
Chitrakoot Shiv Tempal: चित्रकूट में खंडित शिव मूर्ति की पूजा करते भक्त की फोटो
आपको बता दे कि धार्मिक नगरी चित्रकूट का जिक्र पौराणिक ग्रंथों और रामायण में मिलता है। जहां भगवान राम ने अपने वनवास काल में सबसे अधिक समय बिताए थे। और लगभग 12 वर्ष चित्रकूट में रहे। इसी चित्रकूट में एक ऐसा खंडित शिव मूूर्ति मंदिर है,जहां देश भर से लोग इस खंडित शिव मूूर्ति की पूजा के लिए आते हैं।
कहा जाता है विदेशी आक्रमण कारियों ने सोना पाने की लालच में इस शिव मूर्ति को खंडित करने का प्रयास किया था। लेकिन भगवान शिव की महिमा के चलते इन विदेशी आक्रमण करियों को उल्टे पैर वापस लौटना पड़ा था।
बताया जाता है कि औरंगजेब ने इस शिव मूर्ति को कई बार तोड़ने का प्रयास किया पर शिव महिमा के आगे ओ विफल हो गया।वही ये भी लोगों की मान्यता है। कि जो भी श्रद्धालु चारो धाम की यात्रा करके आता है। अगर वह इस शिव मूर्ति में जल नही चढ़ाता है,तो उसकी चारोधाम की यात्रा पूरी नहीं मानी जाती है। इसलिए यहां हजारों श्रद्धालु यहां जल चढ़ाने आते है। सावन के महीने में इस स्थान का ज्यादा महत्व बढ़ जाता है सावन के महीने इस शिव मूर्ति का भव्य श्रृंगार होता है। जिसकी भव्यता और सुंदरता देखते ही बनती है।
सावन के महीने में हजारों की संख्या में यहां श्रद्धालु पहुंचकर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर पूजा अर्चना प्रार्थना कर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। वही मंदिर के पुजारी ने बताया कि राजा वीर सिंह उज्जैन के महाकाल के अनन्य भक्त थे जब ओ बूढ़े हो गए तो उन्होंने महाकाल से प्रार्थना कि प्रभु मैं वृद्ध हो गया हूं। अब कैसे आपके दर्शन करने आ पाऊंगा तो बताते है। महाकाल राजा वीर सिंह की भक्ति से प्रसन्न होकर यहां पताल से निकल कर प्रगट हो गए। शास्त्रों में कहा गया कि अगर शिव मूर्ति खंडित हो जाए तो उसे खंडित नहीं माना जाता है। और कितनी बार भी खंडित हो उसकी पवित्रता पर उसका कोई असर नहीं पड़ता है।शिव मूर्तिि हमेशा पूज्यनीय माना जाता है क्यों कि भगवान शिव को ब्रम्ह के साथ साथ निराकार भी माना जाता है।
Published on:
28 Jul 2023 10:55 am
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