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Education: मुख्यमंत्री के इस निर्णय का अभाविप ने किया स्वागत, अब विश्वविद्यालय का यह होगा नाम

locationछिंदवाड़ाPublished: Sep 19, 2021 02:51:24 pm

Submitted by:

ashish mishra

जनजातीय हितों के लिए अनेक घोषणा की।

College: पीजी कॉलेज को छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय के शिफ्ट होने का इंतजार

College: पीजी कॉलेज को छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय के शिफ्ट होने का इंतजार

छिंदवाड़ा. छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय अब राजा शंकर शाह के नाम से जाना जाएगा। इसकी घोषणा शनिवार को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जबलपुर में अमर शहीद जनजातीय नायक राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के 164वां बलिदान दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए की। उनके साथ केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे। उन्होंने राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद आदिवासियों के लिए कई सौगातें दी। जनजातीय हितों के लिए अनेक घोषणा की। गौरतलब है कि दो दिन पहले ही अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय का नाम राजा शंकर शाह के नाम पर करने की मांग की थी। जानकारों के अनुसार उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय को पत्र भेजकर मुख्यमंत्री की घोषणा से अवगत कराते हुए अग्रिम कार्यवाही करने को कहेंगे। इसके बाद सभी औपचारिकता पूरी की जाएगी। सभी जगह नाम बदले जाएंगे। इसके पश्चात विश्वविद्यालय पालन प्रतिवेदन राजभवन को भेजेगा। हालांकि कुछ जानकारों का कहना कि संभवत: कैबिनेट में इस प्रस्ताव को रखा जाएगा और वहां से पास होने के बाद नाम परिवर्तन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।

कौन थे राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह
राजा शंकर शाह गोंडवाना साम्राज्य के राजा थे। 1857 के विद्रोह की ज्वाला पूरे भारत में धधक रही थी। राजा शंकर शाह ने अपनी मातृभूमि को अंग्रेजों से स्वतंत्रत कराने के लिए युद्ध का आव्हान किया। इस संग्राम में कुंवर रघुनाथ ने अपने पिता राजा शंकर शाह का बढ़-चढकऱ सहयोग दिया। बताया जाता है कि 1857 में जबलपुर में तैनात अंग्रेजों की 52वीं रेजीमेंट का कमांडर क्लार्क के सामने राजा शंकर शाह और उनके बेटे कुंवर रघुनाथ शाह ने झुकने से इंकार कर दिया। दोनों ने आसपास के राजाओं को अंग्रेजों के खिलाफ एकत्र करना शुरू किया। कमांडर क्लार्क को अपने गुप्तचरों से यह बात पता चल गई, जिस पर क्लार्क ने राज्य पर हमला बोल दिया। अंग्रेज कमांडर ने धोखे से पिता-पुत्र को बंदी बना लिया। 18 सितंबर को दोनों को तोप के मुंह से बांधकर उड़ा दिया गया था। उसके बाद से हर साल 18 सितंबर को बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
घोषणा का स्वागत
अमर बलिदानी के नाम पर विश्वविद्यालय का नाम पर होना प्रशंसनीय है। मुख्यमंत्री की घोषणा का हम स्वागत करते हैं।
प्रो. एमके श्रीवास्तव, कुलपति, छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय
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मुख्यमंत्री का जताया आभार
मुख्यमंत्री ने हमारी मांग मान ली है। अब उनका आभार व्यक्त करते हैं। अब छिंदवाड़ा विश्वविद्यालय को राजा शंकरशाह विश्वविद्यालय के नाम से जाना जाएगा। शैक्षणिक संस्थानों का नाम हमारे इन वीर क्रंतिकारियों के नाम पर होने से युवाओं के मन में अपनी मातृभूमि के लिए त्याग और समर्पण की भावना प्रस्फुटन होगा।
इंद्रजीत पटेल, जिला संयोजक, अभाविप
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