
छिंदवाड़ा. जाली नोट के काले कारोबार की परतें आज तक नहीं खुल पाई। चंद साल पहले पुलिस ने बड़ी मात्रा में नकली नोट बरामद किए थे। कुछ आरोपितों को हिरासत में लेकर सख्ती से पूछताछ की तो उन्होंने कई लोगों के नाम उगले, लेकिन उनकी न तो गिरफ्तारी न ही पूछताछ की गई। इस मामले के मुख्य सरगना का आज तक कहीं पता नहीं चला। इस गोरखधंधे के तार उत्तरप्रदेश से जुड़े होने सामने आए थे। दूसरे मामले में भी आरोपितों को जेल भेजाजा चुका है, लेकिन नोट बनाने की सामग्री कहां से जुटाई और कौन-कौन शमिल थे इसकी परतें आज भी नहीं खुल पाई है।
कोतवाली पुलिस ने ८ अक्टूबर २०१४ को सिवनी रोड स्थित एक होटल में ठहरे शख्स को गिरफ्तार कर उसके कब्जे से ६ लाख ६० हजार रुपए के जाली नोट जब्त किए। दो बैग से कुछ ६ लाख ८० हजार रुपए के नोट बरामद किए थे। २० हजार के असली नोट थे। गिरफ्तार युवक कोलकाता निवासी अभिनव मजूमदार बताया था। पूछताछ में उसने हर्रई निवासी दो लोगों का नाम उगला था जिसमें एक डॉक्टर राहुल विश्वास बताया था। जिन लोगों के नाम सामने आए उनमें से अधिकांश को पुलिस ने हिरासत में लिया, लेकिन डॉक्टर राहुल विश्वास पुलिस के हाथ नहीं
लगा। कुछ दिनों के बाद पुलिस ने उसकी तलाश भी बंद कर दी। जिन्होंने लाखों करोड़ों रुपए कमाए उन तक पुलिस के हाथ नहीं पहुंच पाए।
अक्टूबर में कोतवाली पुलिस नागपुर रोड पर वाहनों की चैकिंग कर रही थी। पुलिस को देखकर बाइक सवार दो व्यक्ति भागने लगे। पुलिस ने उनका पीछा कर हिरासत में लिया। दोनों के कब्जे से पुलिस ने ९० हजार रुपए के जाली नोट बरामद किए। पूछताछ में उन्होंने नवेगांव थाना क्षेत्र के ग्राम बम्हनी रैयत निवासी सीताराम चौहान (२८) एवं विनोद तुमडाम का नाम बताया था। अन्य साथियों का नाम भी उन्होंने उगले जिसके आधार चार अन्य लोगों को गिरफ्तार किया। कुछ फरार आरोपियों को नागुपर से पकड़ा और उनके कब्जे से जाली नोट जब्त किए गए। आरोपित ने पुलिस को बताया कि उसने इंटरनेट पर देखकर जाली नोट बनाना सीखा था, लेकिन अन्य सामग्री कहां से खरीदी और किन स्थानों पर जाली नोट चलाए गए इसका अभी तक खुलासा नहीं हो पाया।
Published on:
15 Nov 2018 11:01 am
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