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Nagdwari Yatra: सर्पाकार है नागद्वारी की पैदल यात्रा, आस्था, रोमांच के साथ प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर

- नागपंचमी से दस दिन पहले एक अगस्त से शुरू होगी यात्रा - छिंदवाड़ा के साथ महाराष्ट्र के यात्रियों का दल होगा रवाना

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Nagdwari Yatra

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नाग पंचमी के दस दिन पहले सतपुड़ा अंचल की सबसे बड़ी नागद्वारी तीर्थ स्थल की यात्रा एक अगस्त से शुरू होगी। इस यात्रा में न केवल छिंदवाड़ा, बल्कि महाराष्ट्र के यात्री भी बड़ी संख्या में शामिल होंगे। इस यात्रा का आगाज सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी होते हुए होता है। छिंदवाड़ा के किसी भी यात्री को पहले तामिया, मटकुली होते हुए पचमढ़ी पहुंचना होगा। फिर यहां से सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के रास्ते से पैदल यात्रा करते हुए नागद्वारी के पद्म शेष मंदिर तक जाना होगा। 12 किमी की पैदल पहाड़ी यात्रा पूरी कर लौटने में भक्तों को दो दिन लगते हैं। नागद्वारी मंदिर की गुफा करीब 35 फीट लंबी है।

मान्यता…इसलिए यात्रा करने जाते हैं यात्री

एक मान्यता यह है कि पहाडिय़ों पर सर्पाकार पगडंडियों से नागद्वारी की कठिन यात्रा पूरी करने से कालसर्प दोष दूर होता है। दूसरा नागद्वारी में गोविंदगिरी पहाड़ी पर मुख्य गुफा में शिवलिंग में काजल लगाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

प्रशासन की ये तैयारी, निरीक्षण में गए संभागायुक्त

इस बार नर्मदापुरम् प्रशासन ने 1 अगस्त से 10 अगस्त तक चलने वाले इस मेले की तैयारी की है। नर्मदापुरम संभाग कमिश्नर कृष्ण गोपाल तिवारी समेत कलेक्टर ने इस यात्रा का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी न होने देने के निर्देश दिए।

नागद्वारी में नागदेव की कई मूर्तियां मौजूद

बताते हैं कि नागद्वारी के अंदर चिंतामणि की गुफा है। यह गुफा 100 फीट लंबी है। इस गुफा में नागदेव की कई मूर्तियां हैं। स्वर्ग द्वार चिंतामणि गुफा से लगभग आधा किमी की दूरी पर एक गुफा में स्थित है, स्वर्ग द्वार में भी नागदेव की ही मूर्तियां हैं। माना जाता है कि नागद्वारी की यात्रा करते समय रास्ते में यात्रियों का सामना कई जहरीले सांपों से हो सकता है, लेकिन भक्तों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है।

सौ वर्ष से अधिक पुरानी नागद्वारी यात्रा

पुराने बुजुर्ग बताते हैं कि नागद्वारी मंदिर की धार्मिक यात्रा को सौ वर्ष से ज्यादा हो गए हैं। लोग 2-2 पीढिय़ों से मंदिर में नाग देवता के दर्शन करने के लिए आ रहे हैं। सबसे पहले 1959 में चौरागढ़ महादेव ट्रस्ट बना था। 1999 में महादेव मेला समिति का गठन हुआ। तब से यहीं इस यात्रा को देख रही है।