
छिंदवाड़ा. चार माह के विश्राम के बाद सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु चार दिन बाद 15 नवम्बर को देवउठनी एकादशी पर निंद्रा से जागेंगे। बता दें कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहते हैं। इसे देवोत्थान एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
मान्यता है कि चार माह की निद्रा के बाद भगवान विष्णु जागते हैं और सृष्टि का संचालन करते हैं। भगवान के जागने के साथ ही चार माह से शादी विवाह, मुंडन सहित बड़े मांगलिक कार्यों पर लगा विराम समाप्त हो जाएगा और शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाएगी। देवउठनी एकादशी 15 नवम्बर को मनाई जाएगी। इस मौके पर घरों में गन्ने से मंडप सजाए जाएंगे। श्रद्धालु बेर भाजी आंवला, उठो देव सांबला के जयघोष के साथ भगवान का मनुहार कर उन्हें जगाएंगे और गन्ने से सजे मंडप में तुलसी और शालिगगाम का विवाह होगा।
एकादशी पर श्रद्धालु भगवान विष्णु को भजन कीर्तन के साथ जगाएंगे और विवाह मंत्र के साथ तुलसी और शालिगराम का विवाह कराया जाएगा। षष्ठी माता मंदिर के पुजारी पं. गंगा प्रसाद ड्विवेदी ने बताया कि इस बार 14 नकन्र को आधे दिन से ग्यारस पड़ रही है इसलिए 15 नवम्बर को ही देवडठनी एकादशी मनाई जाएगी। देवशयनी एकादशी से देखउठनी एकादशी तक चार माह का समय चातुर्मास कहलाता है। इस दौरान भगवान शयन करते हैं, इसलिए बड़े मांगलिक कार्य वर्जित माने गए हैं। देवउठनी एकादशी के साथ ही चातुर्मास समाप्त हों जाएगा और मांगलिक कार्यों की शुरुआत हों जाएगी।
19 नवम्बर से शादी के मुहूर्त
15 नवम्बर से शुभ विवाह की लग्न का शुभारम्भ हो जाएगा। पंडितों के अनुसार 19 नवम्बर सै 13 दिसम्यर के बीच शादियों के 12 का शुभ मुहूर्त हैं। यानी हर वर्ष की अपेक्षा इस बा ताक दो चुकी बार अनलॉक हो। धीरे-धीरे सबकुछ सामान्य हो गया है। हालांकि अभी भी कोरोना की तीसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। अगर ऐसा नहीं हुआ लो इस बार कम शुभ हूँ होने की वजह से एक दिन में कई शादियां देखने को मिलेंगी।
Published on:
12 Nov 2021 05:57 pm
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