
इको सेंसिटिव जोन ने फेर दिया कई व्यवसायी के अरमानों पर पानी
बी. के. पाठे
छिंदवाड़ा. पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी-छिंदवाड़ा के आस-पास लगे विभिन्न क्षेत्रों में भूमि खरीदकर वहां व्यवसाय स्थापित करने की मंशा रखने वालों के लिए यह बुरी खबर हो सकती है। जिन्होंने पहले भूमि खरीद ली है उनके लिए भी और जो खरीदने की सोच रहे हैं वह सावधान हो जाएं। जानकारी के अभाव में जिले के और अन्य जिलों के व्यवसायी भी यहां आकर व्यवसायिक दृष्टि जमीन खरीद रहे हैं।
पेंच टाइगर रिजर्व साल के कुछ महीनों को छोड़कर लगभग पूरे साल पर्यटकों से गुलजार रहता है। यहां की आबो हवा और वातावरण देश और दुनिया में विख्यात है। नगर और महानगरों से लोग पेंच टाइगर रिजर्व में छुट्टियां बिताने के लिए आते हैं। पर्यटक स्थल होने के चलते व्यवसायियों की पेंच टाइगर रिजर्व से लगे 108 गांवों के विभिन्न क्षेत्रों की जमीन पर निगाह जमी रहती है। जिले के कई लोगों ने यहां जमीनें सालों पहले खरीद रखी है तो कुछ अभी खरीद रहे हैं। जिले के बाहर से आकर भी लोग यहां भूमि खरीद रहे, लेकिन जिस उद्देश्य से वे भूमि क्रय कर रहे हैं वह पूरा होने वाला नहीं है, क्योंकि जमीन खरीदने के पीछे का सबसे बड़ा मकसद है व्यवसाय जो अब संभव नहीं है। व्यवसायिक दृष्टि से निर्माण नहीं किया जा सकता। इको सेंसिटिव जोन की गाइड में इस बात का उल्लेख किया गया है। हाल ही में जमतरा गांव में एक निर्माण रोका जा चुका है साथ ही किए गए निर्माण को तोडऩे की प्रक्रिया भी जारी है। पेंच टाइगर रिजर्व के आस-पास के विभिन्न 108 गांव के विभिन्न क्षेत्रों में जो भूमि खरीदने की सोच रहे हैं वे सावधान हो जाएं।
इको सेंसिटिव जोन की अधिसूचना
पेंच टाइगर रिजर्व के इको सेंसिटिव जोन की अधिसूचना के तहत जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की अधिसूचना नई दिल्ली 6 नवम्बर 2019 के प्रकाशित राजपत्र में उल्लेखित विभिन्न कानूनों के तहत किसी भी तरह के व्यवसायिक निर्माण नहीं किया जा सकता है। पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी-छिंदवाड़ा के 108 गांव में इको सेंसिटिव जोन घोषित हो चुका है। इको सेंसिटिव जोन की सीमा पेंच टाइगर रिजर्व के संरक्षित क्षेत्र (कोर एरिया) से शुरू होती है। इन गांव के विभिन्न क्षेत्रों में जो कि इको सेंसिटिव जोन के व्यवसायिक निर्माण कानूनों के अधीन आते हैं। इन क्षेत्रों में व्यवसायिक निर्माण अब संभव नहीं होगा। इको सेंसिटिव जोन टाइगर रिजर्व के आस-पास के पर्यावरण को बचाने के लिए लागू किया गया है। यह कानून देश के हर टाइगर रिजर्व के आस-पास लागू होता है।
इन गांवों के विभिन्न क्षेत्रों में इको सेंसिटिव जोन घोषित
तीकारी मल, तीकारी रयात, करमाझिरी, बरेलीपार, सलाहाई, सिमरिया, साराहरी, भोदकी, तेवनी, घाट कोहका, कटान्गी, सुरेर, पंजरा, सिंदारिया, धुतेरा, मोहगांव तितरी, पतराई, निवारी, अलेसुर, अगरी, पारासपानी, राययारी, पिण्डकापर, कोदाझीर, सेतेवानी, पोतिया, अमबारी, खामरीथ, मामबा, विजयपानी, जीरेवारा, मोहगांव यादव, दुर्गापुर, सतोशा, अम्बाझीरी, तेलिया, आवारधानी, कुप्पीटोला, नयागांव, मुडीयारीथ, पचधार, कोहका, तुरिया, अरजुनी, कोथर, साखादेही, दरासी खुर्द, दरासी कला, सवानगी, बवानथादी, गंदाटोला, नयेगांव, खापा, अतारवानी, मगरकाथा, पंदायेर, दुल्हापुर, मोहगांव, मिर्छवाड़ी, सकटा, कुरई, बंसखेड़ा, कुम्भपानी, दावाझीरी, जमतारा, कान्हासागर, थोटामल, थोटा रैयात, नाहरझीर, बंधन मल, पथरी, बंधन रैयात, गुमतारा, पथरा खुर्द, सामरिया, सिंगरदीप, घारगांव, कोनापिंडराई, साजपानी, हलाल कला, हलाल खुर्द, मदरीया, कोकीबारा, धौलपुर, खंजर, सलीवाड़ा, अंतरा, दोंगरगांव, कधिया, दैनी, मरजातपुर, पुलपुलदोह, खामरपानी, दुधगांव, देवरी, मोहगांव, खुर्द, सनवारी, थुयेपानी, चिर्रेवानी, बासनपुर, बोरदी, सिर्रेपानी, पथरा कला, कोकीवारा, कुनदई, सिलोता कला, सिलोता खुर्द पेंच टाइगर रिजर्व सिवनी-छिंदवाड़ा के 108 गांव है और इन गांव के विभिन्न क्षेत्रों में इको सेंसिटिव जोन घोषित हो चुका है।
Published on:
13 Dec 2021 01:25 pm
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