
छिंदवाड़ा. आजादी के समय भारतीय खादी ग्राम उद्योग ने अंग्रेजी कपड़ा उद्योग को पराजित किया था। यह एक वस्त्र नहीं विचार है। राष्ट्रीयता और ओजस्विता की प्रतीक खादी हमारी स्वतंत्रता का श्रेष्ठ भान कराती है। हमारा कर्तव्य है हम 15 अगस्त पर खादी के वस्त्रों को पहने और देश के ग्रामीण उद्योग को प्रोत्साहन दें। भारत माता के जयकारे के साथ खादी के वस्त्रों के अधिक से अधिक उपयोग को अपना नारा बनाए। यह कहना है शहर के विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं में पदस्थ प्राध्यापक एवं प्राचार्यों का। उन्होंने पत्रिका अभियान ‘एक दिन खादी के नाम’ की सराहना की। कहा कि हमारे जिले में आज भी काफी ऐसे लोग हैं जिन्होंने जीवन भर खादी वस्त्र का ही उपयोग किया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी मन की बात कार्यक्रम में यह कह चुके हैं कि जंगल धरोहर और खादी हमारी पहचान है। ऐसे में हम सबकी जिम्मेदारी है कि हम खादी के कपड़े पहनकर आजादी का जश्न मनाएं। खादी को बढ़ावा दें। स्वदेशी को बढ़ावा दें।
पत्रिका का आव्हान
पत्रिका द्वारा 77वें स्वतंत्रता दिवस पर ‘एक दिन खादी के नाम’ अभियान चलाया जा रहा है। यह दिन हम उन हस्तशिल्पियों और बुनकरों को समर्पित करना चाहते हैं जिनके हाथ चरखा चलाकर सूत कातते हैं। पत्रिका सभी से आव्हान करती है कि 15 अगस्त को आइए हम सभी खादी के बनें कपड़े पहने और स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल हों। आप हमें खादी कपड़ा पहनकर सेल्फी भी भेजें। चुनिंदा फोटो हम पत्रिका में प्रकाशित करेंगे।
खादी स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक ही नहीं, बल्कि सच्चा भारतीय होने की पहचान है। मैं अक्सर खादी के वस्त्र पहनता हूं। लोगों से अपील करता हूं कि वह भी खादी के वस्त्र पहना करें। आजादी के समय भारतीय खादी ग्राम उद्योग ने अंग्रेजी कपड़ा उद्योग को पराजित किया था। यह बात हमें हमेशा याद रखना चाहिए।
वेद प्रकाश तिवारी, प्राचार्य, सतपुड़ा लॉ कॉलेज
स्वतंत्रता दिवस और खादी दोनों शब्द अलग-अलग हैं, लेकिन दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं। खादी आंदोलन के बिना आजादी असंभव थी, लेकिन आज आजादी के बाद हम खादी के महत्व को भूलते जा रहे हैं। आधुनिकीकरण के युग में खादी की प्रासंगिकता शून्य हो चुकी है। युवा वर्ग को खादी के महत्व को समझना चाहिए।
खादी हमारा सम्मान और स्वाभिमान भी है। अगर हम इसके महत्व को समझते हैं तभी स्वतंत्रता के मायने सार्थक होंगे। खादी का महत्व बताने के लिए स्कूल में बच्चों को भी प्रोत्साहित करना चाहिए। स्वतंत्रता संग्राम के पहले से आज तक खादी राष्ट्रीयता की पहचान है। खादी को हमेशा महत्व देना चाहिए और इसे बढ़ावा देना चाहिए।
खादी हमारा सम्मान और स्वाभिमान भी है। राष्ट्रीयता और ओजस्विता की प्रतीक खादी हमारी स्वतंत्रता का श्रेष्ठ भान कराती है। हमारा कर्तव्य है हम 15 अगस्त पर खादी के वस्त्रों को पहने और देश के ग्रामीण उद्योग को प्रोत्साहन दें। भारत माता के जयकारे के साथ खादी के वस्त्रों के अधिक से अधिक उपयोग को अपना नारा बनाए।
विजय आनंद दुबे, वरिष्ठ रंगकर्मी
Published on:
13 Aug 2024 12:21 pm
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