पांढुर्ना (छिंदवाड़ा). एक ओर एसडीएम मयंक अग्रवाल समय सीमा की बैठक में जनपद पंचायत के अधिकारियों को निर्देश दे चुके हैं कि गांवों में सर्वे कर के पात्र हितग्राहियों को सरकारी योजनाओं का लाभ दें, दूसरी ओर मैदानी कर्मचारियों की लापरवाही से ग्रामीण आज भी योजनाओं का लाभ पाने तरस रहे हैं।
ग्राम पेंढोनी का मानिक पिता राखड्या गोहिते 65 वर्ष इस बात का जीता जागता उदाहरण है। मानिक के पिछले साल एक दुर्घटना के बाद पैर चलने में अक्षम हो गए। मानिक को एक जगह से दूसरे जगह आने जाने के लिए कमर के बल पर घिसट कर चलना पड़ता है। मानिक ने बताया कि पेंढोनी से वाड़ेगांव पेंशन लेने आता हूं। गांव से टैक्सी पकड़कर आता हूं। वाड़ेगांवपाटी से 2 किमी अंदर घिसट कर आता जाता हूं।
इसके बाद पांढुर्ना बस स्टैण्ड से सरकारी अस्पताल और अस्पताल से बस स्टैण्ड भी मुझे कमर के बल पर आना जाना पड़ता है। शासन ने इस प्रकार के मरीजों के लिए सामाजिक एवं न्याय विभाग के माध्यम से निशुल्क ट्राइसाइकिल वितरण योजना जैसी योजनाएं बनाकर रखी है, लेकिन मैदानी स्तर पर अमल नहीं होने के कारण आज भी दिव्यांग परेशान हो रहे हैं। अधिकारी या फिर कर्मचारियों के ध्यान नहीं देने से इस प्रकार के कई मामले शहर में हैं। परंतु जिम्मेदारी निभाई जाए तो धीरे-धीरे-धीरे कर परेशानियां कम की जा सकती है।