कौन थे राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह
राजा शंकर शाह गोंडवाना साम्राज्य के राजा थे। 1857 के विद्रोह की ज्वाला पूरे भारत में धधक रही थी। राजा शंकर शाह ने अपनी मातृभूमि को अंग्रेजों से स्वतंत्रत कराने के लिए युद्ध का आव्हान किया। इस संग्राम में कुंवर रघुनाथ ने अपने पिता राजा शंकर शाह का बढ़-चढकऱ सहयोग दिया। बताया जाता है कि 1857 में जबलपुर में तैनात अंग्रेजों की 52वीं रेजीमेंट का कमांडर क्लार्क के सामने राजा शंकर शाह और उनके बेटे कुंवर रघुनाथ शाह ने झुकने से इंकार कर दिया। दोनों ने आसपास के राजाओं को अंग्रेजों के खिलाफ एकत्र करना शुरू किया। कमांडर क्लार्क को अपने गुप्तचरों से यह बात पता चल गई, जिस पर क्लार्क ने राज्य पर हमला बोल दिया। अंग्रेज कमांडर ने धोखे से पिता-पुत्र को बंदी बना लिया। 18 सितंबर को दोनों को तोप के मुंह से बांधकर उड़ा दिया गया था। उसके बाद से हर साल 18 सितंबर को बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
घोषणा का स्वागत
अमर बलिदानी के नाम पर विश्वविद्यालय का नाम पर होना प्रशंसनीय है। मुख्यमंत्री की घोषणा का हम स्वागत करते हैं।
प्रो. एमके श्रीवास्तव, कुलपति, छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय
—– मुख्यमंत्री का जताया आभार
मुख्यमंत्री ने हमारी मांग मान ली है। अब उनका आभार व्यक्त करते हैं। अब छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय को राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाएगा। शैक्षणिक संस्थानों का नाम हमारे इन वीर क्रंतिकारियों के नाम पर होने से युवाओं के मन में अपनी मातृभूमि के लिए त्याग और समर्पण की भावना प्रस्फुटन होगा।
इंद्रजीत पटेल, जिला संयोजक, अभाविप
अमर बलिदानी के नाम पर विश्वविद्यालय का नाम पर होना प्रशंसनीय है। मुख्यमंत्री की घोषणा का हम स्वागत करते हैं।
प्रो. एमके श्रीवास्तव, कुलपति, छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय
—– मुख्यमंत्री का जताया आभार
मुख्यमंत्री ने हमारी मांग मान ली है। अब उनका आभार व्यक्त करते हैं। अब छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय को राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाएगा। शैक्षणिक संस्थानों का नाम हमारे इन वीर क्रंतिकारियों के नाम पर होने से युवाओं के मन में अपनी मातृभूमि के लिए त्याग और समर्पण की भावना प्रस्फुटन होगा।
इंद्रजीत पटेल, जिला संयोजक, अभाविप