पहुंचे। बंद कमरे में बातचीत की। 5 अप्रेल 2024 को दीपक सक्सेना ने सैकड़ों समर्थकों के साथ कांग्रेस छोड़ी और सीएम के सामने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की।

ये दिन छिंदवाड़ा की राजनीति का टर्निंग प्वॉइंट (Turning Point of Chhindwara Politics) रहा और कमलनाथ की पकड़ कमजोर होती गई। दीपक के भाजपा में जाने के 8 दिन बाद अमरवाड़ा विधायक कमलेश शाह के स्वाभिमान को ठेस पहुंची। ये सब घटनाएं जब हो रही थीं, तब कमलनाथ ने एक बार भी मौन नहीं तोड़ा। इसका नतीजा रहा कि भाजपा ने सामान्य कार्यकर्ता विवेक बंटी साहू के सहारे ही कांग्रेस के गढ़ को ढहा दिया, जिस पर 45 साल से नाथ परिवार का कब्जा था।

2024 के चुनाव में भाजपा की जीत कई मायनों में अहम है। 6 माह पहले विधानसभा चुनाव में छिंदवाड़ा से कमलनाथ ने बंटी को 37 हजार वोट से हराया था। जिले की सभी विधानसभा सीट पर जीत से कांग्रेस अति उत्साह में आ गई कि लोकसभा चुनाव आसान होगा। नकुलनाथ ने कांग्रेस के सिपहसालार और निष्ठावान नेता-कार्यकर्ताओं को नजरंदाज करना शुरू कर दिया।

भाजपा ने कमलनाथ नहीं, सीधे नकुल पर किए अटैक

भाजपा नेताओं ने छिंदवाड़ा में कमलनाथ के प्रति जनता में विशेष छवि होने से उन्हें नहीं छेड़ा। पूरा ध्यान नकुल पर केंद्रित किया। भाजपा नेता लगातार कहते रहे कि नकुल ने संसदीय क्षेत्र के जनहित के मुद्दे नहीं उठाए। विकास की कोई कार्ययोजना सरकार के सामने पेश नहीं की। बंटी साहू को जिले का बेटा पेश किया। सीएम डॉ. मोहन यादव ने इसी पर ध्यान केंद्रित किया। वोटरों को कांग्रेस की गुलाम मानसिकता से बाहर आने की प्रेरणा दी।

अमित शाह ने बिताई रात, हर रणनीति पर फोकस

भाजपा की राजनीति के चाणक्य अमित शाह ने पहले चरण के चुनाव प्रचार खत्म होने वाले दिन 16 अप्रेल को छिंदवाड़ा में रोड शो किया। उन्होंने पूरी रात बिताई। बंटी साहू के विरोधी गुट को साधा। जीत की रणनीति पर फोकस किया। सीएम डॉ. मोहन यादव 8 बार छिंदवाड़ा आए। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सभा की। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने बूथवार कार्यकर्ताओं का उत्साह जगाया, ये जीत के बूस्टर बने।

कांग्रेस का अतिउत्साह, भाजपा ने असंतुष्ट साधे

नकुलनाथ ने 'कमलनाथ के हनुमान' और 1974 से कांग्रेस सदस्य दीपक सक्सेना तक को अपमानित किया। वे पार्टी से निकले तो कांग्रेस में भगदड़ सी रही। यह सिलसिला लोकसभा चुनाव के मतदान की तारीख 19 अप्रेल तक जारी रहा। आश्चर्य था कि कमलनाथ सब देखते रहे। उन्होंने किसी को भाजपा में जाने से नहीं रोका। वहीं, भाजपा ने कैलाश विजयवर्गीय सहित वरिष्ठ नेताओं को यहां जिताने का जिम्मा दिया। कांग्रेस में तोडफ़ोड़ की। बार-बार भाषणों में छिंदवाड़ा को गोद लेने की बात कही। इसका असर पड़ा।

कांग्रेस से ये नेता निकले, फिर लिया अपमान का बदला

पूर्व मंत्री दीपक ससेना के अलावा उनके बेटे अजय सक्सेना, अमरवाड़ा के तत्कालीन विधायक कमलेश शाह, महापौर विक्रम अहके, नगर निगम के 9 पार्षद व सभापति, पांढुर्ना नगरपालिका अध्यक्ष संदीप घाटोड़े, जिला पंचायत उपाध्यक्ष अमित सक्सेना, चौरई के पूर्व विधायक चौधरी गंभीर सिंह, चांद क्षेत्र के क्षत्रप बंटी पटेल समेत 1000 से अधिक पदाधिकारी कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए। फिर उन्होंने अपने क्षेत्र में भाजपा का प्रचार किया। पार्टी को जिताने के हर प्रयास किए। नतीजा रहा कि बंटी साहू ने नकुलनाथ को 1.13 लाख वोट से हराया, यह अपने आप में बड़ा रेकॉर्ड है।