
tribal dish tamia makke ki roti tamatar chatni monsoon mp tourism (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)
mp tourism: मानसून के समय बहुत से पर्यटक एमपी के हसीन जंगलों, सुन्दर झरनों और स्वादिष्ट व्यंजनों का लुत्फ उठाने लिए आते रहते है। खाने की बात करें तो छिंदवाड़ा के तामिया गेस्ट हाउस के पास लगी दुकानें और उनमें आदिवासी महिलाओं द्वारा बनाया जा रहा व्यंजन टूरिस्टों को बड़ा पसंद आ रहा है। यहां प्राकृतिक सौंदर्य को देखने के शौकीन लोग केवल मक्का की रोटी और देशी टमाटर की चटनी (tribal dish) पसंद करते हैं। करीब 50 रुपए के इस आइटम में अपनेपन का स्वाद है। इस व्यंजन को आदिवासी महिलाओं और पुरुषों ने स्थानीय रोजगार को जोड़ दिया है।
जिला मुख्यालय से 60 किमी दूर तामिया के पहाड़ों के बीच से गुजरते बादल और बारिश को देखना पर्यटकों की पहली पसंद है। हर साल यहां हजारों लोग आते हैं। सबसे ज्यादा भीड़ यहां रेस्ट हाउस के पास लगती है। इनकी फूड डिमांड को इस समय आदिवासी महिलाओं और पुरुषों ने पहचान लिया है। पहले एक दुकानें लगती थी, अब 10-15 दुकानें इस परिसर में लगती हैं।
यहां चूल्हे की सिकी मक्का की रोटी और देशी टमाटर की सिल की पिसी हुई चटनी मिल जाएगी। इसे खाते ही बस आनंद आ जाता है। इसके साथ ही ज्वार की रोटी और बैगन भरता भी डिमांड पर उपलब्ध करा दिया जाता है। इसके अलावा दूसरे मिलेट्स भी शौकीनों की पसंद हैं। इससे प्रत्येक दुकानदार की आय बारिश में 400-500 रुपए तक हो जाती है।
तामिया के पर्यटन प्रमोटर पवन श्रीवास्तव बताते हैं कि मक्का की रोटी, टमाटर की चटनी, ज्वार की रोटी, बैगन भर्ता, कुटकी चावल, मिलेट्स के चीले डोसा, रागी सूप, मक्का की भेल, कुटकी की खीर, महुआ की पूड़ी, मक्का का खूद, महेरी एवं बाजरे की खिचड़ी आदि देशी व्यंजन पर्यटकों की पसंद है। चिरौंजी की बर्फी, स्ट्रॉबेरी, शहद, कच्ची घानी का तेल, गुड का पावडर एवं कोदो, कुटकी का चावल में रुचि ली जा रही है।
बीपी, शुगर, मोटापा एवं हृदय रोगियों के लिए मिलेट्स वरदान है। जिले में कोदो, कुटकी, रागी, कंगनी सहित ज्वार की खेती लगभग 15 हजार हेक्टेयर में होती है, जिससे तैयार व्यंजन एफपीओ के माध्यम से जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश एवं देश के अन्य राज्यों तक भी विक्रय किए जा रहे हैं।
Published on:
20 Jul 2025 04:03 pm
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