
छिंदवाड़ा. पेंच टाइगर रिजर्व के 108 गांव इको सेंसिटिव जोन में आते हैं। ऐसे में इन गांवों की सीमा क्षेत्र में किसी भी तरह के होटल और रसिसोर्ट का निर्माण वर्तमान में पूरी तरह से प्रतिबंधित है। जोनल मास्टर प्लान पारित होने के बाद केवल चिह्नित स्थानों पर ही होटल-रिसोर्ट निर्माण की अनुमति दी जाएगी। इसके बावजूद सेंसिटिव जोन में निर्माण से सम्बंधित फॉर्म को वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया। मामले की शिकायत होने के बाद अब जवाब-तलब किया गया है।
पेंच टाइगर रिजर्व की अधिकृत वेबसाइट पर बीते दिनों इको सेंसिटिव जोन में होटल एवं रिसोर्ट निर्माण की अनुमति का एक फॉर्म अपलोड किया गया था। इस फॉर्म को लेकर छिंदवाड़ा निवासी कैप्टन ब्रजेश भारद्वाज ने पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली को ऑनलाइन शिकायत की थी। पेंच टाइगर रिजर्व की वेबसाइट पर डाले गए फॉर्म पर अपत्ति ली थी। उन्होंने अपनी आपत्ति में इस बात का उल्लेख किया कि पेंच टाइगर रिजर्व के इको सेंसिटिव जोन में होटल और रिसोर्ट का निर्माण वर्तमान में प्रतिबंधित है। क्योंकि जोन मास्टर प्लान अभी लागू नहीं हुआ है तो फिर पेंच टाइगर रिजर्व की अधिकृत वेबसाइट पर होटल और रिसोर्ट के निर्माण की अनुमति से सम्बंधित फॉर्म क्यों डाला गया है।
जब तक जोनल मास्टर प्लान पारित नहीं हो जाता केवल चिह्नित स्थानों पर ही होटल और रिसोर्ट निर्माण की अनुमति दी जा सकती है। कैप्टन भारद्वाज की आपत्ति को इको सेंसेटिव जोन के एडिशनल डॉयरेक्टर ने गम्भीरता से लेते हुए पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली ने मप्र सरकार कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) भोपाल से उचित कार्रवाई करने के लिए निर्देशित किया है।
फील्ड निदेशक से मांगा जवाब
इस पूरे मामले पर अब कार्यालय प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) मप्र भोपाल ने पेंच टाइगर रिजर्व के फील्ड निदेशक से जवाब मांगा है और कैप्टन ब्रजेश भारद्वाज की आपत्ति को निराकृत करने के लिए निर्देशित किया है। हालांकि अभी तक यह भी स्पष्ट नहीं हो पाया है कि आखिर पेंच टाइगर रिजर्व की वेबसाइट पर फॉर्म अपलोड करने के पीछे का क्या मकसद रहा है। शिकायतकर्ता का कहना है कि इको सेंसेटिव जोन में होटल और रिसोर्ट का निर्माण वर्तमान में प्रतिबंधित है तो फिर निर्माण करने से सम्बंधित फार्म को अपलोड करने का क्या औचित्य है। वेबसाइट पर अपलोड किया गया फार्म छह नवंबर 2019 को प्रकाशित राजपत्र के कानूनों का भी उल्लंघन कर रहा है।
Published on:
01 Feb 2022 06:13 pm
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