28 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

छिंदवाड़ा के गेहूं पर ‘हावड़ा’ का ग्रहण

नीलामी के बाद खरीदी निरस्त कर रहे व्यापारी

2 min read
Google source verification
wheat

wheat

छिंदवाड़ा। कुसमेली कृषि उपज मंडी में इन दिनों एक नई समस्या आ रही है। गेहूं की नीलामी के बाद व्यापारी खरीदी निरस्त कर रहे हैं। हर दिन ऐसे मामले सामने आ रहे हैं। इस समस्या से किसान और व्यापारी दोनों ही परेशान हैं।
दरअसल, कुसमेली में गेहूं को ढेर करने के बाद नीलामी की जाती है। नीलामी की प्रक्रिया में व्यापारी इसी ढेर को देखकर बोली लगाते हैं। इन दिनों जिस व्यापारी पर अंतिम बोली टूटती है, वह व्यापारी बाद में गेहूं की जांच-परख कर पहली नीलामी को रद्द कर देता है। इससे किसान परेशान हो जाता है। काफी हुज्जत के बाद 25 से 50 रुपए प्रति क्विंटल कम कर व्यापारी गेहूं खरीदी करता है। मंडी निरीक्षक ने बताया कि गेहूं के ढेर में हावड़ा किस्म का गेहूं मिले होने के कारण व्यापारी उस गेहूं को खरीदने से बचते हैं। इसलिए ऐसी समस्या आ रही है।

हावड़ा किस्म से बनता है रवा
मालवराज अथवा हावड़ा गेहूं से सूजी बनाई जाती है। इसे आटा मिलों में नहीं भेजा जा सकता है। इसी वजह से व्यापारी इसे लेने से बचते हैं। रेट कम होता है। तो कई बार किसान इसे सामान्य गेहूं में मिलाकर बेचने का प्रयास करते हैं। ऐसा वे किसान करते हैं जो कई दूसरे किसानों की उपज खरीदकर मंडी लाकर बेचते हैं।

गुरुवार को सामने आए दो मामले
जुन्नारदेव भटुरिया कला के बद्रीनाथ यदुवंशी के करीब 32 क्विंटल के खुले गेहूं के ढेर पर गुरुवार को दो बार नीलामी हुई। पहली बार 2457 रुपए प्रति क्विंटल और दूसरी बार 2427 रुपए प्रति क्विंटल की दर से नीलामी टूटी। दोनों ही बार व्यापारी ने नीलामी की पर्ची लौटा दी। मंडी निरीक्षक की दखल के बाद 2440 रुपए प्रति क्विंटल में दूसरी बार निरस्त करने वाले व्यापारी ने ही लिया। दूसरा मामला उमरडोह के किसान सुरेश साहू का है। इनसे करीब 30 क्विंटल गेहूं की उपज को नीलामी में 2470 रुपए प्रति क्विंटल में लिया। बाद में ढेर को फिर से देखने के बाद उसे 2427 रुपए प्रति क्विंटल में खरीदा।

इनका कहना है
कम दरों में बिकने वाले हावड़ा गेहूं को किसान सामान्य गेहूं में मिलाकर ले आते हैं, जो कि आटा मिलों के काम नहीं आता। ऐसे गेहूं को अलग से बेचना चाहिए। मंडी में ऐसे हर दिन एक दो मामले आते हैं। मंडी कर्मचारियों के माध्यम से होने वाली नीलामी में काफी जल्दबाजी की जाती है। इससे नीलामी में गेहूं खरीदने वाला व्यापारी बाद में परीक्षण करता है।
प्रतीक शुक्ला, अध्यक्ष अनाज व्यापारी संघ