पिछले दिनों चौरई कृषि उपज मंडी में करीब एक सौ किसानों से कृषि उपज खरीदकर सवा करोड़ रुपए भुगतान नहीं किया गया। मंडी समिति ने इस मामले में एफआईआर भी करवाई है। ऐसी स्थिति करीब-करीब सभी मंडियों में बनती है, जहां भुगतान के लिए व्यापारी जानबूझकर देरी करते हैं। इसके किसानों की मेहनत की कमाई के फंसने की आशंका रहती है।
कृषि उपज मंडी कुसमेली भी इस परंपरा से अछूता नहीं है। यहां भी कुछ व्यापारी किसान अथवा छोटे व्यापारियों की उपज को खरीदने के बाद भुगतान करने में देरी करते हैं। हालांकि अब तक अधिक देरी वाले मामले प्रकाश में नहीं आएं हैं। फिर भी तत्काल भुगतान के नाम पर करीब-करीब एक सप्ताह के लिए उधार ले ही लेते हैं।
किसान उमेश पाठे का कहना है कि सभी तो नहीं, कुसमेली मंडी में कुछ व्यापारी हैं जो 4-5 दिन तक भुगतान रोक देते हैं। किसान नरेश ठाकुर ने बताया कि ज्यादातर व्यापारी तत्काल भुगतान करते हैं, लेकिन अगले दिन गांधीगंज स्थित ऑफिस बुलाते हैं। अधिक परेशानी तो नहीं होती, लेकिन कई बार व्यापारी बड़े भुगतान का काफी हिस्सा रोक देते हैं। हालांकि अभी तक किसी किसान का भुगतान फंसने की समस्या नहीं आई।
मंडी निरीक्षक देवेंद्र धुर्वे ने बताया कि कृषि उपज मंडी कुसमेली सहित समस्त मंडियों में कृषि उपज की तौल के बाद तत्काल भुगतान का नियम है। इसके लिए नीलामी के दौरान मिली अनुबंध पर्ची में तुलावटी तौल एवं समस्त हिसाब लिख देते हैं। जब किसान को व्यापारी भुगतान करता है तो वह अनुबंध पर्ची ले लेता है। इसके साथ ही मंडी को जमा करने वाला भुगतान पत्रक भी व्यापारी जारी करता है, जिसका वेरीफिकेशन दो-चार किसानों से बातचीत करके मंडी समिति कई बार करती है। कुछ किसान एवं व्यापारी आपसी समझौता करके भुगतान का समय आगे बढ़ा लेते हैं। उसमें मंडी समिति का दखल नहीं होता। हालांकि भुगतान नहीं किए जाने पर किसान को पांच दिनों के अंदर मंडी समिति को सूचना दे देनी चाहिए।
सामान्य तौर पर अनाज का व्यापार करने वाले व्यापारियों को लाइसेंस प्रदान करते समय उनकी संपत्ति के दस्तावेज मंडी में जमा करवाए जाते हैं, लेकिन कुसमेली मंडी में छिंदवाड़ा अनाज व्यापारी संघ ने भी अपने स्तर पर संघ के सदस्यों की गारंटी के रूप में 20 लाख की एफडी जमा करवाई है। इसके साथ ही छिंदवाड़ा अनाज व्यापारी संघ का किसानों को भुगतान के लिए व्यापारियों पर दबाव बना रहता है। संघ अध्यक्ष प्रतीक शुक्ला ने बताया कि पुरानी साख वाले व्यापारियों को एक दो दिन का समय भले ही मिल जाए, लेकिन संघ नए नवेले व्यापारियों पर पूरी तरह नजर रखता है। यदि किसी किसान के भुगतान लंबित होने की जानकारी लग जाती है तो उस व्यापारी की उपज को मंडी प्रशासन, सचिव के सहयोग से मंडी परिसर से तब तक निकासी नहीं करने दिया जाता, जब तक कि भुगतान न हो जाए।
Published on:
17 Jun 2025 10:42 am