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डॉक्टर को तरस रहा रेलवे अस्पताल, चार साल से टोटा

रेलवे कर्मचारी, अधिकारी एवं पेंशनर्स को निजी अस्पताल की तरफ रुख करना पड़ रहा है।

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डॉक्टर को तरस रहा रेलवे अस्पताल, चार साल से टोटा


छिंदवाड़ा. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे नागपुर मंडल के अंतर्गत स्थित छिंदवाड़ा रेलवे स्टेशन का रेलवे अस्पताल इन दिनों डॉक्टर की कमी से जूझ रहा है। यहां लगभग चार वर्षों से स्थाई डॉक्टर की नियुक्ति नहीं की गई है। संविदा पर विगत कुछ वर्षों से डॉक्टर तो नियुक्त किए गए, लेकिन वह भी कुछ दिन में ही रहकर चले गए। बीते ३० जून को अस्पताल में अस्थाई तौर पर पदस्थ डॉक्टर ने इस्तीफा दे दिया। इसके पश्चात सप्ताह में दो दिन के लिए डॉक्टर की व्यवस्था नागपुर मंडल कार्यालय द्वारा बनाई गई, लेकिन वह भी औपचारिकता ही रह गई। आलम यह है कि डॉक्टर के न रहने की वजह से रेलवे कर्मचारी, अधिकारी एवं पेंशनर्स को निजी अस्पताल की तरफ रुख करना पड़ रहा है। अस्पताल में सबसे अधिक परेशानी पेंशनर्स के इलाज को लेकर है। बदलते मौसम में अक्सर उन्हें सामान्य बीमारी से जूझना पड़ता है। हैरानी की बात यह है कि जुलाई माह में नागपुर से दपूमरे नागपुर मंडल की डीआरएम एवं महाप्रबंधक के आगमन के समय आनन-फानन में दो दिन के लिए रेलवे अस्पताल में एक डॉक्टर को नैनपुर से बुलाया गया था। अधिकारियों के जाने के बाद डॉक्टर भी लौट गए।

बैठक में यूनियन ने उठाया था मुद्दा
बीते दिनों नागपुर में आयोजित हुई दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे नागपुर मंडल के अंतर्गत दो दिवसीय मजदूर कांग्रेस यूनियन एवं प्रशासन(पीएनएम)की संयुक्त बैठक में यूनियन के पदाधिकारियों ने भी छिंदवाड़ा रेलवे अस्पताल में डॉक्टर के नियुक्त न होने का मुद उठाया था। पदाधिकारियों ने बताया कि डीआरएम ने जल्द ही डॉक्टर के नियुक्त करने का आश्वासन दिया है। इसके लिए प्रक्रिया भी चल रही है। पांच जनवरी को नागपुर में साक्षात्कार भी होना है। इस बार वेटिंग लिस्ट में भी डॉक्टरों को रखा जाएगा। जिससे अगर एक डॉक्टर इस्तीफा देता है तो दूसरे को तत्काल बुला लिया जाए।

नागपुर रेफर का खेल
रेलवे अस्पताल में एक एमबीबीएस डॉक्टर, एक फार्मासिस्ट, एक ड्रेसर, एक नर्स, दो प्यून एवं एक सफाईकर्मी का पद स्वीकृत है। डॉक्टर को छोडक़र यहां सभी पद पर स्टाफ की तैनाती है। यहां प्रतिदिन 30 मरीजों की ओपीडी रहती है। अगर गंभीर बीमारी है तो मरीज को जिला अस्पताल या फिर नागपुर रेफर कर दिया जाता है।

आठ माह तक डॉक्टर रहे पदस्थ
रेलवे पेंशनर्स, कर्मचारी की मांग पर रेलवे अस्पताल में वर्ष 2017 में हैदराबाद के डॉक्टर चंद्रकांत रानाडे को अस्थाई तौर पर नियुक्त किया गया। लगभग आठ माह तक सेवाएं देने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कम वेतन मिलने की वजह से डॉक्टर ने इस्तीफा दिया था।