
छिंदवाड़ा. अमरवाड़ा. अहंकार अभिमान और घमंड से भरी हुई वस्तु जल जाया करती है और राममय वस्तु जलाने से भी बच जाती है। अमरवाड़ा के बारात घर परिसर पर आयोजित दिव्य हनुमाान कथा के चतुर्थ दिवस अध्यात्म राष्ट्र सेवा मिशन और राधा सखी मंडल के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित उद्बोधक राष्ट्र चिंंतक क्रांतिकारी पं. अनिरुद्ध महाराज ने अपने क्रांतिकारी अंदाज में बताया कि साधु तीन प्रकार के होते हैं। पहला असली साधु जो आत्म प्रेरित होकर स्वयं वैराग्य धारण करतेे हैं, दूसरेे वह साधु जो नकली होते हैं जो मुड़ मुड़आएं खुजली जाए, तीसरे साधु फसली साधु जो ऐसेेे होते हैं फसल आई और कटिं जहां भी। कुंभ का मेला यज्ञ आयोजित होते हैं पहने लाल कपड़े बांधेे दुपट्टा दोनों वक्त खाए पेटभर ऐसे साधु होतेे हैं। वर्तमान में जो साधुओं के नाम पर कलंक है अनाप-शनाप धन संपदा वालों की आज कमी नहीं है। जीवन में प्रतिष्ठा हो तो ठोस हो, स्थाई हो अभिमान के द्वारा अर्जित की गई प्रतिष्ठा नकली होती है नकली प्रतिष्ठा का क्या घमंड करना। आज कथा में समुद्र लांग कर जाते समय हनुमान ने कहा था 'हुई एक काज मोहि हर्ष विषय की, अर्थात राम काज राष्ट्र कल्याण का समाज कल्याण का कार्य उत्साही लोग ही कर सकते हैं। सकारात्मक सोच अपने विचार रखिए कि कार्य तो होगा ही। नकरात्मक स्वयं पर भी विश्वास नहीं करते। हम सभी नाटक के पात्र हैं जिसे भगवान रूपी डायरेक्टर ने अलग-अलग भूमिका दी है। कभी हम राजा कभी दरबान बना दिए जाते हैं। किसी को रईस किसी को गरीब बना दिए जाते हैं।
आज की हनुमंत कथा में पूर्व मंत्री प्रेम नारायण ठाकुर, अशोक तिवारी, देवेंद्र जैन, कैलाश जैन, रज्जू चौरसिया, बालकृष्ण साहू पचकौड़ी, छिदामी साहू, लक्ष्मी साहू, गेंदलाल साहू, मनोज ठाकुर, बेनी विश्वकर्मा, सुमेरचंद साहू, विनोद साहू, डॉ ठाकुर प्रसाद, छबिलाल लक्ष्मण सोनी, ऋषभ कुमार जैन, सरला साहू सहित नगरवासियों ने उपस्थित होकर कथा का श्रवण किया।
रामकथा का शुभारम्भ
सौसर/ मोहगांव ञ्च पत्रिका. आदिशक्ति मां भवानी मंदिर मोहगांव हवेली में शुक्रवार से रामकथा का शुभारम्भ किया गया। महाराष्ट्र के ुप्रसिध्द कथाकार रामराव ढोक महाराज ने प्रथम दिवस पर व्यासपीठ से कथा प्रारम्भ की। सर्वप्रथम भगवान श्रीराम एवं हनुमान के छायाचित्र का पूजन एवं आरती की गई। इसके पूर्व ढोक महाराज के नगरागमन पर नगर में ढोल-नगाडों के साथ स्वागत अभिंनदन और नगर भ्रमण कराया गया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु कथा सुनने पहुंचे। महाराज ने बताया कि आज के दौर में भी जीवन की व्यथा को दूर करने रामकथा प्रासंगिक प्रासंगीक है। हर व्यक्ति के जीवन में रामकथा का अलग ही महत्व है। रामायण के पात्रों को विस्तार से बताया। कहा कि योग्य श्रोता की प्रतिक्षा में भगवान शिव ने जो कथा अपने मन में रखी और माता पार्वती के मिलने पर सुनाई इसलिए रामचरित्र मानस, जो भगवान शिव के मानस में निरंतर रहती है। कहा कि देश में शांति और अखंडता जरूरी है।
Published on:
07 Apr 2018 06:19 pm
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